विज्ञान

उल्कापिंड का कहर, धरती पर टक्कर से एक दो नहीं बनाए इतने ज्यादा गड्ढे

jantaserishta.com
11 March 2022 9:49 AM GMT
उल्कापिंड का कहर, धरती पर टक्कर से एक दो नहीं बनाए इतने ज्यादा गड्ढे
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Image credit: Kent Sundell/Casper College

नई दिल्ली: आमतौर पर जब धरती से कोई उल्कापिंड या एस्टेरॉयड की टक्कर होती है तो वह एक बड़ा गड्ढा बनाता है. जिसे इम्पैक्ट क्रेटर (Impact Crater) कहते हैं. लेकिन क्या यही एक उल्कापिंड और एस्टेरॉयड अपनी टक्कर से कई और गड्ढे बना सकता है. जी ऐसा हुआ है. अमेरिका (US) के व्योमिंग (Wyoming) में. जहां पर एक ही उल्कापिंड ने अपनी टक्कर से 30 से ज्यादा क्रेटर बना डाले.

किसी उल्कापिंड या एस्टेरॉयड की टक्कर से बनने वाला पहला क्रेटर या गड्ढा प्राइमरी क्रेटर कहते हैं. इसके बाद इस टक्कर से बनने वाले अन्य गड्ढों को सेकेंडरी क्रेटर कहते हैं. धरती पर इसका उदाहरण एक ही है. लेकिन अन्य ग्रहों पर ऐसी घटनाएं होती रहती हैं. यह एक रिकोशे (Ricochet) प्रक्रिया है. यानी गोली की तरह उल्कापिंड का टकराव, फिर उसके टुकड़ों की टक्कर से बने अन्य गड्ढे.
हम जिस जगह की बात कर रहे हैं, वो अमेरिका के दक्षिण-पूर्व व्योमिंग (Southeast Wyoming) में मौजूद है. यहां पर 30 से ज्यादा क्रेटर हैं, जो करीब 28 करोड़ साल पहले बने थे. वह भी एक ही उल्कापिंड की टक्कर से. असल में यह उल्कापिंड गिरा कहीं और था, उसके बाद वह हजारों टुकड़ों में टूटा. उसके कुछ टुकड़े व्योमिंग के पास आकर गिरे, जिससे ये गड्ढे यानी इम्पैक्ट क्रेटर बन गए.
जियोलॉजिकल एसोसिएशन ऑफ अमेरिका द्वारा जारी बयान में जर्मनी की यूनिवर्सिटी ऑफ फ्रीबर्ग के जियोलॉजिस्ट और इस स्टडी के प्रमुख थॉमस केंकमैन ने कहा कि 30 से ज्यादा ये गड्ढे एक ही उल्कापिंड की टक्कर से बने हैं. ये टूटे हुए उल्कापिंड के टुकड़ों की टक्कर से बने हैं. एक प्राइमरी गड्ढा कई किलोमीटर दूर बना, फिर वहां से हवा में उड़े उल्कापिंडों के टुकड़ों ने व्योमिंग में सेकेंडरी इम्पैक्ट क्रेटर बना दिए.
थॉमस केंकमैन ने कहा कि चांद और अन्य ग्रहों पर बड़े क्रेटर्स के आसपास सेकेंडरी इम्पैक्ट क्रेटर अक्सर देखने को मिल जाते हैं. लेकिन ये कभी भी धरती पर नहीं खोजे गए थे. ऐसा माना जाता है कि चांद के पिछले हिस्से में कई सेकेंडरी इम्पैक्ट क्रेटर्स हैं. जो चांद के सामने की तरफ बने चार बड़े क्रेटर्स की वजह से बने हैं. ये क्रेटर्स हैं. फिनसेन (Finsen), वॉन कारमान एल 1-2 (Von Kármán L 1-2) और एंतोनियादी (Antoniadi).
31 सेकेंडरी इम्पैक्ट क्रेटर्स के अलावा साइंटिस्ट ने 60 और गड्ढे खोजे हैं, जो इस सेकेंडरी क्रेटर्स की लिस्ट के जांच के दायरे में हैं. पहली बार जब साइंटिस्ट ने इन क्रेटर्स को देखा था, तो उन्हें लगा कि हवा में कोई एस्टेरॉयड फटा और वह अलग-अलग जगहों पर गिरा. जिससे ये गड्ढे बन गए. ये सभी क्रेटर 32 से लेकर 230 फीट तक चौड़े हैं.
लेकिन बाद में जांच करने पर पता चला कि कुछ क्रेटर्स एकदम आसपास हैं. ये पूरे गोलाकार होने के बजाय थोड़े से अंडाकार है. यानी कोई वस्तु किसी एंगल से आकर इनसे टकराई है. क्योंकि अगर कोई चीज सीधी ऊपर से गिरती तो गोल घेरा बना जाता है. लेकिन एंगल से गिरने गड्ढे का आकार थोड़ा अंडाकार होता है. व्योमिंग और नेब्रास्का की सीमा पर स्थित डेनवर बेसिन में यह गड्ढे काफी ज्यादा मात्रा में मिले हैं.
कुछ इम्पैक्ट क्रेटर्स डेनवर बेसिन के नीचे जमीन के अंदर मौजूद हैं. जिन्हें भविष्य में वैज्ञानिक अगर खोजें तो उन्हें कई तरह की नई जानकारियां भी मिल सकती हैं. ये सारे गड्ढे 50 से 65 किलोमीटर के इलाके में फैले हैं. अगर यूकाटन प्रायद्वीप (Yucatan Peninsula) के क्रेटर की बात करें तो उसका प्राइमरी गड्ढा 150 किलोमीटर चौड़ा है. इसकी वजह से ही धरती पर डायानसोर की मौत हुई थी.
व्योमिंग और नेब्रास्का की सीमा पर मौजूद डेनवर बेसिन के सेकेंडरी इम्पैक्ट क्रेटर्स के बीच आपसी दूरी करीब 13 से 26 फीट है. इनका मुख्य क्रेटर यानी प्राइमरी गड्ढा जहां भी बना होगा उसका व्यास करीब 2 किलोमीटर होगा. फिर वहां से उल्कापिंड टूटकर यहां गिरा होगा, जिससे इतने गड्ढे बने हैं. यह स्टडी हाल ही में GSA Bulletin में प्रकाशित हुई है.

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