विज्ञान

सूर्य पर हुआ इतना बड़ा विस्फोट कि बुध तक हिल गया! मरक्यूरी तक पहुंची प्लाज्मा की लहर, तूफान का खतरा

Tulsi Rao
15 April 2022 2:50 PM GMT
सूर्य पर हुआ इतना बड़ा विस्फोट कि बुध तक हिल गया! मरक्यूरी तक पहुंची प्लाज्मा की लहर, तूफान का खतरा
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जहां इसने संभवतः एक अस्थायी वातावरण पैदा किया और बुध की धूमकेतु जैसी पूंछ में कुछ मलबा भी छोड़ दिया।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सूर्य से निकली एक विशालकाय प्लाज्मा वेव बुध ग्रह से टकराई। यह घटना है कि 12 अप्रैल की, जिसने ग्रह की सतह पर जियोमैग्नेटिक तूफान और मलबे के फैलने की संभावनाओं को बढ़ा दिया है। सूर्य पर शक्तिशाली विस्फोट, जिसे कोरोनल मास इजेक्शन (CME) कहा जाता है, 11 अप्रैल की शाम को हुआ था। इससे निकली प्लाज्मा लहर को बुध ग्रह से टकराने में एक दिन से भी कम समय लगा, जहां इसने संभवतः एक अस्थायी वातावरण पैदा किया और बुध की धूमकेतु जैसी पूंछ में कुछ मलबा भी छोड़ दिया।

लाइव साइंस की खबर के अनुसार प्लाज्मा की यह लहर एक सनस्पॉट से आई थी। सूर्य पर बनने वाले सनस्पॉट दरअसल बाहरी सतह पर बनने वाले शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र हैं जो विद्युत आवेशों के प्रवाह से बनते हैं। इस प्रक्रिया से ऊर्जा रेडिएशन विस्फोट के रूप में निकलती है जिसे सौर लहरें (Solar Flares) या प्लाज्मा की लहरें (CME) कहते हैं। धरती जैसे ग्रह जिनके पास शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र मौजूद हैं, वहां सीएमई अवशोषित हो जाती हैं और शक्तिशाली जियोमैग्नेटिक तूफान पैदा करती हैं।
सौर हवाओं से होती है परमाणुओं की भरपाई
पृथ्वी के विपरीत बुध के पास शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र नहीं है। बुध पर मौजूद परमाणु लगातार अंतरिक्ष में खोते जा रहे हैं, जिससे ग्रह के पीछे निकलती हुई सामग्री की धूमकेतु जैसी एक पूंछ बन रही है। लेकिन सोलर हवाएं (Solar Winds), सूर्य से आने वाली आवेशित कणों की एक धारा जिसमें हीलियमस, कार्बन, नाइट्रोजन, नियॉन और मैग्नीशियम जैसे तत्वों के नाभिक शामिल होते हैं, और सीएमई लहरों के कण बुध के परमाणुओं की छोटी मात्रा की भरपाई करते हैं।
bइससे पहले खबर आई थी कि गुरुवार को सौर तूफान धरती से टकरा सकता है। नासा ने कहा था कि कोरोनल मास इजेक्शन के कारण यह सौर तूफान पैदा हुआ है। यूएस स्पेस वेदर सेंटर (SWPC) ने इस सौर तूफान को G-2 श्रेणी का बताया, जो काफी खतरनाक माना जाता है। धरती से सौर तूफान टकराने के कारण बाहरी वायुमंडल में सबसे ज्यादा प्रभाव देखने को मिल सकता है। इसका सीधा असर पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे सैटेलाइट्स पर पड़ सकता है।


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