विज्ञान

द्विज तारों में हुए सुपरनोवा विस्फोट से खुला Blistering Star का रहस्य

Gulabi
17 Jun 2021 4:27 PM GMT
द्विज तारों में हुए सुपरनोवा विस्फोट से खुला Blistering Star का रहस्य
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सुपरनोवा विस्फोट विशालकाय तारों की नाटकीय मौत का नतीजा होता है

सुपरनोवा विस्फोट (Supernova Explosion) विशालकाय तारों (Massive Stars) की नाटकीय मौत का नतीजा होता है जो हमारे सूर्य से भी आठ गुना ज्यादा भारी होते हैं. लेकिन क्या हो अगर सुपरनोवा विस्फोट किसी दूसरे के बहुत पास में हो जाए. वैज्ञानिकों के मुताबिक यह ब्रह्माण्ड (Universe) में कभी कभी होने वाली घटना नहीं हैं बल्कि ऐसे होने पर पड़ोस का यह तारा सूज जाएगा. यह एक ऐसा मौका होता है जो एक खगोलविद के लिए बहुत सारी जानकारी देने वाला साबित हो सकता है. वैज्ञानिक शुरू से तारों के विकास चक्र में सुपरनोवा को अहम पड़ाव के तौर पर देखते रहे हैं.

बहुत सारे तारे बाइनरी सिस्टम या द्विज तारों (Binary System) में पाए जाते हैं जिसमें दो तारे एक दूसरे के नजदीक रहकर एक दूसरे का चक्कर लगाते हैं. और बहुत से सुपरनोवा बाइनरी सिस्टम में होते हैं. साथी तारे (Companion Star) की मौजूदगी तारे के विकास और उसके विस्फोट (Supernova Explosion) को बहुत अधिक प्रभावित करती है. इसी लिए वैज्ञानिक भी इसीलिए अध्ययन के नजरिए से बाइनरी तारों की खोज में रहते हैं. पिछले कुछ दशकों में वे इस तरह के द्विज तारे खोजने में सफल भी हुए हैं. और उनमें से कुछ असामान्य रूप से कम तापमान वाले तारे भी है.
जब बाइनरी सिस्टम (Binary System) का कोई तारा विस्फोटित (Supernova Explosion) होता है तो उस विस्फोट के अवशेष तेजी से अपने साथी तारे (Companion Star) में जा टकराते हैं. आमतौर पर इनमें पूरे तारे को नुकसान पहुंचाने की ताकत नहीं होती है. लेकिन इससे दूसरे तारे की सतह गर्म जरूर हो जाती है. जिससे तारा सूज जाता है. यह बिलकुल वैसे ही होता है जैसे जलने पर हमारी त्वचा फूल जाती है. यह फफोला तारे से 10 से 100 गुना ज्यादा बड़ा हो सकता है.
आमतौर पर बाइनरी सिस्ट्म (Binary System) का यह फूला हुआ तारा बहुत चमकीला और ठंडा दिखाई देता है. यही वजह है कि क्यों कई खोजे गए साथी तारों (Companion Star) में तापमान कम होता है. यह फूली हुई अवस्था खगोलीय पैमाने पर कुछ ही समय तक रहती है. यानि कुछ सालों और दशकों के बाद यह फफोला (Blistering Star) में ठीक हो जाता है और तारा अपने मूल स्थिति में वापस आ जाता है.
हाल में प्रकाशित इस अध्ययन में मोनाश यूनिवर्सिटी में ओजग्रैव के पोस्ट डॉक्टोरल शोधकर्ता डॉ रयोसुके हिराई की अगुआई में हुए इस अध्ययन में उनकी टीम ने सैंकड़ों कम्प्यूटर सिम्यूलेशन चला कर बाइनरी तारों (Binary System) का अध्ययन किया और यह जानने की कोशिश की कि साथी तारों (Companion Star) में फोफले (Blistering) कैसे विकसित होते हैं यानि के द्विज तारे कैसे और क्यों फूल जाते हैं.
शोधकर्ताओं ने यह जानने का प्रयास किया कि इन तारों (Stars) का पास के सुपरनोवा विस्फोट (Supernova Explosion) पर कैसे निर्भर करता है. शोधकर्ताओं ने पाया कि फूले हुए तारों की तेजस्विता का संबंध केवल उनके भार से है और यह सुपरनोवा के साथ हुई अंतरक्रिया प्रचंडता पर निर्भर नहीं करती है. वहीं फूले रहने का समय तारों (Companion Stars) के बीच की दूरी पर निर्भर करता है. यह तब ज्यादा होती है जब दोनों तारे पास होते हैं.
सुपरनोवा (Supernova Explosion) के बाद देखे गए बहुत से साथी तारे कुछ सालों में धीरे धीरे लगातार बढ़ते दिख रहे हैं. यदि वैज्ञानिक इन फूलते हुए साथी तारों (Companion Star) का और उनके सिकुड़ने का अवलोकन कर सकें. उन आंकड़ों से विस्फोट के पहले के बाइनरी सिस्टम (Binary System) के तारों की विशेषताओं को मापा जा सकता है. इस तरह की पड़ताल बहुत कम होती हैं और विशालकाय तारों के विकास के बारे में बहुत अहम जानकारी दे सकती हैं.
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