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अगस्त 2021 के महीने में आसमान बेहद दिलकश रहने वाला है। शनि धरती के करीब आ चुका है और शाम को सितारे की तरह चमकता दिखता है
अगस्त 2021 के महीने में आसमान बेहद दिलकश रहने वाला है। शनि धरती के करीब आ चुका है और शाम को सितारे की तरह चमकता दिखता है और रात का आसमान रोशन कर रही है उल्कापिंडों की बारिश। जुलाई से लेकर अगस्त के बीच होता है Perseid Meteor Shower जब उल्कापिंड धरती के बेहद करीब से गुजरते हैं। जब यह अपने चरम पर पहुंचा तो आसमान में खूबसूरत बारिश जैसा नजर आया। इन्हें शूटिंग स्टार भी कहते हैं लेकिन असल में ये सितारे नहीं होते।
कब देखें?
2021 में Perseids उल्का बौछार 14 जुलाई से 24 अगस्त तक चलेगा, लेकिन 11 और 14 अगस्त के बीच यह बौछार चरम पर होगा। सामान्य रूप से इस नजारे को सबसे अच्छा देखने का समय भोर से पहले होता है। इस दौरान चूंकि, चंद्रमा केवल 13 फीसदी पूर्ण होगा, इसलिए उल्कापिंडो की रोशनी काफी दिखाई देनी चाहिए। Perseid हर साल होने वाले सबसे अहम Meteor Shower में शुमार होता है।
क्यों खास हैं Perseid?
NASA के मुताबिक हर साल इस दौरान कई उल्कापिंड देखे जा सकते हैं। जुलाई में इनका सिलसिला शूरू होता है और अगस्त के आखिर तक चलता है। अगस्त के बीच में ये अपने चरम पर होते हैं। Perseid किसी ऐस्टरॉइड नहीं बल्कि Comet यानी धूमकेतु Swift Tuttle से निकले उल्कापिंड हैं। ये खास उल्कापिंड बेहद चमकीले फायर बॉल जैसे होते हैं। इसलिए इन्हें देखा जाना आसान है।
कैसे देखें?
इसके लिए रात के वक्त चांद की रोशनी में छत पर लेटकर आंखों को करीब आधे घंटे के लिए अंधेरे का आदी होने दें। आसपास की रोशनी से उल्कापिंड को देखना मुश्किल हो सकता है। खुले मैदानों या शहर की चकाचौंध से दूर ये साफ देखे जा सकते हैं। यूं तो आसमान साफ और अंधेरा होने पर इन्हें यूं ही देखा जा सकता है, टेलिस्कोप जैसे उपकरण होने से आसमान के एक हिस्से पर फोकस करना आसान हो जाता है और तस्वीर भी साफ आती है।
क्या होते हैं उल्कापिंड?
उल्कापिंड ऐस्टरॉइड यानी स्पेस की चट्टान का हिस्सा होते हैं। किसी वजह से ऐस्टरॉइड के टूटने पर उनका छोटा सा टुकड़ा उनसे अलग हो जाता है जिसे उल्कापिंड यानी meteoroid कहते हैं। जब ये उल्कापिंड धरती के करीब पहुंचते हैं तो वायुमंडल के संपर्क में आने के साथ ये जल उठते हैं और हमें दिखाई देती एक रोशनी जो Shooting Star यानी टूटते तारे की तरह लगती है लेकिन ये वाकई में तारे नहीं होते। इन्हें Meteor कहा जाता है और ढेर सारे उल्कापिंडों की बरसात को Meteor Shower कहते हैं।
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