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विज्ञान
इस खोपड़ी की 2 हजार साल पहले हुई थी एडवांस तरीके से सर्जरी, हो गया खुलासा
jantaserishta.com
18 Jan 2022 9:09 AM GMT
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नई दिल्ली: अमेरिका (America) के ओकलाहोमा (Oklahoma) में अस्थि विज्ञान का संग्रहालय (SKELETONS: Museum of Osteology) मौजूद है. यहां एक कंकाल की खोपड़ी (Skull) मौजूद है. दावा किया जा रहा है है कि ये खोपड़ी किसी योद्धा की थी. जो करीब 2 हजार साल पहले चोटिल हुआ था, जिसकी खोपड़ी में फ्रैक्चर भी हुआ था. इसके बाद इस खोपड़ी की सर्जरी एडवांस तरीके से 2 हजार साल पहले हुई थी.
लेखक John Verano (Tulane University, Louisiana, US) की किताब Holes in the Head: The Art and Archaeology of Trepanation in Ancient Peru में भी ऐसे दावे किए गए हैं. उन्होंने कहा था कि पेरु के सर्जन एक सिंपल टूल से खोपड़ी में छेद कर जिंदा आदमी की खोपड़ी का ऑपरेशन करते थे.
डेली स्टार के मुताबिक, इस खोपड़ी में एक अलग तरह का मेटल है. माना जा रहा है कि इस शख्स की खोपड़ी में ये मेटल सर्जरी के दौरान लगाया गया था. वहीं ये भी समझा जा रहा है कि इस सर्जरी के बाद ये शख्स जिंदा भी रहा था. ये लंबी खोपड़ी पेरु के रहने वाले शख्स की है.
माना जा रहा है कि युद्ध से लौटने के बाद शख्स ने अपनी गंभीर चोट की सर्जरी करवाई थी. हालांकि, अगर किसी की खोपड़ी टूट जाये तो इससे अपंगता या मृत्यु तक हो सकती है. ऐसे में पेरु के सर्जन ने हजारों साल पहले किसी धातु को खोपड़ी में लगाकर शख्स की जान बचाई थी.
क्या बोले विशेषज्ञ-
SKELETONS: Museum of Osteology में मौजूद विशेषज्ञों ने भी माना कि इस शख्स की जान इस प्रोसीजर से बच गई थी. लेकिन इस खोपड़ी को लेकर कई रहस्य बरकरार हैं. डेली स्टार को SKELETONS: Museum of Osteology के प्रवक्ता ने बताया कि हमें इस बात की जानकारी नहीं है कि ये कौन सा धातु लगाया गया था. सामान्यत: इसके लिए सिल्वर या गोल्ड का उपयोग होता था.
बेहोश किए बिना ही ऑपरेशन होता था!
लेखक Verano की किताब Holes in the Head: The Art and Archaeology of Trepanation in Ancient Peru में इस बात का जिक्र है. उन्होंने नेशनल जियोग्राफिक से बात करते हुए कहा था कि पेरु के सर्जन एक सिंपल टूल से खोपड़ी में छेद कर जिंदा आदमी की खोपड़ी का ऑपरेशन करते थे. तब आज की तरह एनेस्थेसिया या किसी और दूसरी दवा का सहारा नहीं लिया जाता था. यानि बेहोश नहीं किया जाता था. Verano ने कहा कि इस तरह से कई लोगों की जिंदगी तब बचाई गई.
खोपड़ी का आकार बदला जाता था ?
साइंस न्यूज से बात करते हुए कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के जैव पुरातत्वविद् मैथ्यू वेलास्को ने बताया कि ऐसा लगता है कि ये आर्टिफिशियल बढ़े हुए सिर उस समय प्रतिष्ठा के प्रतीक थे. जिसमें बच्चों के सिर को कपड़े से बांध जाता था या सिर को लकड़ी के दो टुकड़ों के बीच बांधा जाता था.
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