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दुनिया कई रहस्यों से भरी पड़ी है। कई जगहें एलियंस की वजह से तो कई भूतों की वजह से रहस्यमयी मानी जाती हैं
दुनिया कई रहस्यों से भरी पड़ी है। कई जगहें एलियंस की वजह से तो कई भूतों की वजह से रहस्यमयी मानी जाती हैं। भारत में भी ऐक ऐसी ही झील जहां कोई जाता है, तो वहां से फिर लौटकर वापस नहीं आता है। इस झील के रहस्य का आज तक वैज्ञानिक भी नहीं पता लगा पाए। यह झीलभारत और म्यांमार की सीमा पर स्थित है। इस झील ने कुछ रहस्यमय घटनाओं को अपने आप में समेटे हुए है। इस झील के बारे में कई रहस्यमयी कहानियां सामने आई हैं। इस झील को 'लेक ऑफ नो रिटर्न'के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा इसे नावांग यांग झील भी कहा जाता है। यह अरुणाचल प्रदेश में है। बताया जाता है कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिकी विमान के पायलटों ने यहां पर समतल जमीन समझकर इमरजेंसी लैंडिंग करा दी, लेकिन वह जहाज पायलटों समेत रहस्यमय तरीके से लापता हो गया।
झील से एक और रहस्य जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि जब युद्ध समाप्त होने बाद जापान के सैनिक वापस लौटकर जा रहे थे, तो वे इस झील के पास रास्त भूल गए और फिर लापता हो गए। लेकिन कुछ लोग मानते हैं कि सैनिकों को मलेरिया हो गया था, इसकी वजह से सभी की मौत हो गई थी। हालांकि सच्चाई क्या है यह अभी तक नहीं पता चल पाया है।
लेक ऑफ नो रिटर्न झील से एक और कहानी जुड़ी है। स्थानीय लोग इस झील के एक और रहस्य के बारे में बताते हैं। आस-पास के लोग बताते हैं कि कई वर्षों पहले गांव के एक व्यक्ति ने बड़ी मछली पकड़ी थी और उसने पूरे गांव को दावत दिया था। हालांकि एक दादी और उसकी पोती को दावत पर नहीं बुलाया। इस बात से नाराज होकर झील की रखवाली करने वाले शख्स ने दादी और पोती को गांव से दूर चले जाने के लिए कहा। इसके बाद अगले दिन पूरा का पूरा गांव झील में समा गया।
वैज्ञानिकों ने इस झील के रहस्य को सुलझाने के कई प्रयास किए, लेकिन अभी तक उनको कामयाबी नहीं मिल पाई है। आज तक यह रहस्य बना हुआ है कि यहां जाने वाला आखिर कहां चला जाता है।
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