विज्ञान

अध्ययन में हुआ खुलासा, धरती पर 2025 तक हो सकती है दैत्याकार डायनासोर की वापसी?

Tulsi Rao
29 May 2022 1:38 PM GMT
अध्ययन में हुआ खुलासा, धरती पर 2025 तक हो सकती है दैत्याकार डायनासोर की वापसी?
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कई साल पहले हॉलीवुड की एक फिल्म आई थी, जुरासिक पार्क। इस फिल्म ने सफलता के कई रिकॉर्ड्स तोड़ डाले थे। लेकिन, क्या आप जानते हैं, कि जुरासिक पार्क फिल्म निर्माण के पीछे जो वैज्ञानिक प्रेरणास्रोत थे, उनका मानना है कि, धरती पर एक बार फिर से दैत्याकार डायनासोर की वापसी हो सकती है और सबसे दिलचस्प बात ये है, कि उन्होंने दैत्याकार डायनासोर की वापसी का जो साल बताया है, वो ठीक तीन साल ही हमसे दूर है।

धरती पर लौटेंगे दैत्याकार जीव?
साल 1993 में आई हॉलीवुड फिल्म जुरासिक पार्क अब तक की सबसे प्रतिष्ठित हॉलीवुड फिल्मों में से एक मानी जाती है और इस फिल्म में एक जीवाश्म की कहानी को दिखाया गया है, कि कैसे एक जीवाश्म फिर से वापसी करते हैं। जुराशिक पार्क फिल्म की कहानी बताती है कि, मध्य अमेरिका के एक द्वीप पर फिर से दैत्याकार जीव लौटते हैं और फिर तबाही मचाना शुरू कर देते हैं। फिल्म में दिखाया जाता है कि, सैकड़ों डायनासोर के अंडे मिले हैं, जिनसे अब नये नये चूजे निकलने वाले होते हैं। वो तो खैर फिल्म थी, लेकिन अगर वास्तव में धरती पर डायनासोर युग की वापसी हो जाए, तो सोचिए क्या होगा? डायनासोर फिल्म काफी ज्यादा प्रसिद्ध हुई थी और उसके बाद इसके कई सीक्वल भी बने। वहीं, डायनासोर फिल्म की आखिरी किस्त 'जुरासिक वर्ल्ड डोमिनियन' 10 जून को रिलीज़ होने वाली है।
वैज्ञानिक का सनसनीखेज दावा
बेशक, डायनासोर फिल्म की कहानियां पूरी तरह से काल्पनिक हैं। लेकिन स्टीवन स्पीलबर्ग की फिल्म में डायनासोर के जीवन और उसकी टेक्नोलॉजी पर सलाह देने वाले मशबूर जीवाश्म विज्ञानी ने कहा है, कि वे निकट भविष्य में डायनासोर का पृथ्वी पर लौटना वास्तविक हो सकता है। साल 2015 में एक पैनल डिस्कसन के दौरान मशहूर जीवाश्म वैज्ञानिक डॉ. जैक हॉर्नर ने इस दैत्याकार जीव की धरती पर संभावित वावसी को लेकर सनसनीखेज टिप्पणी की थी। वैज्ञानिक डॉ. जैक हॉर्नर ने दावा किया था कि, इंसान लगातार टेक्नोलॉजी विकसित कर रहे हैं और लेटेस्ट टेक्नोलॉजी के जरिए साल 2025 तक डायनासोर के अस्तित्व को फिर से वापस लाने में कामयाबी मिल सकती है।
वैज्ञानिक कर रहे हैं रिसर्च
