विज्ञान

चमगादड़ की आबादी में गिरावट, अध्ययन के अनुसार इंसान भी जिम्मेदार

Subhi
30 Oct 2022 3:30 AM GMT
चमगादड़ की आबादी में गिरावट, अध्ययन के अनुसार इंसान भी जिम्मेदार
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आगामी महीनों में शाम के समय आकाश में केवल कुछ चमगादड़ ही घूमते दिखेंगे। सालभर में यही वह समय होता है जब चमगादड़ों की कुछ प्रजातियां नजरों से ओझल हो जाती हैं।

आगामी महीनों में शाम के समय आकाश में केवल कुछ चमगादड़ ही घूमते दिखेंगे। सालभर में यही वह समय होता है जब चमगादड़ों की कुछ प्रजातियां नजरों से ओझल हो जाती हैं। सर्दी के इस मौसम में वे चट्टानों की संकरी दरारों या गुफाओं में आराम करते हैं। अच्छी बात यह है कि चमगादड़ों का इस तरह गायब होना कुछ समय के लिए होता है। चमगादड़ स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। वे पर्यावरण में पोषक तत्वों के प्रसार और पौधों के परागण में मददगार साबित होते हैं।

वे कीटों को भी खाते हैं, जिससे खेती में कीटनाशकों की आवश्यकता कम हो जाती है। चमगादड़ हमारे पारिस्थितिक तंत्र को बहुत अधिक फायदा पहुंचाते हैं। चूंकि वे अंधेरे में अपनी गतिविधियां करते हैं, इसलिए हम उनकी तरफ से मिलने वाली मदद से अकसर अवगत नहीं होते। मौसमी तौर पर चमगादड़ों के गायब होने से ज्यादा चिंताजनक बात यह है कि दशकों से उत्तरी अमेरिका में चमगादड़ों की आबादी में गिरावट देखी जा रही है। वनों की कटाई से उनका आश्रय स्थल घटना, शहरीकरण और कृषि भूमि के विस्तार से चमगादड़ों के लिए उपयुक्त जगह की कमी होती जा रही है। साथ ही, फसलों पर कीटनाशकों के छिड़काव के कारण बड़ी संख्या में चमगादड़ों की मौत भी हो जाती है।

चमगादड़ की आबादी में गिरावट

हालांकि, चमगादड़ों की मुश्किलें यहीं खत्म नहीं होती, बल्कि फंगस (कवक) और 'स्यूडोगाइमनोस्कस' के कारण 'व्हाइट नोज सिंड्रोम' फैलता है। इस घातक फंगस के कारण उत्तर अमेरिका में 60 लाख से अधिक चमगादड़ों की जान जा चुकी है। पूर्वी कनाडा में 'व्हाइट नोज सिंड्रोम' विशेष रूप से विनाशकारी साबित हुआ है, जहां इसके कारण भूरे रंग के छोटे मायोटिस (मायोटिस ल्यूसिफुगस) और नॉर्दर्न मायोटिस (मायोटिस सेप्टेंट्रियोनालिस) की आबादी में 90 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है।

फंगस का प्रकोप पश्चिमी देशों में भी बढ़ रहा है, जहां जुलाई में सस्केचेवान में इसका पहला मामला सामने आया था। 'व्हाइट नोज सिंड्रोम' ब्रिटिश कोलंबिया में नहीं पाया गया है, लेकिन इसका खतरा मंडरा रहा है। सिमोन फ्रेसर यूनिवर्सिटी की कायली बायर्स ने कहा हमारी शोध टीम कनाडाई वन्यजीव स्वास्थ्य सहकारी विभाग की ब्रिटिश कोलंबिया इकाई में एक दशक से अधिक समय से वन्यजीव स्वास्थ्य पर काम कर रही है। ब्रिटिश कोलंबिया में रहने वाले चमगादड़ों की 15 प्रजातियों के सामने आने वाले खतरों को समझने के लिए, हमने 2015 और 2020 के बीच मारे गए 275 चमगादड़ों पर अध्ययन किया। हमने पाया कि मृत्यु के सबसे सामान्य कारण मानव गतिविधि से जुड़ा है। यह जानकारी इस समय शहरीकरण और जलवायु परिवर्तन के बीच चमगादड़ों की आबादी का पता लगाने में हमारी मदद कर सकती है। चमगादड़ की जान बचाने के लिए हमें यह जानना होगा कि उनकी मौत कैसे होती है।

