विज्ञान

Beta variant से लड़ने के लिए वैज्ञानिकों ने बताया वो 'हथियार' जो देगा इस वेरिएंट से सुरक्षा

Tara Tandi
28 Jun 2021 12:15 PM GMT
Beta variant से लड़ने के लिए वैज्ञानिकों ने बताया वो हथियार जो देगा इस वेरिएंट से सुरक्षा
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कोविड-19 (Covid-19) की वजह बनने वाले SARS-CoV-2 स्पाइक प्रोटीन पर एक स्टडी की गई

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | कोविड-19 (Covid-19) की वजह बनने वाले SARS-CoV-2 स्पाइक प्रोटीन पर एक स्टडी की गई और इसके नतीजे डराने वाले हैं. दरअसल, दक्षिण अफ्रीका (South Africa) में पहली बार मिले बीटा वेरिएंट (Beta variant) के खिलाफ वर्तमान में मौजूद वैक्सीन (Vaccine) कम असरदार हो सकती हैं. SARS-COV-2 की सतह पर मौजूद स्पाइक प्रोटीन वायरस को हमारी कोशिकाओं से जुड़ने और प्रवेश करने में सक्षम बनाते हैं. इनके खिलाफ वर्तमान में मौजूद सभी वैक्सीनों का इस्तेमाल किया गया है.

इस स्टडी को जर्नल साइंस में 24 जून को प्रकाशित किया गया है. इसमें क्रायो-इलेक्ट्रॉन माइक्रोसकॉपी (cryo-EM) का प्रयोग कर बीटा वेरिएंट की चीन (China) में 2019 में मिले ऑरिजनल वायरस के स्पाइक प्रोटीन से तुलना की गई. इसके अलावा, ऑरिजनल वायरस के स्पाइक प्रोटीन की तुलना अल्फा वेरिएंट (Alpha Variant) से भी की गई, जो सबसे पहले ब्रिटेन (Britain) में सामने आया था. cryo-EM एक इमेजिंग टेक्निक है जिसका इस्तेमाल ऑटोमिक रेजोल्यूशन पर बायोमॉलिक्यूलर संरचनाओं को निर्धारित करने के लिए किया जाता है.
वैक्सीनेटेड लोग भी हो सकते हैं संक्रमित
अमेरिका में बोस्टन चिल्ड्रेन हॉस्पिटल (Boston Children's Hospital) के रिसर्चर्स के नेतृत्व में निकाले गए नतीजे बताते हैं कि बीटा वेरिएंट में म्यूटेशन कुछ जगहों पर स्पाइक सतह के आकार को बदल देता है. इसका परिणाम ये होता है कि वर्तमान वैक्सीन के जरिए बनने वाली एंटीबॉडी बीटा वेरिएंट को काबू करने में कम सक्षम होती है. ऐसे में वायरस को इम्यून सिस्टम में घुसपैठ करने का मौका मिलता है और ऐसा वैक्सीनेटेड लोगों के शरीर में भी संभव हो जाता है. बीटा वेरिएंट को B.1.351 के रूप में भी जाना जाता है.
बूस्टर से मिलेगी बीटा वेरिएंट से सुरक्षा
बोस्टन चिल्ड्रेन हॉस्पिटल के मॉलिक्यूलर मेडिसीन के डिवीजन के बिंग चेन ने कहा, म्यूटेशन वर्तमान वैक्सीन द्वारा बनने वाली एंटीबॉडी को कम असरदार बना देते हैं. चेन ने कहा कि बीटा वेरिएंट वर्तमान वैक्सीनों के लिए कुछ हद तक प्रतिरोधी है. हमें लगता है कि नए जेनेटिक सीक्वेंस वाला बूस्टर इस वेरिएंट के खिलाफ सुरक्षा के लिए फायदेमंद हो सकता है. रिसर्चर्स ने यह भी पाया कि बीटा वेरिएंट में म्यूटेशन स्पाइक को ACE2 के लिए बाध्य करने में कम प्रभावी बनाते हैं. ऐसे में ये वेरिएंट अल्फा वेरिएंट की तुलना में कम फैलता है.
अल्फा वेरिएंट पर असरदार हैं वैक्सीन
वहीं, अल्फा वेरिएंट (B.1.1.7) को लेकर स्टडी में पाया गया कि इसके स्पाइक में जेनेटिक परिवर्तन वायरस को ACE2 के लिए बेहतर तरीके से बाध्य बनाते हैं. इस वजह से ये ज्यादा संक्रामक हो जाता है. हालांकि, इस स्टडी के रिसर्चर्स के मुताबिक, टेस्टिंग से पता चला है कि वर्तमान में मौजूद वैक्सीन इस वेरिएंट को काबू में कर सकती हैं. वहीं ये रिसर्च टीम डेल्टा वेरिएंट (Delta Variant) समेत अब अन्य वेरिएंट ऑफ कंसर्न पर रिसर्च कर रही है.


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