विज्ञान

को मंगल ग्रह का चक्कर लगाते समय स्पेसक्राफ्ट में कैद हुआ अनोखे नजारा... जिसे देखकर वैज्ञानिक भी हैरान

Bharti sahu
4 Dec 2021 12:59 PM GMT
को मंगल ग्रह का चक्कर लगाते समय स्पेसक्राफ्ट  में कैद हुआ अनोखे नजारा...  जिसे देखकर वैज्ञानिक भी हैरान
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दुनियाभर के वैज्ञानिक कई सालों से मंगल ग्रह पर जिंदगी की तलाश में जुटे हुए हैं

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | दुनियाभर के वैज्ञानिक कई सालों से मंगल ग्रह पर जिंदगी की तलाश में जुटे हुए हैं। इसी तलाश में लाल ग्रह पर कई स्पेसक्राफ्ट भी भेजे जा चुके हैं। कभी-कभी इन स्पेसक्राफ्ट को मंगल ग्रह का चक्कर लगाते समय कुछ ऐसे अनोखे नजारे दिखे जिन्हें देखकर वैज्ञानिक भी हैरान रह गए। साल 1976 की अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने वाइकिंग मिशन को मंगल ग्रह के चारों तरफ चक्कर लगाने के लिए भेजा। उस दौरान नासा के वाइकिंग मिशन ने मंगल ग्रह से कुछ अनोखी तस्वीरें भेजी थीं, जिसे देखकर पूरी दुनिया के वैज्ञानिक भी हैरान हो गए थे।

मंगल ग्रह पर एक पिरामिड और इंसानी चेहरे की आकृति दिखी थी। इस आकृति को देखकर अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा भी हैरान रह गया था। अब नासा के तीन पूर्व वैज्ञानिकों ने इस बात कि पुष्टि की है कि वाइकिंग मिशन द्वारा ली गई इंसानी चेहरे और पिरामिड की तस्वीरें और जगह असली हैं।
बात 1970 के दशक की है जब नासा ने मंगल ग्रह की सतह की तस्वीरें लेने के लिए दो स्पेसक्राफ्ट भेजे थे। उस दौरान दोनों स्पेसक्राफ्ट ने जो फोटोग्राफ्स भेजी थीं, उन्हें देखकर मंगल ग्रह के बारे में वैज्ञानिकों की सोच बदल गई। इन रहस्यमयी आकृतियों की वजह से वैज्ञानिक ये सोचने पर मजबूर हो गए कि क्या मंगल ग्रह पर जीवन है।
स्पेसक्राफ्ट वाइकिंग-1 चक्कर लगाने के दौरान एक ऐसी तस्वीर ली थी जो ऐतिहासिक बन चुकी है। इस तस्वीर में मंगल ग्रह की सतह पर इंसानी चेहरा दिखाई दिया था। इंसानी चेहरे जैसी ये आकृति मंगल ग्रह के सिडोनिया नाम के स्थान पर दिखी थी।
हैरानी की बात ये है कि ये इंसानी चेहरा 3.21 किलोमीटर लंबा है। इस चेहरे के पास ही एक पिरामिड जैसा ढांचा भी मिला है। इन तस्वीरों के बारे में नासा के पूर्व साइंटिस्ट डॉ. जॉन ब्रांडेनबर्ग ने कहा कि ये जगहें असलियत में मंगल ग्रह पर मौजूद हैं। इनकी तस्वीरें और स्थान असली हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसा हो सकता है कि यहां पर कभी लाइफ रही हो।
डॉ. जॉन के मुताबिक इंसानी चेहरे की आकृति और पिरामिड के बीच केवल पांच किलोमीटर की दूरी है। उन्होंने कहा कि ऐसा हो सकता है कि लोग ये न माने कि यहां पर एलियन रहते हैं। लेकिन ऐसा संभव है कि पहले कभी यहां एलियन रहते रह रहे होंगे।



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