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चीन ने चंद्रमा पर एक ऐसी खोज की है, जिसने दुनियाभर की अंतरिक्ष एजेंसियों को हैरान कर दिया है, खासतौर पर नासा (Nasa) और अमेरिका को। यही वजह है कि चीन अगले 10 साल में चंद्रमा पर तीन मून मिशन लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है, जिसका उसने ऐलान भी कर दिया है। माना जा रहा है कि स्पेस में अगला बड़ा मुकाबला 'स्पेस माइनिंग' को लेकर हो सकता है। इसके लिए नासा और चीनी अंतरिक्ष एजेंसी के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा हो सकती है। जिस नए मिनिरल की खोज चंद्रमा पर की गई है, आखिर वह क्या है? उसका क्या इस्तेमाल हो सकता है और चीन भविष्य में नासा को चंद्रमा से जुड़े मिशनों में कितनी चुनौती दे सकता है, आइए जानते हैं।
सबसे पहले बात उस खोजे गए नए मिनिरल की। हाल में चीन ने बताया है कि उसने अपने Chang'e-5 मिशन से मिले सैंपल्स के जरिए एक नए चंद्र खनिज (मिनिरल) की खोज की है। इसे चेंजसाइट- (वाई) (Changesite-(Y) नाम दिया गया है। सिन्हुआ न्यूज एजेंसी ने इसे एक तरह के रंगहीन पारदर्शी क्रिस्टल बताया है। कहा जाता है कि इसमें हीलियम-3 है, जो एक आइसोटाइप है और जिसे भविष्य का ऊर्जा का स्रोत माना जाता है। हालांकि हीलियम-3 कोई नई खोज नहीं है, जो बात इसमें नई है वह यह कि चीनी रिसर्चर्स का कहना है कि उन्होंने चंद्रमा के सैंपल्स में इस दुर्लभ आइसोटोप का कन्सन्ट्रेशन पाया है।
A new mineral, Changesite-(Y), was discovered from the moon samples retrieved by #China's Chang'e-5 probe, making China the third country to discover a new mineral on moon, Chinese authority said on Friday. pic.twitter.com/XjatWOtraY
— Global Times (@globaltimesnews) September 9, 2022
हीलियम-3 की मौजूदगी पृथ्वी पर दुर्लभ है और माना जाता है कि चंद्रमा पर यह काफी मात्रा में मौजूद है। इसे चंद्रमा पर मौजूद 'तेल' कहा जा सकता है, जिसकी बहुत उपयोगिता है और इसीलिए दुनिया के बड़े देशों की नजर चंद्रमा पर है। अगर इसे पृथ्वी पर लाना मुमकिन हो, तो यह काफी काम आ सकता है। जैसे- इसकी मदद से परमाणु ऊर्जा का स्वच्छ तरीके से उपयोग किया जा सकता है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, ना सिर्फ स्वच्छ परमाणु ऊर्जा बल्कि एक दिन हीलियम -3 हमारे स्पेसक्राफ्टों को भी पावर दे सकने में सक्षम हो सकता है। इसका मतलब है कि अगर चंद्रमा पर हीलियम-3 की माइनिंग शुरू हो जाती है और उससे स्पेसक्राफ्ट को फ्यूल मिलने लगता है, तो भविष्य के मिशनों के दौरान स्पेसक्राफ्टों को ईंधन भरने के लिए पृथ्वी पर आने की जरूरत नहीं होगी।
ऐसा पहली बार है जब दुनिया को चंद्रमा के सैंपल्स में हीलियम -3 के कन्सन्ट्रेशन के बारे में पता चला है और चीन ने सिर्फ उतना ही बताया है, जितना जानना चाहिए। यानी कई बातें अभी छुपाई गई हो सकती हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि चीन और अमेरिका जैसे देशों के बीच आने वाले वर्षों में अंतरिक्ष को लेकर बड़ी प्रतिस्पर्धा होगी। अमेरिका की नासा दुनिया की सबसे बड़ी स्पेस एजेंसी है और कई साल पहले इंसान को चंद्रमा पर लैंड करा चुकी है, लेकिन उसका आर्टिमिस 1 मिशन अबतक लॉन्च नहीं हो पाया है। अगले 10 साल में नासा और चीन दोनों चंद्रमा पर अपने एस्ट्रोनॉट उतार सकते हैं। दोनों देशों की अंतरिक्ष एजेंसियां वहां खोज करने के लिए जुटेंगी। जो भी चंद्रमा के रिसोर्सेज को पहले खोजेगा और उन्हें हासिल के लिए रणनीति बनाएगा, वह स्पेस मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में दबदबा बना सकता है।
Gulabi Jagat
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