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कोरोना वायरस (कोविड-19) के मानव कोशिकाओं में दाखिल होने को लेकर एक नया अध्ययन किया गया है।
कोरोना वायरस (कोविड-19) के मानव कोशिकाओं में दाखिल होने को लेकर एक नया अध्ययन किया गया है। इससे इस बात पर नई रोशनी पड़ती है कि कोरोना कैसे मानव कोशिकाओं की प्रक्रिया पर कब्जा कर सकता है। भारतवंशी समेत विज्ञानियों के एक दल ने ऐसे मानव प्रोटीन की पहचान की है, जिसके इस्तेमाल से यह वायरस कोशिका प्रक्रिया पर कब्जा कर सकता है। इस अध्ययन से कोरोना से मुकाबले के लिए नई दवाओं के विकास की रहा खुल सकती है।
जर्मनी की यूरोपीय मॉलीक्यूलर बायोलॉजी लेबोरेटरी (ईएमबीएल) के शोधकर्ताओं ने एमिनो एसिड मॉलीक्यूल्स का विश्लेषण किया। ये मॉलीक्यूल्स कोरोना संक्रमण में शामिल इंटीग्रिन जैसे मानव प्रोटीन के निर्माण में सहायक होते हैं। पूर्व के अध्ययन में यह पाया जा चुका है कि कोविड-19 का कारण बनने वाला सार्स-कोव-2 वायरस एंडोसाइटोसिस नामक प्रक्रिया के जरिये कोशिकाओं में दाखिल होता है।
यह प्रक्रिया कोशिका की सतह पर मौजूद रिसेप्टर एसीई2 और इंटीग्रिन जैसे प्रोटीन से जुड़ी होती है। साइंस सिग्नलिंग पत्रिका में प्रकाशित नए अध्ययन में खासतौर पर एमिनो एसिड के शॉर्ट लाइनर मोटीफ (एसएलएम) पर ध्यान केंद्रित किया गया। एसएलएम कोशिकाओं के बीच सूचनाओं के आदान-प्रदान में शामिल होता है। उन्होंने ऐसे कई इंटीग्रिन प्रोटीन युक्त एसएलएम की पहचान की, जो संभवत: कोशिका प्रक्रिया में शामिल रहते हैं।
शोधकर्ताओं का मानना है कि अध्ययन के नतीजों से कोरोना से मुकाबले के लिए नए उपचार तैयार किए जा सकते हैं। ईएमबीएल के शोधकर्ता मंजीत कुमार ने कहा, 'अगर क्लीनिकल ट्रायल में ये दवाएं कोरोना के खिलाफ प्रभावी पाई जाती हैं तो वे गेम चेंजर साबित हो सकती हैं।'
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