वैज्ञानिक डॉ. जैक हॉर्नर ने दावा किया कि, आनुवंशिक रूप से डायनासोर के वंशज मुर्गियों को माना गया है और मुर्गियों के अंदर कई ऐसे लक्षण मिले हैं, जिनसे पता चलता है कि, वो आनवंशिक तौर पर डायनासोर रहे होंगे। लिहाजा, वैज्ञानिक डॉ. जैक हॉर्नर ने कहा कि, अगर मुर्गियों के पैतृक लक्षण को फिर से एक्टिव कर दिया जाए, तो इसकी पूरी संभावना है, कि धरती पर डायनासोर की वापसी हो सकती है और धरती पर फिर से जुरासिक पार्क जैसे हालात बन सकते हैं।
'सिर्फ आनुवंशिक ठीक करने जरूरत'
वैज्ञानिक डॉ. जैक हॉर्नर ने समझाते हुए कहा कि, 'बेशक पक्षी डायनासोर हैं'। उन्होंने कहा कि, 'तो हमें बस उन्हें ठीक करने की ज़रूरत है ताकि वे थोड़ा और डायनासोर की तरह दिखें... डायनासोर की लंबी पूंछ, लंबे हाथ और लंबे पैर थे, और लगातार विकास करते करते उनके पूंछ गायब हो गये और उनके हाथ पंख में बदल गये'। उन्होंने कहा कि, 'वास्तव में, पंख और हाथ होने उतने मुश्किल नहीं है'। हॉर्नर ने कहा कि, एक "चिकनसॉरस" वास्तविकता बनने के रास्ते पर है और उनमें पूंछ का विरास सबसे बड़ी परियोजना है'। वैज्ञानिक डॉ. जैक हॉर्नर ने कहा कि, 'हाल की टेक्नोलॉजी से हम कई चीजों को करने में कामयाब भी हुए हैं और उनसे उम्मीद जगी है, कि डायनासोर को फिर से जिंदा करने में ज्यादा समय नहीं लगेगा।'
कैसे खत्म हुए होंगे डायनासोर?
वहीं, मैनचेस्टर विश्वविद्यालय के नेतृत्व वाली वैज्ञानिकों की एक टीम ने ऐस्टरॉइड और डायनासोर केखत्म होने को लेकर चौंकाने वाला निष्कर्ष निकाला है। ये रिसर्च उस जगह पर किया गया है, जहां परऐस्टरॉइड की टक्कर पृथ्वी से हुई थी और ये जगह उत्तरी गोलार्ध में स्थिति है, जिसे तानिस जीवाश्मस्थल कहा जाता है। इस जगह पर हजारों जीवाश्म मिले थे और जिनके बारे में माना जाता है कि,उनकी मौत ऐस्टरॉइड के पृथ्वी से टकराने के बाद हुई थी। इस जगह को लेकर वैज्ञानिकों की अलगअलग टीम ने अलग अलग विश्लेषण किए हैं।
6.6 करोड़ साल पहले की घटना
शोध में पता चला है कि, वन्यजीवों की मृत्यु 66 मिलियन वर्ष पहले युकाटन प्रायद्वीप में एक बड़े ऐस्टरॉइड के धरती पर टकराने के कुछ घंटे के अंदर हो गई थी। इस जगह पर मछलियों के जीवाश्म का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि, जिस वक्त पृथ्वी से ऐस्टरॉइड की टक्कर हुई होगी, उस वक्त धरती पर बसंत ऋृतु खत्म हो रहा था और गर्मी की शुरूआत हो रही थी। ये जगह आज के मैक्सिको के पास है, जहां धरती के अंदर हजारों जीवाश्म दफ्न हैं और ये सभी के सभी जीवाश्म सिर्फ डायनासोर के ही नहीं हैं, बल्कि इनमें विशालकाय मछलियों के जीवाश्म भी दफ्न हैं,जिनके विश्लेषण से अद्भुत जानकारियां वैज्ञानिकों के हाथ लग रही हैं। बड़े पैमाने पर विलुप्ति क्रेटेशियस और पुरा-पाषाण कालके बीच की सीमा को चिह्नित करती है, और उस समय जीवित 75 प्रतिशत प्रजातियों की मृत्यु हो गई थी।


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