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दुनिया का सबसे लंबा प्रयोग, 142 साल बाद बीजों से निकला अंकुर, साइंटिस्ट हैरान भी और खुश भी, जानिए क्या है मकसद?

jantaserishta.com
14 May 2021 4:40 AM GMT
दुनिया का सबसे लंबा प्रयोग, 142 साल बाद बीजों से निकला अंकुर, साइंटिस्ट हैरान भी और खुश भी, जानिए क्या है मकसद?
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करीब 142 साल पहले बीजों को मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी में बोतलबंद करके दफना दिया गया था. अब जाकर उसमें अंकुर निकले हैं. यह दुनिया के सबसे लंबे प्रयोगों में से एक हैं. ये आज भी चल रहा है. 23 अप्रैल को 1879 से बोतलबंद 11 बीज अंकुरित हुए हैं. इसे देखकर यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट हैरान भी हैं और खुश भी. आइए जानते हैं इतने लंबे प्रयोग के पीछे क्या मकसद है? इससे क्या हासिल होने वाला है?

मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी में बॉटनी के प्रोफेसर डॉ. डेविड लोरी 23 अप्रैल को अपने विभाग के बेसमेंट में गए. वहां उन्होंने चैंबर में रखे इन बोतलों को देखा तो बाहर की तरफ कुछ मिट्टी गिरी हुई थी. ध्यान से देखने पर इन बीजों से दो पत्ते वाले अंकुर निकले दिखाई दिए. प्रो. लोरी ने कहा कि यह एक हैरतअंगेज मौका था.
साल 1879 में वनस्पति विज्ञानी विलियम जेम्स बील (Botanist William James Beal) ने मिशिगन के ईस्ट लैन्सिंग इलाके और आसपास से कुछ बीज जमा किए. उन्होंने इन बीजों को बोतलों में मि्ट्टी के साथ भरकर मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी के कैंपस में एक सीक्रेट जगह पर छिपा दिया. वो सिर्फ ये जानना चाहते थे कि क्या इन बोतलों के बीज सालों, दशकों या सदियों बाद भी पनपेंगे या नहीं.
अप्रैल के महीने में डॉ. लोरी और उनके चार साथियों ने इन बोतलों को खोजने की कवायद शुरू की. काफी खोजने के बाद उन्हें एक बोतल मिली. इन लोगों ने बोतल से मिट्टी निकालकर एक चैंबर में डाल दी. इस दौरान इन्हें मिट्टी के अंदर 11 बीज दिखाई दिए. यह देखने के लिए इसमें क्या होता है. अप्रैल के अंत और मई के शुरआत में इन्हें मिट्टी के अंदर से अंकुर निकलते दिखाई दिए.
हैरानी की बात ये है कि इनमें से एक छोटा पौधा विचित्र है. उसके पत्तों पर महीने रेशे और नुकीले किनारे हैं. जबकि सामान्य पौधे लग रहे हैं. प्रो. डेविड लोरी ने कहा कि रेशे और नुकीले किनारों वाले पौधे को छोड़कर बाकी Verbascum blattaria लग रह हैं. यह एक लंबा पौधा होता है, जिसपर फूल उगते हैं. इसे आमतौर पर मोथ मुलेन (Moth Mullein) कहा जाता है.
इस प्रजाति के पौधों की शुरुआत साल 1800 में उत्तरी अमेरिका में हुई थी. ये काफी लंबे समय जीवित रहते हैं. प्रो. लोरी ने बताया कि विलियम जेम्स बील ने कहा कई प्रजातियों के पौधों के बीजों को सुरक्षित रखा था. हमें बाद में जो 11 बोतलें मिली हैं, उनमें से बोतलों में Verbascum thapsus प्रजाति के पौधों के बीज हैं. लेकिन ये ज्यादा विकसित नहीं हो पाए.
Verbascum blattaria के बीज 9वीं बोतल में निकला था. विलियम जेम्स बील ने Verbascum blattaria के 50 बीजों को अलग अलग बोतलों में रखा था. हर चार या पांच दशक के बाद इन बोतलों को खोजा गया और इनमें से ज्यादातर सही तरीके से अंकुरित होते आए हैं. इनका रिकॉर्ड मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी के बॉटनी डिपार्टमेंट के रिकॉर्ड में मौजूद है.
डॉ. लोरी ने बताया कि 142 साल के बाद जब इन बीजों को सूरज की रोशनी और गर्मी मिली तो ये नींद से जाग गए. इनमें वापस जीवन उत्पन्न करने की इच्छा जागी और देखिए अब ये बीज वापस से अंकुरित हो रहे हैं. इसका मतलब ये है कि सदियों पुराने बीज भी वापस सही परिस्थित मिलने पर पौधे का रूप ले सकते हैं.
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