विज्ञान

अपने शिकार को आकर्षित करती है ये मछली, जानें हैरान करने वाली बातें

jantaserishta.com
26 July 2022 12:24 PM GMT
अपने शिकार को आकर्षित करती है ये मछली, जानें हैरान करने वाली बातें
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Photo: Dr. Thomas Juhasz-Dora/University College Cork | न्यूज़ क्रेडिट: आजतक

नई दिल्ली: लंपफिश (Lumpfish) उत्तरी अटलांटिक और आर्कटिक महासागर के कुछ हिस्सों में पाई जाती है. यह मछली ऊबड़-खाबड़ होती है और पानी की गहराई में रहती है. ये कई रंगों में मिलती है. इसके रंग उम्र के साथ-साथ बदलते रहते हैं. लेकिन वैज्ञानिकों को लगता है कि उन्होंने मछली के असली रंग का पता लगा लिया है, जो फ्लोरोसेंट हरे (Fluorescent Green) रंग की है.

हाल ही में, जर्नल ऑफ फिश बायोलॉजी (Journal of Fish Biology) में प्रकाशित एक शोध में कहा गया है कि लंपफिश यूवी लाइट में चमकती है. उनका मानना ​​​​है कि ये मछलियां अपने बायोफ्लोरेसेंट चमक का इस्तेमाल एक दूसरे की पहचाने, शिकार को अपनी ओर आकर्षित करने और शायद एक दूसरे के साथ बात करने के लिए करती हैं.
Lumpfish अकेला रहना पसंद करती हैं, इसलिए ये अपना अधिकांश जीवन समुद्र तल पर बिताती हैं. ये अजीब-सी दिखने वाली मछलियां चट्टानों और समुद्री शैवाल से चिपकी रहती हैं. इसके लिए ये अपने पैल्विक पंख का इस्तेमाल करती हैं, जो एक सक्शन कप की तरह काम करता है.
यूनिवर्सिटी कॉलेज कॉर्क (University College Cork) में एक पशु चिकित्सक और डॉक्टरेट छात्र डॉ थॉमस जुहास-डोरा (Dr Thomas Juhasz-Dora) ने अन्य समुद्री प्रजातियों में बायोफ्लोरेसेंस देखा था, वे देखना चाहते थे कि क्या लंपफिश भी चमकती हैं. इसलिए उन्होंने 11 किशोर लंपफिश लीं और उन्हें अलग अलग तरह की लाइट में देखा और तस्वीरें लीं. सामान्य प्रकाश में वे हरी दिख रही थीं, लेकिन जब उन्हें यूवी लाइट में देखा गया, तो उनके पूरे शरीर पर चमकदार,नियॉन-हरे रंग की चमक देखी गई.
जुहास-डोरा का कहना है कि ऐसा तब होता है जब कोई जीव अल्ट्रा वॉयलेट किरणें (Ultraviolet Rays) अवशोषित करता है, जो आमतौर पर लोगों को दिखती नहीं है और उन्हें ऐसे रंगों में फिर से उत्सर्जित करती हैं जिन्हें हम देख सकते हैं. जैसे- लाल, नारंगी या हरा. बायोलुमिनेंस और ये अलग-अलग बात है. बायोलुमिनेंस में जानवर कैमिकल रिएक्शन के जरिए अपना खुद का प्रकाश उत्पन्न करते हैं.
अमेरिका में न्यू हैम्पशायर यूनिवर्सिटी (University of New Hampshire) में एक शोधकर्ता और एसोसिएट प्रोफेसर एलिजाबेथ फेयरचाइल्ड (Elizabeth Fairchild) का कहना है कि लंपफिश अलग-अलग तरह की होती हैं. जब ये छोटी होती हैं तो ये इंद्रधनुष के किसी भी रंग की हो सकती हैं. किशोरावस्था में उनकी मोटी और खुरदरी त्वचा का रंग उनके आसपास के माहौल से हिसाब से बदल जाता है. इससे उन्हें शिकारियों से छिपने में मदद मिलती है. वयस्क होने पर लंपफिश हल्के-भूरे से हल्के-नीले रंग की हो जाती है. प्रजनन के मौसम में नर नारंगी-लाल और मादा नीले-हरे रंग में बदल जाते हैं.
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