विज्ञान

इस साल का पहला चंद्र ग्रहण, जानें क्यों है दुर्लभ?

jantaserishta.com
9 May 2022 8:44 AM GMT
इस साल का पहला चंद्र ग्रहण, जानें क्यों है दुर्लभ?
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Image credit: Imelda Joson/Edwin Aguirre

नई दिल्ली: 15-16 मई को चंद्र ग्रहण है. पूर्ण चंद्र ग्रह 3 घंटे, 27 मिनट और 58 सेकेंड का होगा. यह दुर्लभ है. क्योंकि इस बार चांद खूनी लाल रंग का दिखाई देगा. ये दोनों संयोग कई सालों में एक बार आता है. वैज्ञानिक इसे सुपर लूनर इवेंट कह रहे हैं. क्योंकि पूर्ण ग्रहण भी होगा और चांद का रंग खूनी लाल रंग का भी रहेगा. आखिरकार ये सारी घटनाएं एकसाथ क्यों हो रही हैं? इसका असर धरती पर होगा या नहीं. आइए जानते हैं...

चंद्र ग्रहण क्या है और ये कैसे होता है? (What is Lunar Eclipse?)
चंद्र ग्रहण तब होता है जब धरती की परछाई चांद के पूरे या आंशिक हिस्से को ढक लेती है. या फिर ऐसे समझे कि जब चांद और सूरज के बीच धरती आ जाती है तब चंद्र ग्रहण होता है. चांद अपनी कक्षा में पांच डिग्री झुका हुआ है. इस वजह से इसलिए फुल मून यानी पूर्ण चांद धरती की परछाई के या थोड़ा ऊपर रहता है या फिर थोड़ा नीचे. लेकिन चांद अपनी कक्षा में दो बार ऐसी स्थिति में आता है जब वह धरती और सूरज के सामने एक ही हॉरिजोंटल प्लेन पर रहता है. न ऊपर न नीचे. यानी एक लाइन में. इसलिए ऐसे में पूर्ण चंद्र ग्रहण लगता है.
चांद खूनी लाल रंग का क्यों दिखेगा?
जब चांद धरती की परछाई के पीछे पूरी तरह से ढक जाएगा तब इस पर सूरज की कोई रोशनी नहीं पड़ रही होगी. यह अंधेरे में चला जाएगा. लेकिन चांद कभी पूरी तरह से काला नहीं होता. यह लाल रंग का दिखने लगता है. इसलिए कई बार पूर्ण चंद्र ग्रहण को लाल या खूनी चांद भी कहते हैं. अब बताते हैं कि लाल रंग क्यों? सूरज की रोशनी में हर तरह के विजिबल रंग होते हैं.
धरती के वायुमंडल में मौजूद गैस इसे नीले रंग का दिखाती हैं. जबकि, लाल रंग की वेवलेंथ इसे पार कर जाती है. इसे रेलीग स्कैटरिंग (Rayleigh Scatterinhg) कहते हैं. इसलिए आपको आसमान नीला और सूर्योदय और सूर्यास्त लाल रंग का दिखता है. चंद्र ग्रहण के समय धरती के वायुमंडल से लाल रंग की वेवलेंथ पास करती है. ये वायुमंडल की वजह से मुड़कर चांद की ओर जाती है. यहां नीला रंग फिल्टर हो जाता है. इसकी वजह से चांद का रंग लाल दिखता है.
आपको ये चांद कैसे और कहां दिखेगा?
अगर आपको चंद्र ग्रहण देखना है तो आपको धरती के उस हिस्से में रहना होगा जहां रात हो. वैसे इस बार पूर्ण चंद्र ग्रहण प्रशांत महासागर की मध्य रेखा, अमेरिका, अफ्रीका और कनाडा, ग्रीनलैंड का दक्षिणी हिस्से पर दिखाई देगा. (फोटोः NASA)
भारत में दिखेगा या नहीं
15-16 की शाम के बाद जैसे-जैसे अंधेरा बढ़ेगा ये सुपरमून अपने ग्रहण की ओर आगे जाएगा. जैसी पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा ये पूरा खूनी लाल रंग का दिखाई देगा. बस इसी समय ये नजारा देखने लायक होगा. भारत में यह नहीं दिखाई देगा. ये मध्य अमेरिका, उत्तरी अमेरिका, अफ्रीका और यूरोपीय देशों में दिखाई देगा.
क्या होता है सुपरमून, पहले इसे समझते हैं?
पहली बात तो ये समझते हैं कि सुपरमून क्या होता है? चांद जब धरती के नजदीक आ जाता है तब उसका आकार 12 फीसदी बड़ा दिखता है. आमतौर पर चांद की दूरी धरती से 406,300 किलोमीटर रहती है. लेकिन जब यह दूरी कम होकर 356,700 किलोमीटर हो जाती है तब चांद बड़ा दिखाई देता है. इसलिए इसे सुपरमून कहते हैं.
चांद इस समय अपनी कक्षा में चक्कर लगाते समय धरती के नजदीक आता है. क्योंकि चांद धरती के चारों तरफ गोलाकार चक्कर नहीं लगाता. यह अंडाकार कक्षा में घूमता है. ऐसे में इसके धरती के नजदीक आना तय होता है. नजदीक आने की वजह से इसकी चमक भी बढ़ जाती है.

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