विज्ञान

अध्ययन में खुलासा पैदा होते ही बहुत जल्दी उड़नें लेते थे ये डायनासोर, जाने और भी बहुत कुछ

Tara Tandi
26 July 2021 6:37 AM GMT
अध्ययन में खुलासा पैदा होते ही बहुत जल्दी उड़नें लेते थे ये डायनासोर, जाने और भी बहुत कुछ
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केवल जीवाश्मों के अध्ययन की मदद से हमारे जीवाश्म विज्ञानियों ने डायनासोर के संसार के बारे में काफी जानकारी हासिल की है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | केवल जीवाश्मों के अध्ययन की मदद से हमारे जीवाश्म विज्ञानियों (Palaeontologists) ने डायनासोर (Dinosaurs) के संसार के बारे में काफी जानकारी हासिल की है. फिर भी हमारे वैज्ञानिकों का मानना है कि इन विशालकाय और विचित्र जीवों के बारे में उन्हें काफी कम जानकारी है. लेकिन हर बार नए शोध डानसायोर के बारे में नई जानकारियां देकर हमें चौंकाते रहते हैं. नए अध्ययन में इस बार शोधकर्ताओं ने उड़ने वाले पिटेरोसॉरस (Pterosaurs) डायनासोर के बारे में पता लगाया है कि वे पैदा होने के बाद जल्द ही अपने पंख फड़फड़ा कर उड़ने में सक्षम हो जाया करते थे.

यूनिवर्सिटी ऑफ साउथैम्पटन में स्कूल ऑफ बायोलॉजिकल साइंसेस के जीवाश्म विज्ञानी डॉ डैरेन नैश की अगुआई में हुए नए शोध में यह चौंकाने वाली बात पता चली है कि नवजात शिशु पिटेरोसॉरस की ह्यूमरस हड्डी व्यस्क पिटेरोसॉरस की तुलना में ज्यादा मजबूत हुआ करती थी.

उड़ने में सक्षम

इस बात से साफ जाहिर होता है कि नवजात पिटेरोसॉरस पैदा होते ही उड़ने के लिए पर्याप्त रूप से शक्तिशाली थी. यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल के स्कूल ऑफ अर्थ साइंस की जीवाश्म विज्ञानी डॉ एलिजाबेथ मार्टिन सिल्वरस्टोन का कहना है कि इस बारे में बहुत से विवाद हुए हैं कि क्या शिशु पिरेटोसॉरस उड़ सकते हैं या नहीं. लेकिन पहली बार इसका बायोकैमिकल नजरिए से अध्ययन हुआ है.

एक खास तरह का मॉडल बनाया

डॉ सिल्वरस्टोन ने बताया कि यह खोजना वाकई रोमांचक था कि छोटे पंख होने के बाद भी वे इस तरह के बने थे जिससे वे उड़ने के लिए पर्याप्त रूप से ताकतवर थे. इस अध्ययन में डॉ ने नैश, डॉ सिल्वरस्टोन और यूनिवर्सिटी ऑफ पोर्ट्समाउथ में स्कूल ऑफ एनवायर्नमेंट, जियोग्राफी और जियोसांसेस के उनके साथी डॉ मार्क विटोन ने नवजात पिरेटोसॉरस के उड़ने की क्षमताओं का मॉडल बनाया

किसका किया अध्ययन

शोधकर्ताओं ने पहले से पाए गए क्रिटेशयस काल के पिटोरोडॉस्ट्रो गुइनॉजुई और साइनोपिटेरस डोंगी नाम के दो पिटेरोसॉसर प्रजातियों के पंखों के मापन का उपयोग किया जो चार स्थापिक अंडों से निकलने और भ्रूण जीवाश्म के थे. जीवाश्म विज्ञानियों ने इन पंखों के मापन की तुलना उन्हीं प्रजातियों के 22 व्यस्क पिरेटोसॉरस से भी और उनकी ह्यूमरस हड्डी की ताकत की तुलना भी की.

कैसे थे पंख

शोधकर्ताओं ने पाया कि अंडों से निकलने वाली हड्डियां बहुत सारे व्यस्क पिरेटोसॉरस की हड्डियों से ज्यादा मजबूत थीं. इससे पता चलता है कि वे उड़न भरने के लिए पर्याप्त रूप से ताकतवर रहे होंगे.डॉ वटोन ने बताया कि उन्होंने इन छोटे जानवरों के पंखों का फैलाव सेमी का पाया और उनका शरीर आसानी से हाथ में आ जाने वाला पाया और वे बहुत ही मजबूत सक्षम उड़ने वाले थे. उनकी हड्डियां उड़ान शुरू करने और फंख फड़फड़ाने के लिए ताकतवर थीं और उन्हें उड़ने के लिए ग्लाइडिंग की जरूरत नहीं थी.

व्यस्कों से सौ गुना छोटे

शोधकर्ताओं ने बताया कि शिशु पिरेटोसॉरस अपने अविभावकों की तरह नहीं उड़ सकते थे क्योंकि वे बहुत छोटे हुआ करते थे. वे अपने व्यस्क अविभावकों से सौ गुना छोटे हुआ करते थे. फिर भी वे धीमे होने के बाद भी फुर्ती से उड़ाकर करते थे. शोधकर्ताओं ने पाया कि इनके अंडों की हैचलिंग लंबी हुआ करती थी. उनके पंख व्यस्कों के मुकाबले छोटे पर चौड़े हुआ करते थे.

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साइंटिफिक रिपोर्ट्स जर्नल में प्राकशित इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया है कि शिशु पिरेटोसॉरस के पंखों की आकार की वजह से वे अपने दिशा और गति तेजी से बदलने में सक्षम थे. इस फुर्ती से उड़ने वाली स्टाइल की वजह से ही वे शिकारियों से तेजी से बच भी सकते थे. लेकिन वे खुद फुर्ती से शिकार कर लेते थे.

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