विज्ञान

स्टडी: सूरज पर उठे तूफान से सैटलाइट को हो सकता है खतरा

Gulabi
24 Sep 2021 1:38 PM GMT
स्टडी: सूरज पर उठे तूफान से सैटलाइट को हो सकता है खतरा
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धरती पर संपर्क से लेकर नैविगेशन तक के लिए सैटलाइट्स कई अहम भूमिकाएं निभाती हैं

बेंगलुरु: धरती पर संपर्क से लेकर नैविगेशन तक के लिए सैटलाइट्स कई अहम भूमिकाएं निभाती हैं। इसलिए ये जानना जरूरी है कि जमीन से इतनी दूर इन्हें क्या नुकसान पहुंच सकता है और किससे खतरा हो सकता है। भारतीय वैज्ञानिकों की एक स्टडी में बताया गया है कि कैसे सूरज के वायुमंडल का असर अंतरिक्ष के मौसम पर पड़ता है जहां ये सैटलाइट चक्कर काट रही हैं


अच्छी बात यह है कि जल्द ही शुरू होने वाले भारत के पहले सोलर मिशन आदित्य-L1 से मिलने वाला डेटा सूरज के वायुमंडल और सैटलाइट्स पर होने वाले असर को और ज्यादा साफ कर सकेगा।

तकनीक पर पड़ सकता है असर

द वेदर चैनल के मुताबिक धरती के पास अंतरिक्ष के क्षेत्र और सौर हवाओं से स्पेस का मौसम तय होता है। इसका असर अंतरिक्ष में घूम रहे उपकरण की परफॉर्मेंस और धरती पर स्थित टेक्नॉलजिकल सिस्टम पर पड़ सकता है। धरती के पास अंतरिक्ष का मौसम CME (Coronal Mass Ejection) के कारण तय होता है। ये सूरज पर होने वाले विस्फोटों से पैदा मैग्नेटाइज्ड प्लाज्मा होता है जो अंतरिक्ष में ट्रैवल करते हुए धरती की ओर आता है।

प्लाज्मा की प्रॉपर्टी पर नजर

ताजा स्टडी में इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ ऐस्ट्रोफिजिक्स के डॉ. वगीश मिश्रा की टीम ने दिखाया कि प्लाज्मा की प्रॉपर्टी और धरती पर पहुंचने का समय अलग-अलग हो सकता है। अंतरिक्ष में अलग-अलग जगहों पर पहुंचने वाले अलग-अलग CME और ICME (interplanetary counterparts of CMEs) स्टडी किए गए। इनमें से एक ICME 11 मार्च को धरती पर पहुंचा था और एक 6 अगस्त, 2011 को।

अलग-अलग होता है असर

अंतरिक्ष में अलग-अलग जगहों पर इनके पहुंचने के समय, प्लाज्मा के फीचर्स और मैग्नेटिक फील्ड को स्टडी किया गया। टीम ने पाया कि सूरज से सौर हवाएं चलती रहती हैं जिनमें चार्ज्ड पार्टिकल आते हैं और इनका असर अलग-अलग जगहों के हिसाब से बदलता रहता है। स्टडी का कहना है कि CME के पहुंचने के समय और अंतरिक्ष पर इसके मौसम के बारे में सटीकता से पता करना एक बड़ी चुनौती है और इसका सैटलाइट पर असर पड़ सकता है।
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