विज्ञान

गोवा से मुंबई तक के समुद्र तटों पर पाई जाती है टारबाल्स, जानें क्या है ये चीज

Gulabi
16 Sep 2021 4:01 PM GMT
गोवा से मुंबई तक के समुद्र तटों पर पाई जाती है टारबाल्स, जानें क्या है ये चीज
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पिछले कई दिनों से लोगों को मुंबई और गोवा के समुद्री तटों पर काल रंग की तेल वाली गेंदें जैसी चीजें दिखाई दे रही हैं

पिछले कई दिनों से लोगों को मुंबई (Mumbai) और गोवा के समुद्री तटों पर काल रंग की तेल वाली गेंदें जैसी चीजें दिखाई दे रही हैं. ये चिपचिपी और बदबूदार गेंद की तरह दिखने वाली चीजें तारबॉल (Tar balls) कहलाती हैं. इसी महीने में बृहन्नमुंबई महानगर निगम (BMC) ने मुंबई और वर्सोवा बीचों पर से 20 हजार किलो की टार गेंदें हटाई हैं. इस महीने के शुरुआते में गोवा में भी गोवा की बीच काले चिपचिपी परत से ढके दिखे जैसे किसने वहां काला कार्पेट बिछा दिया हो. आइए जानते हैं कि ये तारबॉल या टार की गेंदें क्या होती हैं.

समुद्र से आती है ये गंदगी
ये टार की गेंदे समुद्र से तटों पर आती हैं. ये गहरे रंग की चिपचिपी गेंद की तरह दिखने वाली चीजें कच्चे तेल की बनी होती हैं जो महासागरों की सतह पर तैरता है. ये तब बनती हैं जब समुद्री वातरावरण में कच्चे तेल का अपक्षय होता है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्टम नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशीनोग्राफी (NIO) के शोधकर्ताओं ने इन टार गेंदों पर विशेष शोध किया है.
लहरें इन्हें फेंक जाती है किनारे पर
लक्ष्मण शिंद, वर्षा एंड सुनील, वी एंड शेनॉय, बेले दामोदरा के शोधपत्र का शीर्षक 'टार गेंदों से संबंधित बैक्टीरिया और फफूंद की विविधता: हालिया विकासक्रम और संभावनाएं" था. उनके मुताबिक ये खुले समुद्र में धाराओं और लहरों के साथ तैरती हुई तटों तक जाती हैं जहां लहरें उन्हें किनारे पर फेंक कर लौट जाती हैं. इस अध्ययन में बताया गया है कि ये कैसे और कब बनती हैं.
कैसे बनती हैं यें
अध्ययन के अनुसार जब हवा और लहरें समुद्र की सतह पर जमे चिकने तेल को तोड़ती हैं और वह तेल टुकड़ों में यहां वहां विस्तृत क्षेत्र में फैल जाता है. इसके बाद ये टुकड़ बहुत से भौतिक, रासायनिक और जैविक अपक्षय प्रक्रियाओं से गुजरते हैं. जिससे तेल के उन टुकड़ों में बदलाव आ जाता है.
अरब सागर में फैला तेल
माना जाता है कि यह तेल समुद्र के अंदरूनी इलाकों में चल रहे विशाल कार्गो जहाजों से निकलता है और किनारों की ओर धक्के खाते हुए आ टार गेंदों के रूप में जाता है. ये खास तौर पर मानसून में एक ही दिशा में तेज हवाओं की वजह से तटों तक पहुंच जाता है. अध्ययन में बताया गया है कि अरब सागर में फैला सभी तेल पश्चिमी तट पर अंततः जमा हो जाता है.
कोई नियंत्रण नहीं
मुंबई में बीएमसी ने एक सफाई ठेकेदार को नियुक्त किया है जिसका काम ज्वार आने के बाद टारबॉल को हटाने का है. वहीं महाराष्ट्र पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (MPCB) का कहना है कि कि अधिकांश तेल बड़े कार्गो जहाजों से आता है जहां भारत का कोई भी न्यायाधिकरण नहीं हैं. उनके पास इसे रोकने के लिए किसी भी तरह का समाधान या नियंत्रण नहीं है.
पहले भी हो चुकी है इनकी जांच
इस साल जब 4 सितंबर को बहुत सारी टार गेंदें देखने की खबर आई, एमपीसीबी ने मुंबई के जुहू बीच जाकर वहां से बहुत सारी टार गेंदों से नमूने जमा किए हैं, इनका प्दूषको के स्रोत का पता लागने के लिए भी जांच की जाएगी. एमपीसीबी इससे पहले ही इस तरह के नमूनों का अध्ययन कर चुका है, लेकिन उनका कोई निर्णायक नतीजा नहीं निकला.
टार की गेंदों के आकार एक सिक्के से लेकर एक बड़ी दरी जितना बड़ा भी हो सकता है. इनका आकार काफी कुछ उनके निर्माण प्रक्रिया और मूल निर्माण स्थल की दूरी पर निर्भर करता है. ऐसा नहीं है कि यह समस्या केवल मुंबई और गोवा तक ही सीमित है. कई बार ये टारबॉल्स गुजरात और कर्नाटक के तटों पर भी दिखाई देते हैं. फिलहाल तटों की सफाई ही इनका समाधान हैं.
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