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कोरोना का भूत अब भी दुनिया के पीछे लगा है. इस बीच चीन के युलिन प्रांत (Yulin in China) में दुनिया का सबसे बड़ा डॉग मीट फेस्टिवल शुरू हो गया.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| कोरोना का भूत अब भी दुनिया के पीछे लगा है. इस बीच चीन के युलिन प्रांत (Yulin in China) में दुनिया का सबसे बड़ा डॉग मीट फेस्टिवल शुरू हो गया. यहां 10 दिनों तक बाजारों में डॉग मीट की किस्में मिलेगा. अनुमान है कि इतने ही दिनों में चीन के कोने-कोने से आए लोग हजारों कुत्तों को मार देते हैं. एनिमल राइट्स संस्थाएं पहले से ही इसपर हल्ला करती रहीं. चमगादड़ के मांस से कोरोना फैलने की बात भी हो रही है, जिसपर चीन घेरे में है. इसके बाद भी वहां कुत्ते खाने का ये उत्सव पूरी शान से मन रहा है.
बेअसर है कुत्तों को बचाने का अभियान
चीन में काम करने वाले एनिमल एक्टिविस्ट्स ने हाल ही में एक ट्रक को पकड़ा, जिसमें लगभग 70 कुत्तों को युलिन ले जाया जा रहा था. ये वो पशु हैं जो किस्मत से बच गए लेकिन चीन में ऐसे हजारों कुत्ते इतने किस्मतवाले नहीं. वे आने वाले कुछ ही दिनों में बेरहमी से मार दिए जाएंगे. साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट में सोमवार से शुरू हुए डॉग मीट फेस्टिवल में बेजुबान पशुओं से होने वाली क्रूरता के बारे में विस्तार से बताया गया.
डॉग मीट को आध्यात्म से जोड़ते हैं चीनी
30 जून तक चलने वाला डॉग मीट फेस्टिवल वैसे तो चीन में आधिकारिक त्योहार नहीं है लेकिन इसकी लोकप्रियता पूरे देश में है. चीन के यूलिन (Yulin) प्रांत में होने वाले इस त्योहार में लोग शामिल भी हो रहे हैं. कुत्ते से लेकर कई तरह के पालतू और जंगली पशुओं का मांस चाव से खाने वाले इस देश में डॉग मीट को मटन ऑफ द अर्थ कहते हैं.
लोग कुत्ते के मांस में आध्यात्मिक ताकत देखते हैं और ईश्वर से जुड़ने के लिए इसे खाने पर जोर देते हैं. वे मानते हैं कि कुत्तों का मांस न सिर्फ आत्मा को, बल्कि शरीर को भी तंदुरुस्त रखता है. यहां पर कई तरीकों से नमकीन के साथ मीठी डिश बनाकर भी दी जाती है.
मिलती हैं लीचियां और लोकल शराब
यूलिन में होने वाले इस त्योहार को "Lychee and Dog Meat" फेस्टिवल भी कहते हैं, जिसमें कुत्तों के अलावा ताजी लीचियां और अल्कोहल की अलग-अलग किस्में भी सर्व की जाती हैं. अगर कोई ग्राहक चाहे तो वो जिंदा कुत्ते को पिंजरे समेत घर ले जाकर उसे पका सकता है.
कितना क्रूर है उसे पकाने का तरीका
इतिहासकारों के अनुसार चीन में 7,000 से भी ज्यादा सालों से कुत्ते का मांस खाया जा रहा है. कुत्तों को पकाने के अलग-अलग तरीकों के अलावा एक तरीका यहां खासा क्रूर है, इसे pressed dog रेसिपी कहते हैं, जिसके तहत कुत्तों की स्किन निकालकर उसे पीटकर फिर रातभर मैरिनेट करते हैं और फिर पकाते हैं. इसके लिए अलग से चीन और पड़ोसी देशों से भी कुत्तों की तस्करी की जाती है.
सालभर में लाखों कुत्ते खा जाते हैं चीन के लोग
कुत्तों को एक जगह जमा करने के बाद उन्हें छोटे-छोटे पिंजरों में रखा जाता है. और दिन नजदीक आने पर उन्हें बाहर निकालकर सजा दिया जाता है, जैसे वे जीते-जाते जानवर न होकर कोई फल-सब्जी हों. इंडिया टाइम्स की खबर की मानें तो इन दस दिनों में ही 10 हजार से ज्यादा कुत्ते मार दिए जाते हैं. वहीं पूरे साल में चीन में 10 से 20 मिलियन कुत्ते चीनी लोगों की जीभ की बलि चढ़ते हैं.
ये है त्योहार का इतिहास
साल 2010 में शुरू हुए इस फेस्टिवल के लिए चीन के दूर-दराज से भी लोग आते हैं. यहां तक कि आसपास के सारे होटल बुक हो जाते हैं. माना जाता है कि इस फेस्टिवल के पीछे कोई प्राचीन काल की परंपरा नहीं, बल्कि मीट बेचने वालों ने ही गर्मियों में मीट की बिक्री कम होने पर ये फेस्टिवल शुरू किया था.
ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए वे कम दामों पर अलग-अलग नस्ल के कुत्ते कम कीमत पर बेचते. साथ ही अलग-अलग तरीके से उन्हें पकाने का तरीका भी सिखाया जाता इसलिए जल्दी ही ये त्योहार मशहूर हो गया. ये युलिन प्रांत में ही मनाया जाता रहा और वहीं की खासियत बन गया. इस दौरान स्थानीय शराब और लीची की बिक्री भी खूब होने लगी.
उठ रहे हैं सवाल
लाखों की संख्या में बर्बरता से कुत्तों के मारे जाने के कारण लोग इसकी बुराई भी करने लगे. ये वैश्विक मुद्दा बन गया और दुनियाभर की पशुप्रेमी संस्थाएं इसपर सवाल करने लगीं. इसके बाद भी फेस्टिवल उतनी ही गति से चल रहा है. यहां तक कि अब डॉग मीट पर सरकारी बैन होने के बाद भी ये इवेंट मनाया जा रहा है.
कृषि मंत्रालय ने डॉग मीट पर पाबंदी लगा दी थी
साल 2020 में कोरोना फैलने के बाद डरे और संदेह के घेरे में खड़े चीन ने कुत्तों के मांस पर रोक लगा दी. कृषि मंत्रालय के लगाए इस बैन के बाद वहां कुत्ते अब पालतू पशुओं की श्रेणी में आ गए हैं और सिर्फ आधिकारिक कारणों से ही उन्हें पालने और व्यापार की अनुमति मिल सकेगी. हालांकि इस बैन का कोई असर नहीं हुआ और अगले कुछ दिन यूलिन में कुत्तों का बाजार सजा रहेगा.
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