- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- विज्ञान
- /
- पृथ्वी के करीब से...
x
आज हमारी पृथ्वी के करीब से 3 एस्टरॉयड (Asteroid) गुजरने वाले हैं। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) ने यह जानकारी दी है। तीनों ही एस्टरॉयड पृथ्वी के लिए ‘संभावित रूप से खतरनाक' की कैटिगरी में हैं। इसका मतलब है कि इनकी दिशा में परिवर्तन होने और फोकस पृथ्वी की ओर होने पर ये हमारे ग्रह पर बड़ी तबाही ला सकते हैं। धरती के करीब आ रहा एक एस्टरॉयड जिसे (2023 KS) के नाम से जाना जाता है, सबसे ज्यादा चिंताजनक है। जब यह पृथ्वी के करीब होगा, तब दोनों के बीच दूरी 2.35 लाख किलोमीटर रह जाएगी।
कुछ लाख किलोमीटर की दूरी अंतरिक्ष में मामूली मानी जाती है। वैज्ञानिक उन एस्टरॉयड्स को ‘संभावित रूप से खतरनाक' मानते हैं, जो पृथ्वी से 80 लाख किलोमीटर या उससे भी कम दूरी से होकर गुजरते हैं। इन एस्टरॉयड्स को टेलिस्कोपों की मदद से मॉनिटर किया जाता है। हरेक एस्टरॉयड को एक नाम दिया जाता है, जिसकी शुरुआत नंबरों से होती है।
आज पृथ्वी के करीब आ रहे तीनों एस्टरॉयड का शुरुआती नंबर 2023 है। यानी इन्हें इसी साल खोजा गया है। इनमें 2023 KS नाम का एस्टरॉयड सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण है। करीब 36 फुट का एस्टरॉयड एक बस जितना बड़ा हो सकता है। यह अपोलो समूह के एस्टरॉयड्स का हिस्सा है। जैसाकि हमने बताया, जब यह ‘चट्टानी आफत' पृथ्वी के करीब होगी, तब दोनों के बीच 2.35 लाख किलोमीटर रह जाएगी। ऐसे एस्टरॉयड अपनी दिशा बदलकर पृथ्वी से टकरा जाएं, तो तबाही ला सकते हैं।
वैज्ञानिक मानते आए हैं कि करोड़ों साल पहले धरती से डायनासोरों का खात्मा एक एस्टरॉयड की टक्कर से मचे विनाश के कारण ही हुआ था। पृथ्वी के नजदीक आज रहा एक और एस्टरॉयड है- (2023 JK3)। यह करीब 93 फुट चौड़ा है यानी एक एयरोप्लेन जितना बड़ा। जब यह पृथ्वी के करीब होगा, तब दोनों के बीच दूरी 6 लाख 22 हजार किलोमीटर रह जाएगी। अंतरिक्ष के हिसाब से यह भी बहुत कम है। यह एटन (Aten) एस्टरॉयड्स का हिस्सा है। ये ऐसे एस्टरॉयड होते हैं, जो पृथ्वी को क्रॉस करते हैं।
इन दोनों एस्टरॉयड्स के अलावा आज (2023 KQ) नाम की एक और अंतरिक्ष चट्टान पृथ्वी के करीब आ रही है। यह तीनों में सबसे बड़ी है, जो करीब 110 फुट की हो सकती है। जब यह एस्टरॉयड पृथ्वी के करीब होगा, तब दोनों के बीच दूरी 51 लाख 70 हजार किलोमीटर रह जाएगी। नासा का अभी तक अनुमान यही है कि तीनों एस्टरॉयड पृथ्वी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाएंगे। हालांकि वैज्ञानिक इन्हें तब तक मॉनिटर करेंगे, जबतक ये पृथ्वी से बहुत दूर नहीं चले जाते।
Next Story