विज्ञान

अध्ययन: कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके लोगों पर Pfizer वैक्सीन की एक ही खुराक असरदार

Deepa Sahu
16 Feb 2021 3:41 PM GMT
अध्ययन: कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके लोगों पर Pfizer वैक्सीन की एक ही खुराक असरदार
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Pfizer-BioNTech कोविड-19 वैक्सीन की केवल एक खुराक से ही उन लोगों में प्रभावी असर दिखाई देता है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क: यरूशलम : Pfizer-BioNTech कोविड-19 वैक्सीन की केवल एक खुराक से ही उन लोगों में प्रभावी असर दिखाई देता है जो पहले वायरस से संक्रमित हुए थे। एक अध्ययन के अनुसार इस एक खुराक से ही लोगों में इस महामारी का मुकाबला करने के लिए एक मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता पैदा होती है और इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे कब संक्रमित हुए थे या निवारक उपाय करने से पहले वायरस के खिलाफ उनमें एंटीबॉडी बने थे या नहीं।

'अभी पूरी तरह समझ नहीं आया है असर'
इजराइल में बार-इलान विश्वविद्यालय और जिव मेडिकल सेंटर के शोधकर्ताओं ने उल्लेख किया कि कोविड-19 टीके के संबंध में दुनिया में वास्तविक साक्ष्य अभी भी काफी कम हैं, भले ही क्लीनिकल परीक्षण डेटा उत्साहजनक हैं। उन्होंने कहा कि विशेष रूप से, SARS-CoV-2 वायरस से संक्रमित लोगों में कोविड-19 टीके का असर अभी भी पूरी तरह से समझ में नहीं आया है।
दक्षिण अफ्रीका की यूनिवर्सिटी ऑफ द विटवॉटर्सरैंड और ऑक्सफर्ड की स्टडी के दौरान किसी की मौत नहीं हुई और न ही अस्पताल में भर्ती कराया गया। अभी स्टडी के नतीजे पब्लिश नहीं हुए हैं। कंपनी के प्रवक्ता का कहना है कि इस छोटे पहले चरण के ट्रायल में शुरुआती डेटा में B.1.351 दक्षिण अफ्रीकी वेरियंट के कारण कम गंभीर बीमारी के खिलाफ सीमित असर देखा गया है। हालांकि, अभी गंभीर बीमारी और अस्पताल में भर्ती किए गए लोगों पर इसके असर को स्टडी नहीं किया जा सका है।

इस स्टडी में शामिल वॉलंटिअर्स की औसतन उम्र 31 साल रही जिसमें आमतौर पर लोग इन्फेक्शन का शिकार नहीं होते हैं। महामारी के इतने महीने में कोरोना वायरस हजारों बार म्यूटेट हुआ है लेकिन वैज्ञानिकों को तीन वेरियंट्स को लेकर चिंता है जो पहले से ज्यादा संक्रामक हैं। इनमें ब्रिटेन के केंट, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील के वेरियंट शामिल हैं। इनमें से दक्षिण अफ्रीकी वेरियंट वैक्सीन के खिलाफ प्रतिरोधी मालूम पड़ रहा है और दुनिया के कई हिस्सों में पाया जा चुका है।

वहीं, जॉनसन ऐंड जॉनसन और नोवावैक्स ने भी बताया है कि उनकी वैक्सीनें नए स्ट्रेन के खिलाफ असरदार नहीं हैं। इसी तरह मॉडर्ना नए वेरियंट के लिए बूस्टर शॉट तैयार कर रही हैं जबकि Pfizer-BioNTech की वैक्सीन भी कम असरदार मिली है। ब्रिटेन ने ऑक्सफर्ड की वैक्सीन की 10 करोड़ खुराकें खरीदी हैं और लाखों लोगों को वैक्सिनेट किया जा रहा है। दूसरी ओर, सफर न करने वाले लोगों में वेरियंट के 11 मामले सामने आने से कम्यूनिटी ट्रांसमिशन का खतरा पैदा हो गया है जिसके चलते टेस्टिंग तेज की जा रही है।

