विज्ञान

ब्लैक विडो नाम के पल्सर की खोज ने वैज्ञानिकों को किया हैरान, जानिए आखिर क्यों

Rani Sahu
6 May 2022 4:44 PM GMT
ब्लैक विडो नाम के पल्सर की खोज ने वैज्ञानिकों को किया हैरान, जानिए आखिर क्यों
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ब्रह्माण्ड में खगोलविदों को अजीब पिंड मिलते रहते हैं जो उन्हें हैरत में डाल देते हैं

ब्रह्माण्ड में खगोलविदों को अजीब पिंड मिलते रहते हैं जो उन्हें हैरत में डाल देते हैं. खगलोविदों ने हाल ही एक बहुत ही अजीब पिंड देखा है जो पृथ्वी से 3000 से 4000 प्रकाशवर्ष की दूरी पर है. इस रहस्यमयी सिस्टम से आने वाले प्रकाश का अध्ययन कर शोधकर्ताओं ने पाया कि उन्होंने एक विचित्र तेजी से घूमने वाला पल्सर (Fast spinning Pulsar) देखा है जिसे 'ब्लैक विडो' तारा (Black Widow Star) कहते हैं. यह तारा अपने साथी तारों को धीरे धीरे निगल रहा है जिससे वह खुद को जिंदा रख पा रहा है. लेकिन इस द्विज तंत्र (Binary Star System) की अजीब बातें कई सवाल पैदा कर रही हैं.

बहुत ही अजीब ब्लैक विडो पल्सर
ब्लैक विडो पल्सर बहुत कम होते हैं अभी तक मिल्की वे गैलेक्सी में एक दर्जन से कुछ ही ज्यादा ऐसे पिंड देखे गए हैं. लेकिन यह पल्सर बहुत ही चरम और अजीब पिंड है जो ZTF J1406+1222 नाम के बाइनरी सिस्टम में अपने साथी तारे का हर 62 मिनट में चक्कर लगा रह है. इतना ही नहीं इस सिस्टम में एक तीसरा तारा भी है जो बहुत दूर रहकर इन दोनों का 12 हजार साल में एक चक्कर लगा रहा है.
अनोखा तंत्र क्यों
इस अध्ययन के प्रमुख लेखक और एमआईटी के भौतिकी विभाग के भौतिकविद केविन बर्ज का कहना है कि ब्लैक विडो का जहां तक सवाल है यह तंत्र वास्तव में बहुत अनोखा है. इसकी वजह है कि इसे देखने वाले प्रकाश से खोजा गया है, इसमें एक बहुत दूर स्थिति साथी तारा है और यह गैलेक्सी के केंद्र के पास है.
कैसे बनते हैं पल्सर
जब किसी विशाल तारे की मौत के बाद उसकी क्रोड़ सुकुचंत होती है, तब न्यूट्रॉन तारे बनते हैं और जब कोई न्यूट्रॉन तारा में बहुत अधिक चुंबकत्व हो जाता है और वह तेजी से घूमने लगता है तब वह एक पल्सर बन जाता है. पल्सर ब्रह्माण्ड में बहुत ही चमकीले लाइट हाउस की तरह होते हैं जो चारों ओर तेजी से एक्स और गामा विकिरण फेंकते रहते हैं.
यह पल्सर बहुत अलग क्यों
पल्सर का फेंका हुआ प्रकाश तेजी से उसके घूर्णन की वजह से घूमता है. जिसमें वह एक चक्कर एक सेकंड से लेकर मिसी सेकंड में भी लगा लेते हैं. सामान्यतः पल्सर तेजी से घूमकर युवावस्था में ही मर जाते हैं क्योंकि उन्हें बाहर बहुत ही ज्यादा ऊर्जा फेंकनी होती है. लेकिन साथी तारा बहुत पास होने पर पल्सर उसी तारे का पदार्थ निगल लेते हैं जिससे वे लंबे समय तक जीवित रह जाते हैं.
Rani Sahu

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