चमगादड़ को मार रही बिल्लियां

कायली बायर्स ने कहा हमने जिन चमगादड़ों पर अध्ययन किया, उनमें से एक चौथाई की जान बिल्लियों ने ली थी। यह कोई चौंकाने वाली बात नहीं है- पालतू बिल्लियां वन्यजीवों की जान लेने के मामले में कुख्यात होती हैं। ऑस्ट्रेलिया में, एक अनुमान के मुताबिक आजाद घूमती पालतू बिल्लियां हर साल 39 करोड़ जंतुओं को मार डालती हैं। ये बिल्लियां न केवल चमगादड़ों के लिए बल्कि जैव विविधता के लिए भी खतरा पैदा करती हैं। आइसलैंड के कुछ शहरों ने अपने यहां पक्षियों की घटती आबादी को बचाने के लिए 'कैट कर्फ्यू' लागू किया है।

ऐसे में चमगादड़ों और अन्य पक्षियों की जान बचाने का सबसे आसान उपाय पालतू बिल्लियों को घर के अंदर रखना और उनके बाहर घूमने पर नजर रखना है। बिल्लियां अपने शिकार का लगभग 20 प्रतिशत ही घर लाती हैं, इसलिए मालिकों को अपनी बिल्ली द्वारा किये जाने वाले शिकार की आदतों के बारे में पता नहीं होता। हालिया शोध बताते हैं कि वन क्षेत्रों के पास ये क्रियाएं सबसे महत्वपूर्ण हैं। शोध में पाया गया है कि बिल्लियां जंगलों में 500 मीटर में ही वन्यजीवों का शिकार करती हैं। वन्य क्षेत्रों के पास रहने वाली बिल्लियों पर ध्यान केंद्रित करके वन्यजीवों पर मंडराने वाले खतरे को कम किया जा सकता है।

इंसानों के कारण मर रहे चमगादड़

बिल्लियों को घरों के अंदर रखना खुद उनके लिए भी फायदेमंद होता है। घर के अंदर रहने वाली बिल्लियों का जीवनकाल बाहर विचरण करने वाली बिल्लियों की तुलना में कहीं अधिक होता है। हमारे अध्ययन के अनुसार आधे चमगादड़ों की मौत मानव गतिविधियों के कारण हुई। हमारे अध्ययन में शामिल अधिकांश चमगादड़ (90 प्रतिशत) 'सिनथ्रोपिक प्रजाति' के थे, जो मनुष्य के बीच रहते हैं। अध्ययन में पता चला है कि 25 प्रतिशत चमगादड़ों की मौत इंसान के इस्तेमाल में आने वाली चीजों जैसे कारों या इमारतों से टकराने के कारण हुईं। दिलचस्प बात यह है कि इस तरह से मरने वाले चमगादड़ों में ज्यादातर के नर होने की संभावना है। पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है कि ऐसा क्यों है, लेकिन शोध से पता चलता है कि नर चमगादड़ मादा चमगादड़ों की तुलना में दूर तक उड़ान भर सकते हैं, जिससे इनके वाहन या इमारतों से टकराने की आशंका बढ़ जाती है।

एक अधूरी तस्वीर

वन्य जीवन का अध्ययन आसान नहीं है। गुफाओं से लेकर खलिहान और खलिहान से लेकर अटारी तक कई अलग-अलग जगहों पर चमगादड़ रहते हैं, और वैज्ञानिक हर समय सभी जगहों पर चमगादड़ों की निगरानी नहीं कर सकते। लोगों की तरफ से मिली सूचना चमगादड़ों के बारे में जानकारी एकत्र करने और इनकी स्थानीय आबादी के स्वास्थ्य को समझने में हमारी मदद करती है।


क्रेडिट ; navbharattimes

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