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सभी जीवों की तरह जानवरों में बदलाव उनके विकासक्रम का हिस्सा होता है
सभी जीवों की तरह जानवरों (Animals) में बदलाव उनके विकासक्रम का हिस्सा होता है. इसमें प्राकृतिक कारकों के साथ ही मानवजनित कारक भी शामिल होते हैं भले ही इंसान को इसकी जानकारी हो या ना हो. हर साल हजारों जंगली जानवरों को मुश्किल हालात से बचाया जाता है. इसमें जख्म, बीमारी, माता-पिता की मौत के बाद अचानक सुरक्षा का ना होना, जैसे की कारण हैं जहां इंसानों ने जनवरों की मदद की है जिससे ये जीव सुरक्षित स्थितियों में पहुंच सकें. नए अध्ययन में पता चला है कि जानवरों की खुराक (Animal Diet) उनकी खोपड़ी के विकास (Skull में बाधक हो सकती है. जिसके कई प्रभाव देखे जा सकते हैं.
इस तरह से देखभाल किए गए जानवरों (Animals) की देखभाल करते समय वह खुराक नहीं मिल पाती जो वे सामान्य तौर पर हासिल करते हैं. पाले गए या निगरानी में रखे गए जानवरों की खुराक उनका सामान्य खुराक (Diet) से बहुत अलग इसलिए हो जाती है क्योंकि उन्हें प्रसंस्कृत, प्री प्रोटीन भोजन दिया जाता है जिसमें तैयार मांस, फल और अन्य तरह के भोजन (Food) दिया जात है. इस तरह के भोजन से जानवरों के लिए जरूरी पोषण की मांग तो पूरी हो जाती है, लेकिन जंगलों की तुलना में यह भोजन आसानी से मिलने वाला होता है. यह उन युवा जानवरों के लिए नुकसानदेह होता जो फिट और मजबूत होना चाहते हैं.
फिलिंडर्स यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता डी रेक्स मिचेल और उनके साथियों के शोध में दर्शाया गया है कि विशेषतौर पर नरम खुराक कैसे बढ़ते जानवरों (Animals)की खोपड़ी के विकास में बाधक होती है. पिछले कुछ दशकों में पकड़े गए बहुत से जानवरों का दस्तावेजीकरण हुआ है जिनमें शेर, बंदर, जैसे कई जानवर शामिल हैं जिनमें पाया गया कि उनके जगंली साथी जीवों की खोपड़ी (Skulls) का आकार अलग हो गया था. ये अंतर विशेषतौर पर उन हड्डियों और मांसपेशियों में प्रमुखता से पाया गया जिनका संबंध खाने से होता है. इससे शोधकर्ता इस नतीजे पर पहुंचे कि ऐसा खुराक (Diet) में अंतर की वजह से हुआ था.
इंटीग्रेटिव ऑरगैनिज्मल बायोलॉजी जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में शोधकर्ताओं ने अपने शोध में यह जानने के प्रयास किया कि क्या बढ़ते जानवरों (Animals)की खुराक, जिसमें काटने की ज्यादा भूमिका नहीं हैं, व्यस्क हने पर उसकी खोपड़ी (Skull) की बनावट पर असर डाल सकती है . शोधकर्ताओं को इस सवाल के जवाब की तलाश के लिए बहुत बड़ा डेटा सेट मिलगया. साल 2012 में कई अलगअलग शोधकार्यों के ले 40 चूहों (Mice) को व्यस्क होने तक नियंत्रित आहार (Diet) दिया गया. कुछ लोगों को ऐसे दाने दिए गए जिनमें बहुत ही काटने और चबाने की जरूरत थी, जबकि अन्य को केवल पिसा हुआ भोजन दिया गया जिससे उन्हें उसे चबाना नहीं पड़ा. इसके बाद सभी का सीटी स्कैन लिया गया.
सभी चूहों (Mice) के स्कैन का उपोयग करते हुए शोधकर्ताओं ने हर चूहे की खोपड़ी का त्रिआयामी डिजिटल मॉडल बनाया और बाइट सिम्यूलेशन (Simulation) बनाया जिससे वे एक बार काटने या चबाने पर खोपड़ी में होने वाले दबाव की मात्रा की तुलना कर सकें. ज्यादा दबाव का मतलब था कि ज्यादा पतली हड्डी. हड्डियों (Bones) के बारे में आम तौर पर माना जाता है कि वे सरल, लेकिन कठोर वस्तु होती हैं. लेकिन ये हड्डियां वास्तव में एक जटिल जीवित ऊतक होती हैं जो अपने काम के हिसाब से खुद को ढालते भी हैं. जब भी किसी काम के लिए हड्डी का उपयोग होता है तो वे थोड़ी सी मुड़ जाती हैं. जितनी ज्यादा बार ये हड्डियां मुड़ती हैं तो समय के साथ वे मोटी होती जाती हैं
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