विज्ञान

अध्ययन में बड़ा खुलासा...पानी में प्रदूषण से समुद्र तल पर मौजूद है 1.4 करोड़ टन माइक्रोप्लास्टिक

Kunti Dhruw
7 Oct 2020 4:00 PM GMT
अध्ययन में बड़ा खुलासा...पानी में प्रदूषण से समुद्र तल पर मौजूद है 1.4 करोड़ टन माइक्रोप्लास्टिक
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समुद्री जीवों को प्लास्टिक से बचाने के लिए दुनिया के तमाम संगठन प्रयासरत हैं

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | समुद्री जीवों को प्लास्टिक से बचाने के लिए दुनिया के तमाम संगठन प्रयासरत हैं लेकिन समुद्र में मौजूद कचरा कम होने का नाम नहीं ले रहा है। इसको लेकर एक हालिया अध्ययन में बड़ा खुलासा हुआ है जिसमें कहा गया है कि समुद्र तल पर करीब 1.4 करोड़ टन (14 मिलियन टन) माइक्रोप्लास्टिक मौजूद है।

ऑस्ट्रेलिया की राष्ट्रीय विज्ञान एजेंसी के अनुसार, दुनिया का समुद्र तल अनुमानित 14 मिलियन टन माइक्रोप्लास्टिक से भरा हुआ है। हर साल महासागरों में बड़ी मात्रा में कचरा आता है। अध्ययन में बताया गया है कि समुद्र में मौजूद छोटे प्रदूषकों की मात्रा पिछले साल किए गए एक स्थानीय अध्ययन की तुलना में 25 गुना अधिक थी।

सीएसआईआरओ (CSIRO) नामक एजेंसी के शोधकर्ताओं ने दक्षिण ऑस्ट्रेलियाई तट से 3,000 मीटर (9,850 फीट) गहराई तक साइटों से नमूने इकट्ठे किए। ऐसा करने के लिए उन्होंने एक रोबोटिक पनडुब्बी का उपयोग किया। एजेंसी ने इसे सी-फ्लोर माइक्रोप्लास्टिक्स का पहला वैश्विक अनुमान माना है।

इस अध्ययन को लेकर प्रमुख शोध वैज्ञानिक डेनिस हर्डनेस ने कहा, 'हमारे शोध में पाया गया कि गहरे समुद्र माइक्रोप्लास्टिक्स का सबसे बड़ा कुंड बन चुके हैं। वहां सबसे ज्यादा माइक्रोप्लास्टिक मौजूद है। हम इस तरह के दूरदराज के इलाके में इतनी ज्यादा मात्रा में माइक्रोप्लास्टिक्स देखकर आश्चर्यचकित थे।'

फ्रंटियर इन मरीन साइंस मैग्जीन में प्रकाशित इस शोध के वैज्ञानिकों ने कहा कि जहां तैरते हुए कचरे की मात्रा ज्यादा थी उस क्षेत्र में समुद्र तल पर माइक्रोप्लास्टिक के टुकड़े अधिक पाए गए। अध्ययन का नेतृत्व करने वाले जस्टिन बैरेट ने कहा, जो प्लास्टिक कचरा समुद्र में जाता है उसी से माइक्रोप्लास्टिक बनती है।"

बैरेट ने कहा कि परिणाम दिखाते हैं कि माइक्रोप्लास्टिक वास्तव में समुद्र तल पर बढ़ रहा है। वहीं, हर्डनेस ने कहा कि समुद्री प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिए तत्काल समाधान खोजने की जरूरत है क्योंकि इससे पारिस्थितिकी तंत्र, वन्य जीव और वन्य जीवन के साथ मानव स्वास्थ्य भी बुरी तरह प्रभावित होता है।

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