विज्ञान

कभी चार सूर्यों वाला था तीन तारों वाला यह नया खोजा गया तंत्र

Subhi
23 July 2022 5:42 AM GMT
कभी चार सूर्यों वाला था तीन तारों वाला यह नया खोजा गया तंत्र
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ब्रह्माण्ड में अरबों की संख्या में तारे मौजूद हैं उनमें से बहुत से तारों का अपना ग्रहीय तंत्र है. लेकिन क्या ये सभी तंत्र हमारे सौरमंडल की ही तरह हैं.

ब्रह्माण्ड में अरबों की संख्या में तारे मौजूद हैं उनमें से बहुत से तारों का अपना ग्रहीय तंत्र (Planetary System) है. लेकिन क्या ये सभी तंत्र हमारे सौरमंडल (Solar System) की ही तरह हैं. तो ऐसा बिलकुल नहीं है. बल्कि खगोलविदों को बहुत सारे विविधताएं देखने को मिलती रहती हैं. ग्रहों की अलग-अलग संख्या उनकी दूरी और संरचनाओं में विविधता उन्हें अध्ययन का रोचक विषय बनाती हैं. कई बार तो किसी तंत्र में दो से ज्याद तारे भी होते हैं और कोई ग्रह भी नहीं होता है. नए अध्ययन में खगोलविदों ने हमारी गैलेक्सी मिल्की वे (Milky War) में ऐसा तंत्र खोजा है जिसमें तीन सूर्य या तारे मौजूद हैं इतना ही नहीं एक समय में इसमें कुल चार सूर्य थे.

चौथे तारे का क्या हुआ

वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इस तंत्र में तीन तारों में चौथे तारे को निगल लिया होगा. उन्होंने पहली बार इस तरह के तंत्र की खोज की है. इस तंत्र में दो द्विज तारे हैं और एक बड़ा तारा इन दोनों के चक्कर लगा रहा है. HD 98800 नाम का यह तंत्र टीडब्ल्यू हाइड्रे तारामंडल में 150 प्रकाशवर्ष की दूरी पर स्थित है.

कुछ अलग हटकर है यह तंत्र

इस तंत्र में द्विज तारे एक दूसरे का चक्कर एक ही दिन में लगाते हैं वहीं दोनों ह तारों का मिल कर भार हमारे सूर्य के भार से 12 गुना ज्यादा है. कोपनहेगन यूनिवर्सिटी के नील्स बोर इंस्टीट्यूट के एलेजांद्रो विग्ना गोमोज ने बताया, "जहां तक हम जानते हैं कि यह इस तरह का खोजा गया पहला तंत्र है. हम बहुत सारे तीन तारों के तंत्र को जानते हैं, लेकिन वे बहुत ही कम भार के हैं तीन तारों के तंत्र में भारी तारे एक दूसरे के बहुत पास होते हैं. "

तीसरे तारे ने किया हैरान

एलेजांद्रो चीनी शोधकर्ता बिन लियु के साथ मिलकर यह जानने का प्रयास कर रहे हैं कि कैसे द्विज तारों का चक्कर लगाते हुए एक बड़े तारे इस अनोखा संयोजन निर्मित हुआ. शोधकर्ता इस तंत्र में तीसरे तारे की उपस्थिति से बहुत हैरान हुए. यह तारा हमारे सूरय से 16 गुना ज्यादा भारी है जो अपने अंदर के द्विज तारों के तंत्र का एक साल में छह बार चक्कर लगाता है.

किसी की थी इस तंत्र की खोज

इस तंत्र की खोज में गैरपेशेवर खगोलविदों के समुदाय ने सबसे पहले की थी. ये खगलोविद नासाके ट्रांजिटिंग एक्सोप्लैनेट सर्वे सैटेलाइट वेधशाला के आंकड़ों का अध्ययन कर रहे थे. नासा का यह सैटेलाइट विशेष तौर पर हमारे सौरमंडल से दूर बाह्यग्रहों की खोज के लिए ही बनाया गया है. अब तक खगोलविद पांच हजार बाह्यग्रह खोज चुके हैं.

बाद में हुई पुष्टि

जब इस तंत्र की खोज हुई थी तब माना गया है कि इस तंत्रमें कुछ गड़बड़ी है और तब गैर पेशेवर खगोलविदों ने पेशेवर खगोलविदों को इस बारे में जानकारी दी थी. इसके बाद ही खगोलिविदों ने इस अनोखे तीन तारों के तंत्र के होने की पुष्टि की और इस अध्ययन में द्विज तारे के होने और काफी पहले चौथे तारे की उपस्थिति रही होने का पता लगाया है.

अधिक संभावित प्रतिमान

इस अध्ययन में दोनों शोधकर्ताओं ने आंकड़ों को कूटबद्ध किया और सुपरकम्प्यूटर में एक लाख बार चलाने बाद इस अवस्था में सबसे संभावित नतीजा निकाला. उन्होंने बताया कि अब उनके पास इस अनोखे तंत्र के बहुत ही अधिक संभावित प्रतिमान है. लेकिन यह प्रतिमान काफी नहीं है. इस आधार पर दो तरह से इसे सिद्ध किया जा सकता है.

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इन नतीजों की पुष्टि इस तंत्र के विस्तृत अध्ययन से की जा सकती है या फिर तारों की जनसंख्या के सांख्यकीय विश्लेषण से की जा सकती है. विस्तृत अध्ययन के लिए खगोलविद की विशेषज्ञता की जरूरत होगी. इस मामले में शुरुआती आंकड़े तो हैं ,लेकिन और आंकड़ों की भी जरूरत पड़ेगी जिससे बेहतर तरह से सटीक नतीजे निकल सकें.


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