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मूल भाग में लग रही है जंग, शोध में मिले विनाशकारी संकेत क्या पृथ्वी के 2,900 km अंदर

Admin4
27 May 2022 4:09 PM GMT
मूल भाग में लग रही है जंग, शोध में मिले विनाशकारी संकेत क्या पृथ्वी के 2,900 km अंदर
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। नई दिल्ली, 26 मई: धरती के अंदर उथल-पुथल मची हुई है, इसके प्रमाण तो आए दिन होने वाली भूकंप की घटनाओं से मिलते रहते हैं। लेकिन, अब वैज्ञानिकों ने एक ऐसा रिसर्च किया है, जो नीले ग्रह को लेकर बहुत ही विनाशकारी संकेत दे रहा है। दरअसल, पृथ्वी का मूल भाग लोहे और निकल जैसे धातुओं से मिलकर बना हुआ है। धरती की उत्पत्ति में इनका बहुत बड़ा योगदान रहा है। लेकिन, अब वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि ऐसा लगता है कि इन धातुओं में भी जंग लगने लगी है। सब जानते हैं कि जंग तो लोहे का दुश्मन है। क्योंकि, धीरे-धीरे यह उसे बर्बाद कर देता है।

पृथ्वी के मूल भाग में जंग!
पृथ्वी की सतह के करीब 2,900 किलोमीटर नीचे इसका मूल भाग लोहे और निकल के मिश्रण से बना हुआ है। धरती के विकास में इन धातुओं ने बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। लेकिन, प्रयोगशालाओं में किए गए नए शोध ने वैज्ञानिकों का माथा ठनका दिया है। इसमें संकेत मिला है कि पृथ्वी के भीतरी भू-भाग में मौजूद लौह धातु भी जंग लगने की वजह से प्रभावित हो सकती है, जो कि लोहे का सबसे बड़ा दुश्मन मानी जाती है।
पृथ्वी के भीतर कैसे लग सकती है जंग ?
जंग लगना एक रासायनिक प्रतिक्रिया है, जो तब होता है, जब लोहा नम हवा या ऑक्सीजन युक्त पानी के संपर्क में आता है। लोहे के काम करने वाले कारीगरों के लिए यह हमेशा से एक चिंता की वजह रही है। धरती का मूल हिस्सा पिघले हुए लोहे से बना हुआ है और नए शोध में यह बात सामने आई है कि इसमें भी जंग लग सकती है। इस शोध का नतीजा एडवांसिंग अर्थ एंड स्पेस साइंस में प्रकाशित हो चुका है।
शोध में क्या पता चला है ?
प्रयोग के दौरान यह बात सामने आई है कि जब लोहा करीब 10 लाख वायुमंडलीय दबाव में पानी या हाइड्रॉक्सिल मिनरल के संपर्क में आता है, तो इसकी वजह से आयरन पेरॉक्साइड बनता है, जिसकी संरचना पाइराइट की तरह की होती है, जो कि जंग लगने का संकेत दे रहा है। इस प्रयोग ने इसलिए वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ा दी है, क्योंकि जिस दबाव वाली स्थिति में यह किया गया है, वह धरती के आंतरिक मेंटल की स्थिति से मेल खाता है।
धरती के आंतरिक अध्ययन का बदल सकता है तरीका
वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि धरती की सतह के अंदर की और ज्यादा वास्तविक हालात की जानकारी उन्हें ज्वालामुखी विस्फोट से निकले धुएं के विशाल गुबार से मिल सकता है। इस नए नजरिए के सामने आने के बाद पृथ्वी के अंदर चल रही गतिविधियों को समझने और उसपर काम करने का तरीका बदल जाएगा। धरती के सभी वैश्विक हिस्सों से अलग, पृथ्वी के कोर और मेंटल के बीच की आंतरिक रासायनिक संरचना और उसके भौतिक गुणों में बहुत ज्यादा अंतर है। वैज्ञानिकों के मुताबिक यदि कोर-मेंटल बाउंड्री (सीएमबी) पर समय के साथ जंग लग रही है तो जरूर कुछ ना कुछ भूकंपीय संकेतों को प्रदर्शित करने वाली एक परत जमा हो चुकी होगी।
नीले ग्रह के लिए विनाशकारी संकेत तो नहीं ?
वैज्ञानिकों के मुताबिक प्रयोग से पता चलता है कि इस जंग की वजह से भूकंपीय वेग और संकुचित तरंगों में काफी कमी आई हो सकती है। यह कमी धरती के मूल हिस्से में लग रही जंग को तब पहचाने लायक बना सकती है, जब इसकी परत तीन से पांच किलोमीटर मोटी हो। हालांकि, वैज्ञानिक अभी तक ये नहीं पता लगा पाए हैं कि जंग लगने की शुरुआत की वजह क्या रही होगी। यानी शोध से यह तो पता चला है कि धरती के मूल हिस्से में जंग लग रही होगी, लेकिन इस घटना की वजह का पुख्ता प्रमाण जुटाना बहुत कठिन है। वैसे, वैज्ञानिकों को भरोसा है कि और ज्यादा शोध के बाद वह इसकी भी पड़ताल कर सकते हैं। लेकिन, सवाल है कि अगर, धरती के अंदर वाकई जंग लगने की यह प्रक्रिया चल रही है तो इस नीले ग्रह का भविष्य कितना सुरक्षित है


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