विज्ञान

पृथ्वी के महासागरों में जितना पानी, उससे कई ज्यादा सूरज पर है सोने का भंडार

Gulabi
12 July 2021 3:30 PM GMT
पृथ्वी के महासागरों में जितना पानी, उससे कई ज्यादा सूरज पर है सोने का भंडार
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सूरज पर है सोने का भंडार

दुनियाभर की अर्थव्यवस्था हो या सिर्फ भारतीय परंपराएं, सोने की अहमियत हमेशा से सबसे ज्यादा रही है। इसके पीछे एक बड़ा कारण है इसका दुर्लभ होना। दिलचस्प बात यह है कि धरती पर भले ही सोना सबसे दुर्लभ धातुओं में से एक हो, धरती के महासागरों में जितना पानी है उससे भी ज्यादा सोना मौजूद है कहीं और। यह जगह है हमारे सौर मंडल का केंद्र यानी सूरज। सदियों पहले वैज्ञानिकों ने सोने के इस भंडार का पता कैसे लगाया था, इसके पीछे भी छिपी हैं कई रोचक कहानियां और वैज्ञानिक क्षमता की मिसालें…

ऐस्ट्रॉनमी मैगजीन की एक रिपोर्ट में जिक्र है 1859 की एक रात का जब मशहूर केमिस्ट रॉबर्ट बेनसन और गुस्टाव किर्शॉफ ने जर्मनी में मैनहीम शहर में एक आग बढ़कती हुई देखी। ये आग उनकी हीडलबर्ग यूनिवर्सिटी स्थित लैब से 10 मील यानी कम से कम 10 मील दूर थी। इस घटना में उन्हें आइडिया आया अपने नए स्पेक्ट्रोस्कोप के इस्तेमाल का। इस डिवाइस की मदद से रोशनी को अलग-अलग वेवलेंथ में बांटकर केमिकल एलिमेंट्स को पहचाना जा सकता है। उन्होंने खिड़की पर ही स्पेक्ट्रोस्कोप को लगाया और आग की लपटों में ढूंढ निकाला बेरियम और स्ट्रॉन्शियम को। आज दुनियाभर की लैब्स में इस्तेमाल किए जाने वाले बेनसन बर्नर को डिजाइन करने वाले रॉबर्ट ने सुझाव दिया कि इसी स्पेक्ट्रोस्कोपी का इस्तेमाल सूरज और चमकीले सितारों के वायुमंडल पर भी किया जा सकता है।
​ऐसे हुई सोने की खोज
करीब 10 साल बाद 18 अगस्त, 1868 को पूर्ण सूर्य ग्रहण के दौरान कई ऐस्ट्रोनॉमर्स ने स्पेक्ट्रोस्कोपी की मदद से सूरज पर हीलियम की खोज की। इसके बाद एक-एक करके सूरज के वायुमंडल में कार्बन, नाइट्रोजन, लोहे और दूसरे हेवी मेटल्स की खोज की। इन्हीं में से एक था सोना। 18वीं शताब्दी के आखिर और 19वीं शताब्दी की शुरुआत में धरती की उत्पत्ति और इतिहास को लेकर समझ के बढ़ने के साथ ही यह सवाल भी सामने आने लगा कि आखिर अरबों साल से सूरज और दूसरे सितारे कैसे चमक रहे हैं?
लंबे वक्त तक चलीं रिसर्च में वैज्ञानिकों ने पाया कि सूरज पर 2.5 ट्रिल्यन टन सोना है। इतने सोने से धरती के सभी महासागर भर सकते हैं और फिर भी यह ज्यादा होगा। एक और दिलचस्प खोज आगे चलकर की गई, जिसमें पाया गया कि धरती पर आज मौजूद सोना सूरज जैसे सितारों के न्यूट्रॉन स्टार बनने और फिर आपस में टकराने से पहुंचा है।
​धरती पर कैसे आया?
दरअसल, जब कोई सितारा अपने जीवन के आखिरी चरण में होता है तो उसकी कोर ढह जाती है और फिर सुपरनोवा विस्फोट होता है। सितारे की बाहरी परतें स्पेस में फैलती हैं और इस दौरान न्यूट्रॉन कैप्चर रिऐक्शन होते हैं। इनसे पैदा होते हैं लोहे से भारी ज्यादातर एलिमेंट्स। जब ऐसे ही दो न्यूट्रॉन स्टार आपस में टकराते हैं तो न्यूट्रॉन कैप्चर रिऐक्शन के कारण स्ट्रॉन्शियम, थोरियम, यूरेनियम के साथ-साथ सोना भी बनता है। हमारा ब्रह्मांड बनने के बाद से ऐसी कई टक्करें हुई हैं और इनसे स्पेस में सोना फैल गया जो हमारी धरती पर आ पहुंचा। यानी सोना सिर्फ इसलिए खास नहीं है क्योंकि यह धरती पर दुर्लभ है, बल्कि इसलिए भी क्योंकि यह सीधे सितारों से जमीन पर उतरता है।
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