विज्ञान

पथरीला रास्ता देखा गया, जानें क्यों मचा है हड़कंप

jantaserishta.com
12 Sep 2022 9:30 AM GMT
पथरीला रास्ता देखा गया, जानें क्यों मचा है हड़कंप
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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक | DEMO PIC 

ज्यूरिख: स्विट्जरलैंड में इस साल बहुत से ग्लेशियर पिघल रहे हैं. वजह है इस बार यूरोप में पड़ी भयानक गर्मी. स्विट्जरलैंड के दो ग्लेशियरों के बीच पथरीला रास्ता निकल आया है. ये ग्लेशियर इतने ज्यादा पिघले कि उनके नीचे दबे पत्थर ऊपर आ गए. ये एक पुराना पथरीला अल्पाइन रास्ता था. जो कि एक स्थानीय स्की रिजॉर्ट के नीचे दबा था.
2000 साल में पहली बार ऐसा हुआ है कि जब ग्लेशियर 3000 के स्की रिजॉर्ट की बर्फ बहुत ज्यादा पिघली है. इस साल पड़ी भयानक गर्मी की वजह से पिछले दस साल के औसत पिघलाव से तीन गुना ज्यादा बर्फ पिघली है. इसकी वजह से Scex Rouge और Zanfleuron ग्लेशियरों के बीच पथरीला रास्ता निकल आया है.
ये दोनों ग्लेशियर 2800 मीटर यानी 9186 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. वैज्ञानिकों का मानना है कि इस महीने के अंत तक यह पथरीला रास्ता पूरी तरह से सामने आ जाएगा. क्योंकि ग्लेशियर का पिघलना और स्की रिजॉर्ट पर मौजूद बर्फ का पिघलना अब भी जारी है.
यूनिवर्सिटी ऑफ बर्न्स इंस्टीट्यूट ऑफ जियोग्राफी के ग्लेशियोलॉजिस्ट माउरो फिशर ने कहते हैं कि दस साल पहले पथरीले रास्ते के ऊपर मैंने 50 फीट मोटी बर्फ की परत देखी थी. गणना की थी उसकी. लेकिन अब यह पिघल चुकी है. इस साल इतनी भयानक गर्मी पड़ी कि यूरोप की हालत खराब हो गई. स्विट्जरलैंड पर भी इसका असर पड़ा है. ग्लेशियर पिघले हैं.
माउरो ने बताया कि पिछले साल भी सर्दियों के मौसम में बर्फबारी कम हुई थी. उससे पहले और उसके बाद एल्प्स के पहाड़ों ने गर्मी के दो भयानक मौसम देखे. वह भी समय से पहले. पिछले 60 सालों में ऐसा नजारा कभी देखने को नहीं मिला. क्योंकि इन छह दशकों में लगातार ग्लेशियर पिघल रहे हैं. वह भी बहुत तेजी से. रिकॉर्ड टूट रहे हैं. कुछ दिन पहले भी स्टडी आई थी कि पिछले 85 सालों में स्विट्जरलैंड के 1400 ग्लेशियर पिघल गए.
स्विट्जरलैंड की प्रसिद्ध फेडरल पॉलीटेक्निक यूनिवर्सिटी ETH Zurich और स्विस फेडरल इंस्टीट्यूट ऑन फॉरेस्ट, स्नो एंड लैंडस्केप रिसर्च ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है. इसमें पहली बार तस्वीरों के जरिए बताया गया है कि कोई ग्लेशियर 1931 में कैसा दिखता था और अब कैसा दिख रहा है. कहां पहले भारी ग्लेशियर दिख रहे हैं, वहीं अब पूरी की पूरी घाटी बिना ग्लेशियर के हैं. तस्वीर जरूर ब्लैक एंड व्हाइट और कलर में है लेकिन अंतर स्पष्ट तौर पर दिख रहा है.
दोनों संस्थानों के वैज्ञानिकों ने स्टडी में पाया कि 1931 के बाद से 2016 तक स्विट्जरलैंड के 1400 ग्लेशियर अपनी मात्रा का आधा हिस्सा खो चुके हैं. पिछले छह साल में ही 12 फीसदी ग्लेशियर पिघल गए. इस स्टडी को करने वाले वैज्ञानिकों की टीम के सदस्य डैनियल फैरिनोटी ने कहा कि ग्लेशियरों का पिघलना तेजी से बढ़ रहा है. अगर आप ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य की तुलना में अब देखेंगे तो बर्फ की मोटी चादरें हट चुकी हैं. यह तब जलवायु परिवर्तन की वजह से हो रहा है.
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