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अंतरिक्ष में चांद के बारे में जानकारी जुटाने के लिए इसरो द्वारा भेजे गए चंद्रयान-2 ने बेहद डराने वाले संकेत भेजे हैं
अंतरिक्ष में चांद के बारे में जानकारी जुटाने के लिए इसरो द्वारा भेजे गए चंद्रयान-2 ने बेहद डराने वाले संकेत भेजे हैं। जब इस संकेत का वैज्ञानिकों ने अध्ययन किया तो पता चला कि सूरज से बहुत ज्यादा सोलर विकिरण हो रहा है। जी हां, जब अंतरिक्ष में इसरो द्वारा भेजा गया चंद्रयान-2 चंद्रमा का चक्कर लगा रहा था, तभी सूर्य से इस सोलर विकिरण को निकलते देखा गया। इस विकिरण को चंद्रयान में लगे लार्ज एरिया सॉफ्ट एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर ने सोलर प्रोट्रान इवेंट को दर्ज किया गया। ऐसा माना जा रहा है कि इस तरह का विकिरण अंतरिक्ष यात्रियों के लिए बेहद खतरनाक है। इसरो के अनुसार, यान पर लगे यंत्र क्लास ने 18 जनवरी 2022 को कोरोनल मास इजेक्शन ने दर्ज किया था। जिसके फलस्वरूप दक्षिण भारत समेत कई पड़ोसी देशों में इस सौर लहर का प्रभाव देखने को मिला। इसरो ने बताया कि इस तरह के अध्ययनों से कई जानकारियां निकल कर सामने आती हैं। आइए समझते हैं कि इस तरह की सौर लहरें पृथ्वी पर क्या प्रभाव डाल सकती हैं.........
इसरो के अनुसार, जब सूर्य सक्रिय होता है तो उसमें से सौर लहरें निकलती हैं, जिनमें आवेशित कण निकलते हैं। इन्हीं कणों को सोलर प्रोटॉन इवेंट या SPEs कहा जाता है। जानकार बताते हैं कि इन सौर लहरों से अलग-अलग ग्रहों पर सौर तूफानों के अध्ययन में मदद मिलती है।
इन SPEs कणों में काफी ज्यादा रेडिएशन होता है जो अंतरिक्ष में रह रहे अंतरिक्ष यात्रियों के लिए बेहद खतरनाक होता है। इसका असर पृथ्वी पर भी देखने को मिलता है, जिसके कारण वायुमंडल में आयोनाइजेशन की प्रक्रिया तेज हो जाती है। इन सौर लहरों को इनकी ताकत के अनुसार कई श्रेणियों में बांटा गया है। ए, बी,सी, एम और एक्स क्लास और हर दूसरी श्रेणी पहली वाली से 10 गुना ज्यादा प्रभावशाली होती हैं।
20 जनवरी 2022 को जिस सौर लहर के बारे में पता चला है उसे M5.5 नाम दिया गया। इस लहर को नासा के GOES सैटेलाइट ने भी देखा है। आपको जानकर हैरानी होगी कि सूर्य पिछले एक महीने से लगातार सौर लहरें उत्सर्जित कर रहा है। ये सौर लहरें तूफान का रूप लेकर अंतरिक्ष में लंबी-लंबी दूरी तय कर रही हैं। स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी में हेलियोसीस्मोलॉजी विभाग के एस्ट्रोनॉमर जुनवी झाओ के अनुसार, अभी हाल ही में 15 फरवरी में सौर लहरें धरती से टकराई थी।
जानकारों का ऐसा मानना है कि सूर्य से इस तरह की कई लहरें लगातार निकल रही हैं। जो धरती के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकती हैं। इन सौर लहरों में M श्रेणी की लहरें बीते दो माह जनवरी और फरवरी में धरती पर आई हैं। जनवरी में 5 लहरें और फरवरी महीने में 3 सौर लहरें आई थीं। इन लहरों को पृथ्वी पर आने में कुछ दिनों का समय लगता है, लेकिन ये समय इनकी गति और तीव्रता पर निर्भर करता है।
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