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
वैज्ञानिकों ने यह लंबे समय से गहन शोध का विषय रहा है कि जानवरों में दांतों का विकास (Evolution of Teeth) कैसे हुआ. प्राणियों के उद्भव इतिहास में इस मामले को लेकर दो तरह कि परिकल्पनाएं हैं. पहली तो है आउटसाइट इन हाइपोथेसिस (Outside in Hypothesis) जिसके अनुसार दांत शरीर की बाहरी परतों में विकसित हुए थे और दूसरी संभावित परिकल्पना है इन्साइड आउट हाइपोथेसिस (Inside out Hypothesis) जिसके मुताबिक दांत मुंह के अंदर ही विकसित हुए थे. उत्तरी अमेरिका में करोड़ों साल पुरानी विलुप्लत आरा मछली की प्रजाति के जीवाश्म के अध्ययन में संयोगवश पहली परिकल्पना के स्पष्ट प्रमाण देखे गए हैं. यानि प्राणियों में दातों का विकास पहले मुंह के बाहर हुआ था और उसके बाद वे मुंह के अंदर विकसित हुए.
नथुनों के पास नुकीली दंतिकाएं
शोधकर्ता 6.5 से 10 करोड़ साल पुरानी इस्किरिजा मिरा नाम की आरा मछली प्रजाति के जीवाश्वम का अध्ययन कर रहे थे. आज के आरा शार्क या आरा मछली की तरह इस जीव के नथुनों के पास नुकीली दंतिकाओं वाली आकृति थी जो उसे शिकार करने और भोजन जमा करने में मददगार हुआ करती थी.
बाहरी परत का उन्नत संस्करण
यह माना जाता है कि यह ये नुकीली आकृतियां रोस्ट्रल डेंटिकल्स या चोंच के स्थान पर दंतिका के जैसी थी जो उसके बाकी शरीर की बाहरी परत का उन्नत संस्करण थीं. इन परतों और दंतिकों के बीच की संबंध की पड़ताल करने के प्रयास में शोधकर्ताओं ने नुकीले नथुनों के इनेमलॉयड की बाहरी परत का विश्लेषण किया.
उम्मीद से कहीं जटिल संरचना
पेनिसिलवेनिया स्टे यूनिवर्सिटी के वर्टिबरेट जीवाश्म विज्ञानी टोड कुक बताया कि उनकी टीम ने अपने विश्लेषण में उम्मीद से काफी हटकर ही बात पाई कि मिरा के रोस्ट्रल दंतिका के इनेमलॉयड की संरचना सरल बिलकुल नहीं थी. वास्तव में शरीर के स्केल के इनेमलॉयड से कहीं ज्यादा जटिल थी.
एक विशेष समानता
वास्तव में पुरातन आरा मछली के इनेमलॉयड का पूरा गठन आधुनिक शार्क के दातों के इनेमलॉयड से मिलता जुलता है. जो बहुत अच्छी तरह से स्पष्ट बनी है. जीवाश्म का इनेमलॉयड आधुनिक शार्क के दांतों इस बात में विशेष तौर पर मिलते हैं कि दोनों फ्लूरोपैटाइट सूक्ष्मक्रिस्टल के पैकेज बंडल के रूप में बने हैं, जो दातों की सतह पर तो साफ रेखा में जमे हैं लेकिन नीचे अव्यवस्थित रूप में हैं.
इनेमलॉयड दंतिकाओं का संयोजन
इन्ही परतों में पैक सूक्ष्मक्रिस्टल दातों की सतह के लम्बवत जमे होते है. इन अलग अलग संयोजन शार्क के दातों को ताकत और प्रतिरोध क्षमता प्रदान करती है. शोधकर्ताओं का कहना है कि मिरा आरा मछली की भी यही कहानी थी. कुक बताते हैं कि संभव है कि आई मिरा के रोस्ट्रल दंतिकाओं के इनेमलॉयड का बंडल वाले सूक्ष्मक्रिस्टल संयोजन यांत्रिक बलों से निपटने के लिए काम आता होगा.
नतीजों का गहरा असर होगा
स्केल या परत और दातों की सूक्ष्म संरचनाओं का अलग अलग विकास असंभव तो नहीं है, लेकिन तार्किक तौर पर यह सही लगता है कि दोनों एक के बाद एक विकसित हुए होंगे. यानि बाहर से अंदर की परिकल्पना सही हो सकती है. वहीं शोधकर्ता दांतों के विकास के इतिहास अध्ययन नहीं कर रहे थे.लेकिन उनके अध्ययन के नतीजों का उद्भव विज्ञान पर गहरा प्रभाव देखने को मिलेगा.