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दुनियाभर में कोरोना संक्रमण के तेजी से बढ़ते मामलों को काबू करने के लिए तमाम अध्ययन किए जा रहे
दुनियाभर में कोरोना संक्रमण के तेजी से बढ़ते मामलों को काबू करने के लिए तमाम अध्ययन किए जा रहे हैं। वैश्विक स्तर पर चल रहे वैक्सीनेशन कार्यक्रम से विशेषज्ञों को आशा है कि जल्द ही दुनिया की बड़ी आबादी को कोरोना से सुरक्षा देने वाला टीका प्राप्त हो जाएगा। हालांकि मौजूदा समय में भारत जैसे कई देशों में हालात बेहद खराब हैं। कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमितों के तेजी से बढ़ते आंकड़े लगातार चिंता का विषय बने हुए है। इस बीच शोधकर्ताओं ने एक दवा को लेकर दावा किया है कि इसका इस्तेमाल कोरोना वायरस को न सिर्फ बेअसर कर सकता है, साथ ही इसका तत्काल प्रभाव से प्रयोग दुनिया को इस महामारी से काफी हद तक सुरक्षित रखने में भी मददगार साबित हो सकता है। आइए इस बारे में जानते हैं।
फ्रंट लाइन कोविड-19 क्रिटिकल केयर अलायंस (एफएलसीसीसी) के नेतृत्व में एक अध्ययन की समीक्षा के दौरान वैज्ञानिकों ने बताया कि दुनियाभर में फैली कोरोना महामारी को रोकने में 'इवरमेक्टिन' नामक दवा बेहद प्रभावी हो सकती है। वैज्ञानिकों ने इस दवा को कोविड-19 के उपचार में बेहद कारगर मानते हुए दुनियाभर में इसके तत्काल प्रभाव से इस्तेमाल किए जाने पर जोर दिया है।
विशेषज्ञ इवरमेक्टिन दवा को मान रहे हैं असरदार
एफएलसीसीसी के अध्यक्ष और मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ पियरे कोरी कहते हैं कि, हमने इवरमेक्टिन दवा के उपलब्ध आंकड़ों की व्यापक समीक्षा की है। कई स्तरों पर की गई समीक्षा और डाटा के अध्ययन के आधार पर हम कह सकते हैं कि इवरमेक्टिन दवा का इस्तेमाल कोरोना वायरस की इस गंभीर महामारी को खत्म करने में सहायक साबित हो सकता है।
जानिए कैसे हुई थी इसकी खोज
इवरमेक्टिन की खोज साल 1975 में की गई थी जिसे साल 1981 में लोगों के इस्तेमाल के लिए उतारा गया। इस दवा को व्यापक रूप से दुनिया की पहली एंडोक्टोसाइड यानी एंटी पैरासाइट दवा के रूप में जाना जाता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह दवा शरीर के भीतर और बाहर, मौजूद परजीवी के खिलाफ बेहद असरदार साबित हो सकती है। इसके बाद साल 1988 में ऑन्कोकेरिएसिस (रिवर ब्लाइंडनेस) नामक बीमारी के लिए भी इसे प्रयोग में लाया गया।
कई संक्रमणों में किया जाता रहा है इस्तेमाल
विशेषज्ञों ने इस दवा को एचआईवी, डेंगू, जीका, और इन्फ्लुएंजा जैसे वायरस की एक विस्तृत श्रृंखला के खिलाफ काफी प्रभावी पाया है। हाल के अध्ययनों के निष्कर्षों में विशेषज्ञ इसे सार्स-सीओवा-2 वायरस के खिलाफ भी काफी असरदार मान रहे हैं।
कोरोना से मृत्यु का खतरा हो सकता है कम
हालिया अध्ययनों में विशेषज्ञों ने पाया कि इस दवा का इस्तेमाल कोविड-19 रोगियों में रिकवरी के समय और शरीर में वायरस के असर को कम करने के साथ कोविड संक्रमितों में मृत्यु के खतरे को भी कम करने में सहायक हो सकता है। करीब 2500 रोगियों पर किए गए अध्ययन में विशेषज्ञों ने पाया कि इस दवा का नियमित उपयोग कई वायरल बीमारियों के जोखिम को कम करता देता है। एफएलसीसीसी के संस्थापक सदस्य डॉ पॉल ई मारिक ने कहते हैं कि नवीनतम शोध से पता चलता है कि इवरमेक्टिन, कोविड-19 के उपचार में विशेष असरदार दवा साबित हो सकती है।
अस्वीकरण नोट: यह लेख फ्रंट लाइन कोविड-19 क्रिटिकल केयर अलायंस (एफएलसीसीसी) के नेतृत्व में की गई समीक्षा के आधार पर तैयार किया गया है। लेख में शामिल सूचना व तथ्य आपकी जागरूकता और जानकारी बढ़ाने के लिए साझा किए गए हैं। जनता से रिश्ता राउटर्स के इस अध्ययन और दवा को लेकर कोई दावा नहीं करता है। बिना डॉक्टरी सलाह के दवा के इस्तेमाल नुकसानदायक हो सकता है।
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