- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- विज्ञान
- /
- बाह्यग्रह की पड़ताल है...
विज्ञान
बाह्यग्रह की पड़ताल है जारी इसकी पुष्टि के लिए, जानिए पूरा मामला
Kajal Dubey
21 March 2022 9:25 AM GMT
x
एक पड़ताल के अनोखे नतीजों से पता चला है कि जिन पिंडों की बाह्यग्रह के तौर पर पुष्टि हुई थी वे बाह्यग्रह नहीं हैं. ऐ
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। एक पड़ताल के अनोखे नतीजों से पता चला है कि जिन पिंडों की बाह्यग्रह के तौर पर पुष्टि हुई थी वे बाह्यग्रह नहीं हैं. ऐसे तीन पिंडों की पुष्टि हो चुकी है और चौथा के बारे में और शोध चल रहा है. नए विश्लेषण में शोधकर्ताओं ने पाया कि केप्लर 854b, केप्लर 840b, और केप्लर 669b पिंड इतने बड़े हैं कि वे बाह्यग्रह की श्रेणी में आ ही नहीं सकते हैं. इसका मतलब यही है कि ये निश्चित तौर पर तारे होने चाहिए. वहीं चौथा पिंड Kepler-747b भी इसी तरह का पिंड हो सकता है. इसकी पुष्टि के लिए और ज्यादा जानकारी हासिल की जा रही है.
बाह्यग्रहों की संख्या में बदलाव
इस पड़ताल से खोजे गए बाह्यग्रहों की संख्या 5 हजार से कम हो सकती है. लेकिन इसका एक मतलब यह भी है कि अब हम बाह्यग्रहों की खोज में और विश्वस्त तरीके से आगे बढ़ सकते हैं. मसैचुसैट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के कावली इंस्टीट्यूट फॉर एस्ट्रोफिजिक्स एंड स्पेस रिसर्च के खगोलभौतिकविद अवि श्पूरेर का कहना है कि यह अध्ययन ग्रहों की सूची को बेहतर बनाता है. लोग अध्ययन के लिए इस सूची पर निर्भर रहते हैं इसलिए यह जरूरी है कि यह सूची संक्रमित नहीं हो.
तारे और ग्रह के बीच की सीमा
तारे और ग्रह के भार के बीच के अंतर की रेखाएं धुंधली हो सकती हैं. इससे कुछ दोनों की ही श्रेणी में आ सकते हैं, लेकिन फिर भी सीमाएं हैं. एक सीमा के नीचे पिंड इतना छोटा होताह है जिसे क्रोड़म में हाइड्रोजन संलयन की प्रक्रिया शुरु करने वाला दबाव और तापमान नहीं बन पाता जिससे तारों को शक्ति मिल सके. इस सीमा के ऊपर पिंड एक तरह का तारा हो जाता है
कितना बड़ा हो सकता है ग्रह
इस अध्ययन की अगुआई करने वाले एमआईटी के खगोलविद प्रज्ज्वल निरौला ने बताया कि अधिकांश बाह्यग्रह गुरु ग्रह के आकार होते हैं या उससे बहुत छोटे होते हैं, लेकिन गुरु ग्रह से दोगुने बड़े ग्रह संदिग्ध होते हैं. उससे बड़े पिंड ग्रह हो ही नहीं सकते. 2018 में बंद हुए टेलीस्कपोप ने बाह्यग्रहों की खोज परागमन के दौरान की है.
परागमन और कलावक्र
जब पिंड तारे और अवलोकनकर्ता के बीच में आता है और तारे की रोशनी में बदलाव आ जाता है. इसी स्थिति को परागमन कहते हैं. तारे की रोशनी के इसी बदलाव से बाह्यग्रहों की विशेषताओं का पता लगाया जाता है जिसमें बाह्यग्रह का आकार भी शामिल है. उपकरणों और तकनीक के बढ़ने से बाह्यग्रहों के अध्ययन के लिए वैज्ञानिक कलावक्र या फेज कर्व तकनीक का भी उपयोग करने लगे हैं जिसमें तारे का चक्कर लगाते समय उसकी रौशनी बाह्यग्रह से प्रतिबिम्बित होती है. इससे ग्रह के बारे में और ज्यादा जानकारी मिलती है.
अंडाकार संकेत और आकार
शोधकर्ताओं ने बताया कि अचानक उनके सामने ऐसा सिस्टम था जसमें उन्होंने बहुत बड़े अंडाकार संकेत देखे और उन्हें फौरन ही पता चल गया कि यह ग्रह हो ही नहीं है. गहराई से अध्ययन करने पर उन्होंने बाह्यग्रह का आकार का पता लगाया. इससे पहले मिल्की वे गैलेक्सी का नक्शा बनाने वाले प्रोजेक्ट गाइया के इन पिंडों संबंधी आंकड़े उपलब्ध नहीं थे.
बदल गई जानकारी
शोधकर्ताओं ने जब इन पिंडों का गाइया आंकड़ों के साथ फिर से अध्ययन किया तो उन्होंने पाया कि बाह्यग्रह आकार में कुछ ज्यादा ही बड़े हैं ये गुरु ग्रह से तीन गुना बड़े थे और उसका भार गुरु ग्रह से 239 गुना ज्यादा बड़ा था, जबकि किसी ग्रह का अधिकतम भार गुरु ग्रह के भार का 10 गुना ज्यादा बड़ा ही हो सकता है.
एक संदिग्ध ग्रह भी
शोधकर्ताओं का कहना है कि किसी भी तरह इस ब्रह्माण्ड में इतना बड़ा ग्रह नहीं हो सकता है. यह जानकर कि आंकड़ों में इस तरह के और भी छोटे छोटे तारे हो सकते हैं, शोधकर्ताओं को और भी तारे मिले. केप्लर 840b गुरु से ढाई गुना बड़ा था. केप्लर 669b गुरु से 2.76 गुना बड़ा था वहीं केप्लर 747b 1.84 गुना बड़ा है.
शोधकर्ताओं का का कहना है कि इस तरह के और भी बाह्यग्रहों हों इसक संभावना कम ही है. गाइया के आंकड़े अब बाह्यग्रहों की पुष्टि करने में और ज्यादा सहायक हो सकेंगे. उन्होने बताया कि यह एक छोटा सा सुधार है. यह तारों के बारे में ज्यादा जानकारी से आता है जो समय केसाथ बेहतरत हो रही है. आगे से ऐसे गड़बड़ी होने की संभावना नहीं है.
Next Story