विज्ञान

ये है दुनिया का सबसे दुर्लभ समुद्री जीव, धरती पर सिर्फ 10 ही बचे हैं

Tulsi Rao
6 May 2022 8:57 AM GMT
ये है दुनिया का सबसे दुर्लभ समुद्री जीव, धरती पर सिर्फ 10 ही बचे हैं
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। दुनिया में इस जीव की आबादी सिर्फ 10 बची है. ये धरती पर मौजूद जीवों में से उन जीवों की सूची में शामिल हो गया है जो विलुप्त होने की कगार पर हैं. यह दुनिया का इकलौता दुर्लभ समुद्री स्तनधारी (World's Most Rarest Endangered Sea Mammal) है. इसका नाम वाकिता पॉरपॉयज (Vaquita Porpoise) है. भारत में इस जीव को सूंस कहते हैं. जो अक्सर यहां की नदियों में दिखती है. लेकिन वाकिता पॉरपॉयज समुद्री है.

वाकिता पॉरपॉयज (Vaquita Porpoise) विलुप्त होने की कगार पर है. लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि इसे बचाया जा सकता है. ऐसा वो एक जेनेटिक स्टडी के दम पर कह रहे हैं. ग्रे और सिल्वर रंग के ये सूंस सिर्फ मेकिस्को स्थित कैलिफोर्निया की खाड़ी (Gulf of California) में मिलते हैं. इनकी आबादी खत्म होने के पीछे की बड़ी वजह है शिकार.
सैन फ्रांसिस्को स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में वाकिता पॉरपॉयज (Vaquita Porpoise) पर स्टडी करने वाली रिसर्चर डॉ. जैकलीन रॉबिन्सन (Dr. Jacquieline Robinson) ने बताया कि हमारी स्टडी में यह बात एकदम स्पष्ट है कि वाकिता सूंस को हम बचा सकते हैं. अगर हम उनके इलाके से गिलनेट्स (Gillnets) हटा दें. यह एक तरह का बेहद भारी जाल होता है. जिसमें बड़ी मछलियां फंसाई जाती हैं.
साइंस जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के आधार पर डॉ. जैकलीन ने कहा कि वाकिता पॉरपॉयज (Vaquita Porpoise) सिर्फ इस वजह से खत्म होने वाले हैं, क्योंकि उनकी आबादी कम है. ये सोचना नहीं चाहिए. यह हम इंसानों पर निर्भर करता है कि हम उन्हें कैसे बचा सकते हैं. हमें वाकिता पॉरपॉयज को बचने का एक मौका देना चाहिए. हम उनकी आबादी को फिर से बढ़ा सकते हैं. उनके जीन्स में सर्वाइव करने की पूरी काबिलियत है.
वाकिता पॉरपॉयज (Vaquita Porpoise) अभी तक जेनेटिकली कमजोर नहीं हुई है. यह विलुप्त होने से बच सकती है. डॉ. जैकलीन ने कहा कि अगले 50 सालों के अंदर ये अपनी आबादी को बढ़ा सकते हैं अगर इन्हें पूरी तरह से सुरक्षा दे दी जाए तो. हमने 1985 से 2017 के बीच पकड़ी गईं वाकिता पॉरपॉयज के डीएनए की स्टडी की. ये सभी वर्तमान में मौजूद 10 सूंस के डीएनए से मैच करते हैं. इसके बाद इनके डीएनए के आधार पर इनके जीने की गणना की गई. तो पता चला कि अगर बेहतर माहौल मिले तो ये 50 सालों में अपनी आबादी को बढ़ा सकती हैं.
डॉ. जैकलीन कहती हैं कि ये जीव बेहद दुर्लभ है इसलिए इसमें जेनेटिक वैरिएशन भी कम है. इसलिए इन-ब्रीडिंग का रिस्क कम है. हालांकि इस जीव को बचाना आसान नहीं होगा. क्योंकि सबसे बड़ी चुनौती पर्यावरणविदों और स्थानीय लोगों के बीच होने वाले विवाद की है. इसके बाद मेक्सिको की सरकार के डिप्लोमैटिक समस्याओं को भी समझना होगा. इससे पहले गिलनेट्स को प्रतिबंधित करने का प्रयास किया गया था. लेकिन स्थानीय मछुआरों ने इस पर काफी विरोध जताया था.
वाकिता पॉरपॉयज (Vaquita Porpoise) के खत्म होने की वजह है तोतोआबा (Totoaba) नाम की मछली का ज्यादा शिकार और उनका खत्म होना. वाकिता सूंस इन मछलियों को खाती थी. लेकिन इंसानों ने इन मछलियों को खाकर वाकिता सूंस का खाना खत्म कर दिया. इसके अलावा चीन में माना जाता है कि तोतोआबा मछली का स्विम ब्लैडर यानी वह अंग जो मछली को तैरने में मदद करता है, वह मेडिसिनल फायदा देता है. इसलिए चीन में इस मछली का आयात-निर्यात होता आया है.
वाकिता पॉरपॉयज (Vaquita Porpoise) को पहली बार वैज्ञानिकों द्वारा 1958 में परिभाषित किया गया था. इनकी लंबाई अधिकतम 5 फीट होती है. वजन 54 किलोग्राम तक जाता है. ये टॉरपीडो के आकार की दिखती हैं. शरीर का ऊपरी हिस्सा ग्रे होता है. निचला हिस्सा सफेद होता है. आंखों के चारों तरफ गहरे काले रंग का घेरा होता है.


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