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वैज्ञानिकों (Scientists) ने हाल ही में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है
वैज्ञानिकों (Scientists) ने हाल ही में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है. गुरुत्वाकर्षण वेव (Gravitational Waves) को पहली बार सीधे तौर पर ऑब्जर्व किया गया है. ग्रैविटेशनल वेव को अभी तक सीधे से ऑब्जर्व नहीं किया गया था. लेजर इंटरफेरोमीटर ग्रैविटेशनल-वेव (Gravitational Waves) ऑब्जर्वेटरी ने यह ऐलान किया है.
अभी तक इन्हें सिर्फ बाइनरी स्टार सिस्टम (Binary Star System) में पल्सर की टाइमिंग पर असर के जरिए ऑब्जर्व किया जाता था. अमेरिका (America) के थिअरटिकल फिजिसिस्ट डॉ. जेम्स गेट्स (Dr. James Gates) ने मशहूर ऐस्ट्रोफिजिसिस्ट नील डिग्रास टाइसन के 'Startalk' पॉडकास्ट में बताया है कि ग्रैविटेशन के पार्टिकल के रूप में दिखने से अल्बर्ट आइंस्टाइन (Albert Einstein) की एक बहुत ही महत्वपूर्ण थ्योरी प्रूव हो सकती है. अल्बर्ट आइंस्टाइन ने 1905 में एक पेपर लिखा था, जिसमें एनर्जी के पार्टिकल नेचर का पता लगाने की जरूरत के बारे में बताया था.
अभी तक पता है सिर्फ वेव नेचर
जेम्स गेट्स ने बताया कि ग्रैविटी की वेव देखी गई है, अब इनसे निकलने वाली ऊर्जा का क्वांटाइजेशन (Quantization) भी देखना बाकी है. अगर ये पॉसिबल होता है तो ब्रह्मांड में ग्रैविटॉन (Graviton) मिलेंगे, जिन्हें अब तक साइंस फिक्शन ही माना गया है. थिअरटिकल फिजिक्स में ग्रैविटॉन ग्रैविटी के हाइपोथेटिकल (काल्पनिक) क्वांटम या एलिमेंटरी पार्टिकल होते हैं, जो ग्रैविटी को फोर्स देते हैं. वैज्ञानिकों ने कहा है कि यह 50 से 100 साल में ही मुमकिन है.
इस बारे में डॉ. टाइसन ने सवाल किया कि कहीं इससे जनरल रिलेटिविटी को ही चुनौती तो नहीं मिल जाएगी? माना जाता है कि स्पेस-टाइम के कर्वेचर की वजह से ही ग्रैविटेशन का असर पैदा होता है. अगर ग्रैविटी का पार्टिकल नेचर साबित हो जाता है तो यह कर्वेचर मुमकिन नहीं होगा. ग्रैविटेशनल इफेक्ट के कारण से ही ब्लैक होल (Black Hole) को समझा जा सकता है और यह बिग-बैंग थ्योरी (Big Bang Theory) का भी बहुत ही अहम हिस्सा है. ऐसे में अगर ग्रैविटॉन का अस्तित्व साबित हो जाता है तो ग्रैविटी की परिभाषा पर ही सवाल खड़ा हो जाएगा.
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