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भविष्य में पूरी दुनिया एक ऐसी समस्या से जूझेगी जो किसी भी महामारी से ज्यादा बड़ी होगी.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| भविष्य में पूरी दुनिया एक ऐसी समस्या से जूझेगी जो किसी भी महामारी से ज्यादा बड़ी होगी. धरती पर मौजूद सभी जीवों की अगली पीढ़ी के लिए खतरा है. आप सोचिए कि कुछ सालों बाद इंसानों और अन्य जानवरों के नर नपुंसक हो जाएं तो क्या होगा. एक नई स्टडी में इस बात का खुलासा हुआ कि इसके लिए सबसे बड़ी वजह जलवायु परिवर्तन और अत्यधिक तापमान है. इससे पहले पर्यावरण में शामिल अलग-अलग प्रकार के घातक रसायन भी जिम्मेदार हैं.
हमें पता है कि ज्यादा तापमान जब अत्यधिक की ओर बढ़ता है तो जानवरों की जान जाने लगती हैं. ये उसे बर्दाश्त नहीं कर पाते. नई रिसर्च में ये बात सामने आई है कि ज्यादा तापमान वाले पर्यावरण में नर जीव नपुंसक हो ही रहे हैं. इसके अलावा जिन जगहों पर तापमान को लेकर इतने बुरे हालात नहीं हैं, उन्हें भी नपुंसक होने का खतरा है. इसका मतलब ये है कि प्रजातियों का विभाजन प्रजनन के मामले में तापमान के चलते गड़बड़ हो जाए. शायद इंसान जलवायु परिवर्तन को कमतर आंक रहा है. यहीं पर गलती हो रही हैं इंसानों से...अगर इसे नहीं रोका गया तो ये किसी भी महामारी से ज्यादा भयानक स्थिति होगी. कुछ जीवों की प्रजातियां तो विलुप्त भी हो सकती हैं.
वैज्ञानिकों को कुछ सालों से ये बात पता है कि तापमान बढ़ता है तो जानवरों की प्रजनन क्षमता बिगड़ती हैं. उदाहरण के लिए अगर 2 डिग्री सेल्सियस तापमान बढ़ता है तो कोरल्स में स्पर्म बंडल्स और अंडों के आकार में कमी आ जाती है. इसके अलावा बीटल्स और मधुमक्खियों की कुछ प्रजातियों में प्रजनन दर की कमी देखी गई है. जितना तेजी से तापमान बढ़ता है, उतनी ही तेजी से मधुमक्खियों जैसे कीट-पतंगों की प्रजनन क्षमता में कमी आती है.
ज्यादा तापमान का असर गाय, सूअर, मछली और पक्षियों की प्रजनन क्षमता पर भी असर डालता है. इसके भी उदाहरण वैज्ञानिकों के पास मौजूद हैं. हालांकि अभी तक वैज्ञानिक इस बात की जांच नहीं कर पाए हैं कि ज्यादा तापमान से जैव-विविधता पर किस स्तर का असर पड़ेगा. इसे लेकर कोई भविष्यवाणी फिलहाल नहीं की जा सकती
नेचर मैगजीन में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक यूके, स्वीडन और ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने मिलकर मक्खियों की 43 प्रजातियों का अध्ययन किया है. इसमें ये जांच की गई कि नर मक्खियों की प्रजनन क्षमता पर तापमान का क्या असर हो रहा है. क्योंकि मक्खियां वैश्विक स्तर पर पाई जाती हैं. इसलिए इनपर स्टडी करने से पूरी दुनिया में बढ़ते तापमान के असर को देखा जा सकता है.
Predictions about how #ClimateChange will affect biodiversity don't usually consider how higher temps cause infertility.
— The Conversation (@ConversationEDU) May 24, 2021
New research shows we may be failing to identify the species most likely to go extinct.@bvanheerwaarden + Ary Hoffmann @unimelb: https://t.co/ngeLXI009f
वैज्ञानिकों ने पाया कि मक्खियों की कई प्रजातियों के नर बढ़ते तापमान में सर्वाइव नहीं कर पाते. कई तो मारे जाते हैं. गर्मी से बचने के लिए ये मक्खियां चार घंटे तक उड़ान भरती रहती हैं, उसके बाद ये मारी जाती हैं. इसके अनुसार वैज्ञानिकों ने अंदाजा लगाया कि किस तापमान पर 80 फीसदी जीवों को नुकसान पहुंचता है. और वह तापमान कौन सा है जिसपर नर जीवों की प्रजनन क्षमता खत्म हो जाती है. चाहे वह इंसान हों या जानवर.
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