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बहुल संस्थानों के द्वारा किए गए नए अध्ययन में पाया गया है कि दुनिया भर में पक्षियों की जनसंख्या (Population of Birds) तेजी से गिर रही है
बहुल संस्थानों के द्वारा किए गए नए अध्ययन में पाया गया है कि दुनिया भर में पक्षियों की जनसंख्या (Population of Birds) तेजी से गिर रही है. इस शोध में बताया गया है कि पक्षियों की जैवविविधता के लिए सबसे बड़े और प्रमुख खतरों में प्राकृतिक आवासों का हनन और कमी, कई प्रजातियों का अत्याधिक दोहन, आदि शामिल हैं. इतना ही नहीं इस पक्षियों की गिरती जनसंख्या के पीछ जलवायु परिवर्तन प्रमुख कारक उभर कर सामने आ रहा है.
कॉर्नेल यूनिर्वसिटी का यह अध्ययन हाल ही में एनुअल रीव्यू ऑफ एनवयार्नमेंट एंड रिसोर्सेस में प्रकाशित हुआ है. इस अध्ययन के प्रमुख लेखक एलेक्जेंडर लीज का कहना है कि हम अब पक्षियों (Birds) की प्रजातियों के महाविनाश (Mass Extinction) की नई लहर के शुरुआती संकेत देख रहे हैं. वायु विविधता (Avian Biodiversity) उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में सबसे ज्यादा है और इन्हीं इलाकों में सबसे ज्यादा संख्या में संकटग्रस्त प्रजाति हैं.
इस अध्ययन के मुताबिक दुनिया भर में पक्षियों की प्रजातियों (Birds Species) में से 48 प्रतिशत ऐसी जिनकी जनसंख्या (Population of Birds) गिर रही है. वहीं 39 प्रतिशत प्रजातियों की संख्या स्थाई है. जबकि केवल छह प्रजातियों ऐसी हैं जिनकी संख्या बढ़ रही है और 7 प्रतिशत की स्थिति की जानकारी नहीं है. शोधकर्ताओं ने 11 हजार पक्षी प्रजातियों का अध्ययन किया.
4यह पड़ताल साल 2019 के नतीजों की तरह ही परिणाम दिखा रही है जिसमें बताया गया है कि अमेरिका और कनाडा में पिछले 50 सालों में करीब 3 अरब पक्षी खत्म हो गए थे. इस अध्ययन में भी पक्षियों की जनसंख्या (Population of Birds) कम होने और फिर उनके विलुप्त हो जाने का तरीका पाया गया है. पक्षी ऊंचाई में दिखाई दे जाते हैं, वे पर्यावरण (Environment) के स्वास्थ्य का एक संवेनशील संकेत होते हैं. इसलिए इनकी जैवविविधता (Biodiversity)को खोने का मतलब है व्यापक तौर पर जैवविविधता का नुकासन और मानव स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा.
अपने अध्ययन के नतीजों के बाद भी शोधकर्ताओं का कहना है कि उन्हें पक्षियों (Birds) के लिए किए जा रहे संरक्षण (Conservation) के प्रयास से बहुत अपेक्षाएं हैं. लेकिन फिर भी एक बड़े बदलाव की तो जरूरत है ही. लीस बताते हैं कि की पक्षियों का भविष्य उनके आवासों के घटने और बिगड़ने के रुकने पर निर्भर करता है. यह काफी कुछ संसाधनों की मांग पर निर्भर होता है. हमें इस बात पर ध्यान देना है कि सामानों का वितरण कैसे जैवविविधता (Biodiversity) की हानि में योगदान देता है. इसके अलावा हमें प्राकृतिक दुनिया में मानवीय दखल कम करना होगा.
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