- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- विज्ञान
- /
- सड़कों-दीवारों पर हर...
विज्ञान
सड़कों-दीवारों पर हर जगह यही आफत, यहां हुआ केकड़ों का 'कब्जा'
Gulabi Jagat
27 March 2022 9:27 AM GMT
x
यहां हुआ केकड़ों का 'कब्जा'
क्यूबा (Cuba) देश इन दिनों केकड़ों (Crabs) से परेशान है. केकड़ों ने क्यूबा के कई तटीय इलाकों में हमला बोल दिया है. ऐसे लग रहा है कि वो इंसानों से बदला लेने के लिए समुद्र से बाहर निकल कर जमीन पर आ गए हों. लाल, काले, पीले और नारंगी रंग के केकड़ों ने खाड़ी से लेकर सड़क तक और जंगलों से लेकर घरों की दीवारों तक, हर जगह कब्जा जमा रखा है.
केकड़ों (Crabs) के कब्जे से सबसे ज्यादा प्रभावित इलाका है बे ऑफ पिग्स (Bay of Pigs). समस्या ये नहीं है कि ये केकड़े आए हैं. ये हर साल आते हैं. दिक्कत ये है कि इस बार ये जल्दी बाहर निकल आए हैं. जिसकी तैयारी स्थानीय सरकारों और लोगों ने नहीं की थी. इन केकड़ों के लिए सबसे फायदे का समय था कोरोनाकाल.
कोरोना काल में लगे लॉकडाउन की वजह से दो साल तक इंसानी गतिविधियां लगभग बंद रहीं. जंगलों, समुद्री इलाकों, सड़कों आदि पर लोगों का आना-जाना बंद था. केकड़ों (Crabs) को प्रकृति ने मौका दे दिया. पूरी आजादी. कहीं भी आने-जाने की. कहीं भी प्रजनन करने की. नतीजा ये हुआ कि इस लैटिन देश में इनकी आबादी बहुत तेजी से बढ़ गई.
आमतौर पर जिन सड़कों पर गाड़ियां चलती थीं, लॉकडाउन में वो सड़कें खाली थीं. केकड़ों के लिए ये बेहतरीन मौका था. सड़कों और अन्य इलाकों को पार करके अपनी मनचाही जगहों पर जाकर इन्होंने ढेर सारे केकड़े पैदा किए. हालात ये हैं कि इस समय बे ऑफ पिग्स इलाके के आसपास करोड़ों की संख्या में केकड़े मौजूद हैं.
बे ऑफ पिग्स के एक तरफ समुद्र. उसके किनारे-किनारे जंगल इन दोनों के बीच से निकलती सड़कों का फायदा केकड़ों को खूब मिला. ये इलाका क्यूबा के दक्षिणी छोर पर स्थित है. ज्यादातर समय ये केकड़े जब बाहर निकलते हैं, तो ये गाड़ियों के पहियों के नीचे आकर मारे जाते हैं. लेकिन पिछले दो सालों से इन्होंने जो उत्पात मचाया है, उसका नतीजा ये है कि ये आकार में बड़े हो गए हैं और संख्या में भी.
एक गाड़ी पार्किंग की सुरक्षा करने वाले गार्ड 46 वर्षीय एजेंल इराओला कहते हैं कि इस समय ट्रैफिक कम है. पिछले दो साल और कम रही. पर्यटन भी बेहद कम था. जिसकी वजह से केकड़ों का साम्राज्य बढ़ता चला गया. खाड़ी के किनारे चलने वाली ये सड़क पर्यटन के हिसाब से बेहतरीन जगह थी. लेकिन दो सालों से लोग नहीं यहां पर सिर्फ केकड़े ही दिखते हैं.
क्यूबा के पर्यावरण मंत्रालय के साइंटिस्ट रीनाल्डो संटाना एग्विलर ने कहा कि वैज्ञानिक ये पता करने की कोशिश कर रहे हैं कि ये इतनी जल्दी बाहर कैसे आ गए. क्या ये कोरोना काल में इनकी आबादी बढ़ने की वजह से हुआ है या किसी अन्य तरह का प्राकृतिक बदलाव है. इनका आबादी बढ़ना तो समझ में आता है लेकिन इस समय इनका विस्थापन समझ में नहीं आ रहा है. ये इस समय विस्थापित नहीं होते.
सर्दियों से राहत लेने के लिए जो पर्यटक क्यूबा में वसंत ऋतु में होने वाली बारिश का मजा लेने आए थे. वो इस समय दुनिया के सबसे बड़े विस्थापन से परेशान है. ये विस्थापन है इन केकड़ों का. सुबह से लेकर शाम तक इन केकड़ों का आना-जाना लगा हुआ है. ये घरों की दीवारों पर चढ़ जा रहे हैं. सड़कों पर कब्जा करके चलते रहते हैं. ऐसे लगता है कि जैसे कोई रंगीन लहर चल रही हो.
36 वर्षीय इटैलियन पर्यटक डायना जानोना ने कहा कि वो काफी ज्यादा घूमती हैं, लेकिन केकड़ों का कब्जा सिर्फ क्यूबा में देखने को मिला. उनके रंग काफी ज्यादा चटक हैं. वहीं, केकड़ों के लिए भी इंसानों का वापस आना, गाड़ियों का चलना आदि जबरदस्त झटका होगा. क्योंकि वो दो साल से आजादी में जी रहे थे. इंसान दिख नहीं रहा था.
केकड़ों से भरी सड़कों पर जब कारें, बसें और वैन चलते हैं तो केकड़ों के शव उनके टायरों से चिपके हुए मिलते हैं. सड़कों से कुर-कुर की आवाज आती है. कुछ लोग इन केकड़ों को मारने से बचाने के लिए कारों के आगे झाड़ू लगाते भी दिखते हैं. लेकिन सबसे बुरा लगता है मारे गए केकड़ों के शरीर से निकलने वाली दुर्गंध जो पूरे इलाके की हवा को प्रदूषित कर रही है.
Gulabi Jagat
Next Story