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विज्ञान
दुनिया की सबसे रंगीन मछली का चला पता, शरीर में मिले लगभग सारे रंग
jantaserishta.com
18 March 2022 5:45 AM GMT
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सिडनी: खूबसूरती का कोई पैमाना नहीं होता. बात होली की हो तो खूबसूरती का मतलब है रंग. आप जिस मछली की तस्वीर देख रहे हैं, उसे दुनिया की सबसे रंगीन मछली यानी मल्टीकलर्ड फिश (New Multicolored Fish) माना गया है. इस मछली के शरीर में लगभग सारे रंग हैं. इसे मालदीव (Maldives) के समुद्र में खोजा गया है. इस मछली की प्रजाति को लेकर पहले वैज्ञानिकों में कन्फ्यूजन था, लेकिन हाल ही में यह पता चला कि यह रंगीन मछली की अलग प्रजाति ही है. जो गहरे समुद्र में मौजूद कोरल रीफ्स में रहती है. जिसे ट्वीलाइट रीफ्स (Twilight Reefs) भी कहते हैं.
सबसे रंगीन यानी मल्टीकलर्ड फिश (Multicolored Fish) को इंद्रधनुषी मछली (Rainbow Fish) भी बुलाया जा रहा है. फिलहाल इसे रोज-वील्ड फेरी रासे (Rose-veiled fairy wrasse) नाम दिया गया है. इसकी प्रजाति का नाम है सिरहीलैब्रस फिनिफेन्मा (Cirrhilabrus finifenmaa). यह बहुत समय तक रेड वेलवेट फेयरी रासे यानी सिरहीलैब्रस रुब्रिसक्वामिस (Cirrhilabrus rubrisquamis) की संबंधी मानी जाती रही है. लेकिन हाल ही में हुई वैज्ञानिक जांच में पता चला कि यह अलग ही प्रजाति है.
नेशनल ओशिएनिक एंड एटमॉस्फियरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) के मुताबिक रोज-वील्ड फेयरी रासे (Rose-veiled fairy wrasse) पूरे पश्चिमी हिंद महासागर में मिलती है. असल में यह प्रजाति और सिरहीलैब्रस रुब्रिसक्वामिस मिसोफोटिक कोरल रीफ्स में ही रहती हैं. यानी उन मूंगा पत्थरों के बीच जो 100 से 490 फीट की गहराई में मिलती हैं. रोज-वील्ड फेरी रासे (Rose-veiled fairy wrasse) यानी सिरहीलैब्रस फिनिफेन्मा (Cirrhilabrus finifenmaa) को सबसे पहले 1990 में ही खोजा गया था. लेकिन इसे रेड वेलवेट फेयरी माना जा रहा था.
हाल ही में वैज्ञानिकों को पता चला कि रंगों के चक्कर में कुछ कन्फ्यूजन हो गई, जिससे इस रोज-वील्ड फेयरी रासे (Rose-veiled fairy wrasse) को रेड वेलवेट फेयरी माना जाने लगा. फिर शोधकर्ताओं ने इस सतरंगी मछली के नए स्पेसिमेन जमा किए. पता चला कि मादा रोज-वील्ड फेरी रासे (Rose-veiled fairy wrasse) में लाल, गुलाबी और नीला रंग ज्यादा है. जो उसे रेड वेलवेट फेयरी से मिला देता है. लेकिन नर मछली में ज्यादा नारंगी और पीला रंग शामिल है. साथ ही रोज वील्ड फेयरी के शरीर पर कुछ स्थानों पर स्केल की मात्रा ज्यादा है.
रोज-वील्ड फेरी रासे (Rose-veiled fairy wrasse) के पिछले फिन ज्यादा लंबी होती हैं. इसके बाद जब रेड वेलवेट फेयरी फिश के साथ DNA विश्लेषण कराया गया तो पता चला कि ये दोनों एकदम अलग प्रजाति की मछलियां हैं. जांच में यह भी पता चला कि रोज-वील्ड फेरी रासे (Rose-veiled fairy wrasse) यानी सिरहीलैब्रस फिनिफेन्मा (Cirrhilabrus finifenmaa) को भौगोलिक क्षेत्र बहुत कम है, जबिक रेड वेलवेट फेयरी फिश यानी सिरहीलैब्रस रुब्रिसक्वामिस (Cirrhilabrus rubrisquamis) का ज्यादा है.
ऑस्ट्रेलिया स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी के डॉक्टोरल स्टूडेंट यी-काई ती ने एक बयान जारी करके कहा कि ये दोनों ही मछलियां अलग-अलग प्रजाति की हैं. दोनों के अलग-अलग फीचर्स हैं. इनकी बाहरी शारीरिक संरचना ही इनकी खासियत है. इन्हें संरक्षित रखने के लिए कुछ कदम उठाए जाने जरूरी हैं. हमने अलग-अलग जगहों से 8 नई प्रजातियों को खोजा है. सिरहीलैब्रस फिनिफेन्मा (Cirrhilabrus finifenmaa) में फिनिफेन्मा का मालदीव में धिवेही भाषा में गुलाब कहा जाता है. ऐसा पहली बार हुआ है कि जब किसी मालदीव के शोधकर्ता ने स्थानीय मछली की प्रजाति को साइंटिफिक नाम दिया गया है.
मालदीव मरीन रिसर्च इंस्टीट्यूट के बायोलॉजिस्ट अहमद नजीब के अनुसार मालदीव के आसपास मछलियों की 1100 प्रजातियां हैं. नजीब ने बताया कि सिरहीलैब्रस फिनिफेन्मा (Cirrhilabrus finifenmaa) की आबादी तेजी से कम हो रही हैं. यह मछली स्थानीय मछुआरों द्वारा पकड़ कर एक्वेरियम व्यवसाय के लिए बेंची जाती है. इसका व्यवसाय हर साल करीब 2508 करोड़ का है. इस सतरंगी मछली की स्टडी रिपोर्ट हाल ही में ZooKeys जर्नल में प्रकाशित हुई है.
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