विज्ञान

पृथ्वी में मिले इन संकेतों ने जगाई वैज्ञानिकों की उम्मीदें...मंगल पर जीवन की संभावनाएं

Gulabi
6 Nov 2020 1:47 PM GMT
पृथ्वी में मिले इन संकेतों ने जगाई वैज्ञानिकों की उम्मीदें...मंगल पर जीवन की संभावनाएं
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पिछले कई दशकों से हमारे वैज्ञानिक मंगल ग्रह पर जीवन के संकेत खोजने में लगे हैं.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पिछले कई दशकों से हमारे वैज्ञानिक मंगल ग्रह (Mars) पर जीवन के संकेत (Signatures of life) खोजने में लगे हैं. अभी तक वैज्ञानिकों को इस बात के स्पष्ट संकेत नहीं मिले हैं कि मंगल पर वर्तमान में जीवन है. लेकिन वैज्ञानिकों को ऐसे प्रमाण जरूर मिले हैं कि मंगल की सतह पर कभी प्रचुर मात्रा में पानी (Water) रहा करता था. इसके साथ ही आज मंगल की सतह के नीचे (Subsurface) भी पानी होने के संकेत मिले हैं. लेकिन अभी तक मंगल पर जीवन के किसी तरह के संकेत नहीं मिले हैं. लेकिन पृथ्वी (Earth) के एक रेगिस्तान (Desert) में जमीन के 11 इंच नीचे उन्हें ऐसे सूक्ष्मजीवों (Microbes) की मौजूदगी मिली है जिससे उन्हें मंगल पर जीवन मिलने की उम्मीद बंधी है.





चिली (Chile) का सूखा रेगिस्तान (Desert) के हालातों और मंगल (Mars) के हालातों में काफी समानताएं मानी जाती हैं. अब इस रेगिस्तान की सूखी जमीन के अंदर सूक्ष्मजीवों (Microbes) के मिलने से अब वैज्ञानिकों को लगता है कि ऐसा ही कुछ मंगल ग्रह पर भी देखने को मिल सकता है. कॉर्नल यूनिवर्सिटी की टीम ने चिली के आटाकामा (Atacama) रेगिस्तान की सतह के 11 इंच के नीचे बहुत से सूक्ष्मजीवों की खोज की है. इससे इस सभावना को बल मिला है कि मंगल ग्रह की सतह पर ऐसे निपेक्षण हो सकते हैं

मंगल ग्रह (Mars) के गाले क्रेटर (Gale Crater) में इसी तरह की मिट्टी वाली चट्टान हैं और उनमें भी इसी तरह के सूक्ष्मजीवों (microbes) के घर हो सकते हैं शोधकर्ताओं को लगता है कि इस साल मंगल के लिए भेजे गए रोवर को जीवन की तलाश के लिए गाले क्रेटर के इलाके के पास नमूने लेने चाहिए. यह अध्ययन इस धारणा को बल देता है कि शुरुआत में मंगल पर शुरुआत के एक अरब साल तक ऐसे ही सतहें रही होंगी



वैज्ञानिकों ने आटाकामा (Atacama) के युंगे इलाके में काम किया और उन्हें ऐसे मिट्टी की परत मिली जिसकी जानकारी पहले कभी हासिल नहीं की गई थी. उन्हें वहां कम से कम 30 नमक खाने वाले सूक्ष्मजीवों (Microorganism) की प्रजातियां मिली. इन्हें मैटाबॉलिकली एक्टिव बैक्टीरिया और आर्किया कहते हैं. करोस्पॉन्डिंग लेखक अल्बर्टो जी फेयरेन ने बताया, "हमारी खोज सुझाती है कि इसी तरह की हालात मंगल पर अरबों साल रहे होंगे और ये आज भी कायम रह सकते हैं. इसी लिए मिट्टियां इतनी अहम हैं. वै जैविक पदर्थों को कायम रखती हैं और मंगल पर ये प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं.

नेचर में प्रकाशित शोध के मताबिक फेयरेन और उनकी टीम ने युंगे (Yungay) में एक जगह गड्ढा किया और मिट्टी (Soil Smaple) से नमूने जमा किए. 11 इंच की गहराई में उन्हें गीली मिट्टी के साथ बहुत सारे खनिज (minirals) मिले जिसमें क्वार्ट्ज अल्बाइट शामिल थे. शोधकप्ताओ ने चार इंच और गहराई में खुदाई की जहां उन्हें वही गीली परत मिली जिससे इस बात की पुष्टि हुई कि यहां दूर दूर तक पानी की सतत मौजूदगी है.





फेयरेन ने बताया, "हमारी जानकारी के मुताबिक यह आटाकामा (Atacama) के बीच में युंगे और अन्य अति सूखे इलाकों में मिट्टी से समृद्ध गीली परतों की पहली खोज है. टीम ने इस गीली मिट्टी का संबंध पिछले कई दशकों में हुई असामान्य रूप से हुई तेज बारिश (Rains) से जोड़ा है. लेकिन साल 2017 में युंगे में इतनी ज्यादा बारिश हुई थी कि वहां लैगून (Lagoon) तक बन गए थे. ऐसा पिछले 500 सालों में कभी नहीं दिखा


मंगल (Mars) पर शुरुआती पर्यावरण के हालातों के बारे में पता नहीं है, लेकिन पृथ्वी (Earth) पर आटाकामा (Atacama) युंगे और नाओचेन की मिट्टी और हेस्पेरियन युग के मंगल के इलाके बताते हैं कि युंगे की मिट्टी मंगल पर पहले भी यानि मंगल के निर्माण के एक अरब साल के बाद के समय भी रहे होंगे

नासा ने पहले मंगल (Mars) की कक्षा में सल्फेट और क्लोराइड पाए थे. ये पदार्थ पृथ्वी (Earth) के पर्यावरणों में सूखे इलाकों में पाए जाते हैं. ये पदार्थ मंगल की क्रेटर्स में भी आम हैं. इसी वजह से मंगल और आटाकामा(Atacama) रेगिस्तान के बीच समानता का बोध होता है. अध्ययन से पता चला है कि आटाकामा की सतह के बहुत ही कठिन हालात होने के बाद भी वहां की सतह के नीचे सक्रिय सूक्ष्मजीव (Microbes) मिले हैं मंगल की सतह के नीचे भी एक अरब साल पहले इस तरह के हालात रहे थे और उनका आज भी होना मुमकिन है.

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