विज्ञान

अमरीकी सेना की रिसर्च एंड डवलपमेंट टीम आगामी पांच सालों तक इस परियोजना को देगी आर्थिक मदद

Triveni
30 Nov 2020 11:38 AM GMT
अमरीकी सेना की रिसर्च एंड डवलपमेंट टीम आगामी पांच सालों तक इस परियोजना को देगी आर्थिक मदद
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विज्ञान कथाओं में ही अभी तक टेलीपैथाी (Telepathy) यानी दिमाग से किसी अन्य व्यक्ति के दिमाग तक संदेश पहुंचाना,

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| विज्ञान कथाओं (sacience fiction) में ही अभी तक टेलीपैथाी (Telepathy) यानी दिमाग से किसी अन्य व्यक्ति के दिमाग तक संदेश पहुंचाना,की तकनीक प्रस्तुत की जाती रही है। लेकिन अब अमरीकी सेना (American Army) इस तकनीक को हकीकत में बदलने पर काम कर रही है। यूएस आर्मी ने एक ऐसी तकनीक विकसित करने की योजना बनाई है जो उनके सैनिकों को संचार (Communication) के लिए अपने दिमाग का उपयोग करने की क्षमता देगी। यह नवाचार (Innovation) सैनिकों को टेलीपैथिक क्षमता (Telepathic Ability) दे सकता है, जो सैन्य अभियानों में बेहद उपयोगी होगा। अमरीकी सेना की रिसर्च एंड डवलपमेंट टीम आगामी पांच सालों तक इस परियोजना को आर्थिक मदद देगी।

अमरीकी सैनिकों के दिमाग को टेलीपैथी तकनीक से लैस करने की तैयारी
संकेतों को अलग करने में सक्षम
फिलहाल, यह अनुसंधान मस्तिष्क के उन संकेतों को अलग करने में सक्षम है जो हमारे व्यवहार को प्रभावित करते हैं। इंडिपेंडेंट यूके (Independent UK) की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, शोधकर्ता ऐसी एल्गोरिदम (Algorithm) बनाने में कामयाब हो गए हैं जो सीधे हमारी भावनाओं और व्यवहार संकेतों से जुड़ी मस्तिष्क की गतिविधियों को फिल्टर कर सकती है। आर्मी रिसर्च ऑफिस के प्रोग्राम मैनेजर हामिद करीम का कहना है कि वे मस्तिष्क के इन सिग्नल्स को न केवल माप रहे हैं बल्कि उनकी व्याख्या करने में भी सक्षम हैं। इस अध्ययन का उद्देश्य सैनिकों के मस्तिष्क तक सीधे प्रतिक्रिया (Feedback) पहुंचाना है।

अमरीकी सैनिकों के दिमाग को टेलीपैथी तकनीक से लैस करने की तैयारी
शोध की सफलता का महत्व
अमरीकी सेना के शोधकर्ता वर्तमान में सैनिकों के दिमाग को सीधे संदेश या फीडबैक देने पर काम कर रहे हैं। यह उन्हें आपातकालीन परिस्थितियों में कुशलतापूर्वक और तुरंत अपनी गतिविधियों में बदलाव करने में मदद करेगा। यदि अनुसंधान सफल हो गया तो थकान और तनाव के वे संकेत जो व्यक्ति को थका हुआ महसूस करने से पहले दिमाग को चेतावनी देते हैं, जल्द ही 'मूक संचार' (silent communication) बन जाएगा। शोधकर्ता सैनिकों के दिमाग को कंप्यूटर के साथ जोड़कर कम्युनिकेट कर सकेंगे। साथ ही अपने सहयोगियों को दूर होने के बावजूद सिर्फ दिमाग का उपयोग कर संदेश भेज सकेंगे। करीम ने बताया कि यह तकनीक सिनेमाहॉल में बिना एक शब्द बोले दर्शकों को बातचीत करने में सक्षम बना सकती है।
अमरीकी सैनिकों के दिमाग को टेलीपैथी तकनीक से लैस करने की तैयारी
पूरी तरह से वायरलेस इनोवेशन
हामिद करीम ने यह भी दावा किया कि आगामी तकनीक पूरी तरह से वायरलेस (wireless) होगी और 2019 में एलन मस्क (Elon Musk) के न्यूरालिंक के प्रोटोटाइप संस्करण (Neuralink Prototype Version) के विपरीत इंडक्शन (Induction) का उपयोग करके चार्ज की जा सकेगी। हालांकि, यह अभी शुरुआती दौर में है, क्योंकि वैज्ञानिक अभी भी भावनात्मक स्थितियों में न्यूरोलॉजिकल आधार को पूरी तरह से नहीं समझ सके हैं। इसके अलावा, कंप्यूटर से जुड़े इंटरफेस के जरिए सरल कामों को करने के लिए भी पहले मस्तिष्क को प्रशिक्षित करने, ढेरों परीक्षण और प्रयोगों की आवश्यकता भी होगी।


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