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बेटलजेस आसमान का 10वां सबसे चमकीला तारा (Betelgeuse, the 10th brightest stars in the sky) है. ये उन तारों में रहा,
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | बेटलजेस आसमान का 10वां सबसे चमकीला तारा (Betelgeuse, the 10th brightest stars in the sky) है. ये उन तारों में रहा, जिसे हम नंगी आंखों से, बगैर किसी उपकरण की मदद से साफ देख पाते हैं, लेकिन अब लगातार इसकी रोशनी घट रही है. अंतरिक्ष विज्ञानी इसकी मद्धम होती रोशनी को लेकर इसलिए भी परेशान थे कि साल 2019 में ही तारे में ये बदलाव एकाएक दिखा. इसके कुछ ही महीनों के भीतर बेटलजेस की दो-तिहाई रोशनी खत्म हो गई.
कालपुरुष तारासमूह का हिस्सा है बेटलजेस
अंतरिक्ष-वैज्ञानिकों को लगभग दो साल से उलझन में रखे इस तारे का रहस्य अब जाकर खुला है. लेकिन इसे राज तक पहुंचने से पहले एक बार हम बेटलजेस के बारे में थोड़ी जानकारी जुटा लेते हैं. ये ऑरियन तारा-समूह का हिस्सा है, यानी तारों का वो समूह, जो हमारे यहां शिकारी तारा मंडल या कालपुरुष भी कहलाता है. इसे अक्सर एक पुरुष या शिकारी के रूप में दिखाया जाता है. तो बेटलजेस इसी तारा मंडल में पुरुष का कंधा है.
चमक एकाएक कम होने लगी
इसके अलावा बेटलजेस हमारी धरती के सबसे करीब के चमकदार तारों में से है, जो लगभग 700 प्रकाशवर्ष दूर है. अब यही तारा तेजी से चमक खो रहा है. साल 2019 के आखिर से लेकर साल 2020 की फरवरी तक में ही इसकी लगभग 35 प्रतिशत चमक कम हो गई. खगोलशास्त्री इसे लेकर तरह-तरह की सोच बनाने लगे. कुछ ने ये भी माना कि शायद धूल की परतों का असर वहां तक पहुंच गया है.
हबल टेलीस्कोप ने की रिसर्च
इसे लेकर सबसे सघन रिसर्च बीते साल के मध्य में शुरू हुई. हबल स्पेस टेलीस्कोप ने ध्यान दिया कि बेटलजेस की चमक पहले कैसी थी और अब ये कैसा दिख रहा है. इस तारे पर लगातार नजर रखी गई. इससे जो UV डाटा मिला, वो बताता है कि तारे के चारों ओर धूल के बादल जमा हो गए हैं जो उसे धुंधला बना रहे हैं.
पहले सुपरनोवा मान रहे थे वैज्ञानिक
विज्ञान पत्रिका नेचर में ये रिसर्च छपी. वीयर्ड वेबसाइट में इसकी एक शोधकर्ता एंड्रिया डुप्रे, जो कि हार्वर्ड स्मिथसोनियन सेंटर में काम करती हैं, ने इस बात की पुष्टि की. वैसे इससे पहले इसे सुपरनोवा की शुरुआत भी माना जा रहा था. बता दें कि सुपरनोवा किसी तारे के जीवन चक्र के अंत में एक बड़ा विस्फोट है. इसमें तारा धुंधला होते-होते एक दिन फट जाता है. यह विस्फोट बहुत शक्तिशाली होता है और बाद में अक्सर इससे नया तारा बन जाता है.
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सुपरनोवा की घटना को अंतरिक्ष की सबसे खतरनाक और दुर्लभ घटनाओं में से माना जाता है. इससे होने वाला विस्फोट सूर्य की चमक और ऊर्जा को पीछे छोड़ देता है. यानी ये खतरनाक भी हो सकता है. यही कारण है कि धरती के सबसे करीब के इस चमकीले तारे का धुंधलाना वैज्ञानिकों को परेशान कर रहा था.
सूरज की रोशनी भी बढ़कर खत्म हो सकती है
तो फिलहाल तो ये समझ आ चुका है कि बेटलजेस की रोशनी का घटना सुपरनोवा बनने की शुरुआत नहीं है. वैसे बता दें कि सूरज भी बीते कई दशकों में धुंधला रहा है. यहां तक कि वैज्ञानिकों का मानना है कि लगभग 5 बिलियन सालों के भीतर सूरज की गर्मी खत्म हो जाएगी. ये एक खास प्रक्रिया के चलते होगा.
कैसे और गर्म होता जाएगा सूरज
दरअसल सूरज की गर्मी न्यूक्लियर फ्यूजन से होती है. इससे हाइड्रोजन गैस हीलियम में बदल जाती है. इस प्रक्रिया में गर्मी पैदा होती है. आज से लगभग 4 बिलियन सालों के भीतर सूरज की ये प्रक्रिया गड़बड़ाने लगेगी. इसे संतुलित करने की कोशिश में सूरज बहुत ज्यादा गर्म हो जाएगा. ये वही अवस्था है, जिसे वैज्ञानिक रेड जायंट के नाम से बुलाते हैं.
क्या होगा दुनिया पर असर
इसका असर आने वाली पीढ़ियों पर होगा. वे बहुत ज्यादा गर्मी देखेंगी. ये तापमान इतना ज्यादा होगा कि पानी के प्राकृतिक स्त्रोत सूख जाएंगे. लाइव साइंस की एक रिपोर्ट के मुताबिक सूरज के रेड जायंट वाली अवस्था में हमारी धरती शुक्र ग्रह की तरह दिखेगी. जहां वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड ही होगी. ऐसे में इंसानों या दूसरे जीव-जंतुओं या वनस्पति का रहना असंभव होगा. इसके बाद सूरज की वो अवस्था आएगी, जिसे वाइट ड्वार्फ के नाम से जाना जाता है. यह वो वक्त है, जब सूरज का बढ़ना आखिरकार थम जाएगा.
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