देखा गया वैक्सीन का असर
'जर्नल यूरोसर्विलांस' में प्रकाशित अध्ययन में जिव मेडिकल सेंटर में 514 कर्मियों के एक समूह को शामिल किया गया था। टीके की पहली खुराक लेने से पहले 17 प्रतिभागी एक और दस महीने के बीच किसी समय कोविड-19 से संक्रमित हुए थे। पूरे समूह के एंटीबॉडी स्तर को टीकाकरण से पहले मापा गया था और उसके बाद अमेरिकी कंपनी Pfizer और जर्मनी की उसकी सहयोगी बायोएनटेक द्वारा विकसित बीएनटी162बी2 एमआरएनए टीके के असर को देखा गया।
दुनिया में फैल रहा होगा Coronavirus का और खतरनाक स्ट्रेन, हमें अभी पता ही नहीं: वैज्ञानिक
यहां देश भर से सैंपल लाए जाते हैं जिन्हें वॉक-इन फ्रीजरों में रखा जाता है। लैब के अंदर एक रोबॉट इनमें से पॉजिटिव सैंपल्स को एक छोटी प्लेट में इकट्ठा करता है और एक अलग ट्रे पर रखता है जिसे हाथ से सील किया जाता है। दूसरे लैब में इसमें केमिकल डाले जाते हैं और एक छोटी मशीन में इन्हें शेक किया जाता है और फिर दो कांच के टुकड़ों के बीच प्रेस किया जाता है। करीब 15 घंटों बाद कंप्यूटर जेनेटिक डेटा जनरेट किया जाता है।
इस लैब में हर हफ्ते 10 हजार सैंपल सीक्वेंस किए जाते हैं। ब्रिटेन के माइक्रोबायॉलजिस्ट इवन हैरिसन ने CNN को बताया है, 'हम ऐसा म्यूटेशन ढूंढ रहे हैं जिससे वायरस ज्यादा संक्रामक हो या गंभीर बीमारी पैदा करे और खासकर अभी जब वैक्सीन दुनियाभर में दी जा रही हैं, हम ऐसे म्यूटेशन देख रहे हैं जो वैक्सीन की लोगों की मदद करने की क्षमता पर असर डाले।' ब्रिटेन के पास मौजूद जेनेटिक डेटा की मदद से वायरस के नए स्ट्रेन को करीब दो महीने पहले खोजा गया था।
केंब्रिज यूनिवर्सिटी के प्रफेसर रवि गुप्ता की रिसर्च के मुताबिक वायरस के नए स्ट्रेन के खिलाफ Pfizer/BioNTech की कोरोना वैक्सीन असरदार है लेकिन जरूरी नहीं है कि आने वाले हर नए स्ट्रेन के साथ ऐसा हो। दक्षिण अफ्रीका में भी एक वेरियंट पाया गया है और उस पर वैक्सीन के असर को लेकर चिंता बनी हुई है। इसके साथ ही बूस्टर शॉट की चर्चा भी तेज हो गई है। प्रफेसर गुप्ता का कहना है कि वायरस में म्यूटेशन के जरिए वैक्सीन और इम्यून सिस्टम के खिलाफ प्रतिरोध पैदा हो रहा है।

पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड के प्रवक्ता रुआरीध विलर के मुताबिक अभी तक ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील वेरियंट के बारे में पता चला है लेकिन हो सकता है कि इन देशों की सीक्वेंसिंग क्षमता की वजह से ऐसा मुमकिन हुआ है और वायरस में कहीं और म्यूटेशन हो रहा हो और हमें पता ही ना हो। प्रफेसर गुप्ता और हैरिसन का भी मानना है कि कहीं और वायरस का खतरनाक वेरियंट फैल रहा है जहां वैज्ञानिक नए स्ट्रेन खोज नहीं पा रहे हैं। ब्रिटेन की सरकार दूसरे देशों की सीक्वेंसिंग में मदद करने का प्लान बना रही है ताकि म्यूटेशन का पता लगाने की क्षमता बढ़ाई जा सके।

कैसे अहम है यह स्टडी
शोधकर्ताओं ने कहा कि टीके का असर उन लोगों में काफी प्रभावशाली था जो पहले इस महामारी से संक्रमित हुए थे। इससे इस संबंध में चर्चा शुरू हो गई कि क्या टीके की एक खुराक पर्याप्त हो सकती है। अध्ययन का नेतृत्व करने वाले बार-इलान विश्वविद्यालय से प्रोफेसर माइकल एडेलस्टीन ने कहा, 'इस अध्ययन से देशों को टीका नीति के बारे में निर्णय लेने में मदद मिल सकती है - उदाहरण के लिए, क्या पहले से संक्रमित लोगों को प्राथमिकता में टीका लगाया जाना चाहिए और यदि हां, तो उन्हें कितनी खुराक देनी चाहिए।'
शोधकर्ताओं ने कहा कि संक्रमित होने और टीकाकरण के बीच अवधि की परवाह किये बगैर संक्रमित लोगों में टीके की एक खुराक का ही प्रभावी असर दिखना एक अच्छी खबर है।


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