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- ओडिशा में एयर मिसाइल...
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| ओडिशा के बालासोर में जिले में शुक्रवार को भारत ने जमीन से हवा में मार करने वाली क्विक रिएक्शन मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। इस मिसाइल को DRDO ने विकसित किया है। टेस्ट फायर के दौरान अपने लक्ष्य पर निशाना बनाने में यह मिसाइल सफल रहा। इससे पहले भारत ने गत माह बालासोर जिले के चांदीपुर अंतरिम परीक्षण परिसर में पृथ्वी-2 बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया था।
मिसाइल पूरी तरह से स्वदेशी है और इसमें सक्रिय आरएफ सीकर, इलेक्ट्रो मैकेनिकल एक्चुएशन प्रणाली लगी है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, डीडी आर एंड डी के सचिव और डीआरडीओ के प्रमुख जी सतीश रेड्डी ने इस उपलब्धि के लिए डीआरडीओ के वैज्ञानिकों को बधाई दी।
#WATCH: Successful testfiring of the DRDO-developed Quick Reaction Surface to Air Missile system off the coast of Balasore, Odisha yesterday. The Missile can hit targets in air at a strike range of 25-30 km. During the testfiring, it hit its target directly. pic.twitter.com/szA2J2cytG
— ANI (@ANI) November 14, 2020
मिली खबर के अनुसार, अत्याधुनिक मिसाइल को यहां पास में स्थित चांदीपुर एकीकृत परीक्षण रेंज से दोपहर तीन बजकर 50 मिनट के करीब प्रक्षेपित किया गया था। इसका पूरा सिस्टम अपने लक्ष्य का पता लगाने और उस पर नजर रख ध्वस्त करने में सक्षम है। इस प्रणाली को भारतीय सेना की हमलावर टुकड़ी को हवाई रक्षा प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है। इसे एक स्तरीय ठोस प्रणोदक रॉकेट मोटर से दागा गया। उन्नत मिसाइल में सभी स्वदेशी उप प्रणालियों का इस्तेमाल किया गया है।
बताया गया है कि रडार ने दूर से ही पायलट रहित विमान लक्ष्य का पता लगा लिया और लक्ष्य के मारक सीमा में आने पर मिसाइल को दागा गया और इसने सीधे लक्ष्य पर प्रहार किया और उसे ध्वस्त कर दिया। अधिकारियों ने बताया कि करीब 30 किलोमीटर की रेंज में प्रहार करने वाली मिसाइल प्रणाली के सफल परीक्षण के बाद अब उसके व्यावसायिक उत्पादन का रास्ता साफ हो गया है।
इस मिसाइल को मोबाइल प्रक्षेपण का इस्तेमाल करके भी दागा जा सकता है। बयान में कहा गया है कि परीक्षण के लिए क्यूआरएसएएम हथियार प्रणाली के सभी तत्वों जैसे बैटरी, बहुकार्य रडार, बैटरी निगरानी रडार, बैटरी कमान पोस्ट यान और मोबाइल प्रक्षेपक को तैनात किया गया था। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की अलग-अलग प्रयोगशालाओं जैसे डीआरडीएल, आरसीआई, एलआरडीई, आर एंड डी ई (ई), आईआरडीई और आईटीआर ने परीक्षण में भाग लिया।