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- अध्ययन में खुलासा- एक...
दुनिया के महासागरों (Oceans) में धीरे धीरे प्लास्टिक सूक्ष्म रूप में पहुंच कर अब जलवायु को नुकसान पहुंचाने लगा है. हालात ये हो गए हैं कि वजह घूम फिर कर समुद्री भोजन के जरिए. इंसानों के शरीर में पहुंचने लगा है. इसकी पुष्टि कई अध्ययन कर चुके हैं. माइक्रोप्लास्टिक (Microplastic) समुद्री की गहराइयों में पहुंच कर मछलियों के शरीर में जाने लगा है. सोचिए सामान्य मछली तक में जो चीज जा रही हो, तो नीली व्हेल जैसे बड़े जानवर में कितनी ज्यादा तादाद में पहुंच रही होगी. नए अध्ययन में इसी का अनुमान लगाने पर पाया गया है कि नीले व्हेल हर दिन सूक्ष्मप्लास्टिक के करीब एक करोड़ टुकड़े खा रही हैं.
कितना व्यापक है प्लास्टिक का प्रदूषण
यह अध्ययन इस बात का एक और प्रमाण है कि महासागरों में प्लास्टिक प्रदूषण कितना व्यापक होता जा रहा है और जितना समझा जा रहा था उसके मुकाबले आज दुनिया के सबसे बड़े जानवर के लिए कितना ज्यादा बड़ा खतरा बन गया है. प्लास्टिक के महीन टुकड़े हर जगह पाए जा रहे हैं इसमें गहरे महासागरों से लेकर सबसे ऊंचे पर्वत शामिल हैं, और यहां तक कि इंसान के अंगों और खून के अंदर भी मिल रहे हैं
कैसे पता लगाया
नेचर कम्यूनिकेसन जर्नल में प्रकाशित प्रतिमानक अध्ययन ने अनुमान लगाया है कि इसमें से व्हेल कितना महीन प्लास्टिक निगल लेती हैं. अमेरिकी शोधकर्ताओं की अगुआई वाली टीम ने 191 नीली , फिन और हम्पबैक व्हेलों पर टैग लगाए जो कैलिफोर्निया के किनारे रहते हैं और उनकी गतिविधियों का अवलोकन किया. इस अध्ययन के प्रथम लेखक औ फुर्टन की कैलिफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी की शोधकर्ता शिरेल कहाने रैपोर्ट ने बताया कि यह एक तरह की व्हेल के पीछे लगी एप्पल घड़ी की तरह थी.
जहां सबसे ज्यादा प्लास्टिक
व्हेल समान्यतः 50 से 250 मीटर की गहराई में रहती हैं जो दुनिया भर के महासागरों के पानी में सबसे ज्यादा माइक्रोप्लास्टिक की मात्रा के लिए प्रसिद्ध गहराई है. इसके बाद शोधकर्ताओं ने इस बात का अनुमान लगाया कि कितना आकार का सामान कितनी बार व्हेल के मुंह से अंदर और बाहर निकला.इसमें उन्होंन तीन अलग अलग स्थितियां पाईं.
एक साल में एक अरब टुकड़े
सबसे संभावित स्थिति में नीले व्हेल एक दिन में करीब एक करोड़ के माइक्रोप्लास्टिक के टुकड़े निगलती हैं. इसका मतलब यही था कि 90 से 120 दिनों में जो सालाना भोजन का मौसम होता है उसमें करीब एक अरब टुकड़े निगल लेते हैं. इसका मतलब यही हुआ है कि पृथ्वी पर रहने वाला सबसे विशाल जानवर माइक्रोप्लास्टिक का सबसे बड़ा उपभोक्ता है, जो एक दिन में 43.6 किलो का माइक्रोप्लास्टिक खा जा ता है.
कम नहीं होता है 45 किलो का प्लास्टिक
कहाने बताती है कि सोचिए अतिरिक्त 45 किलोग्राम का वजन लेना कितना ज्यादा होगा. बेशक व्हेल बहुत ही ज्यादा विशाल होती हैं लेकिन 45 किलो भी कम जगह नहीं घेरता होगा. हम्पबैक व्हेल के बारे में शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया कि वे एक दिन मे 40 लाख माइक्रोप्लास्टिक के टुकड़े खा लेते हैं.
कहां से आता है माइक्रोप्लास्टिक
जहां एक तरफ यह मानना आसान है कि व्हेल बहुत ही ज्यादा मात्रा में माइक्रोप्लास्टिक को निगल रही हैं. वास्तव में शोधकर्ताओं ने पाया कि मामला ऐसा नहीं है. बल्कि 99 प्रतिशत माइक्रोप्लास्टिक व्हेल के शरीर में जाता है क्यों वह पहले से ही उनके शिकार के अंदर होता है. शोधकर्ताओं का कहना है कि उनके लिए यही चिंता का विषय है क्योंकि इंसान भी वैसे ही शिकार खाते हैं.
शोधकर्ताओं ने बताया कि हम इंसान एंकोवीज और सरजाइन भी खाते हैं जबकि क्रिल खाद्य शृंखला का आधार हैं. पिछले शोधों ने दर्शाया है कि यदि क्रिल टैंक में माइक्रोप्लास्टिक के साथ हैं तो वे उसे खा ही लेंगे. अब शोधकर्ता जानते हैं कि कितना माइक्रोप्लास्टिक व्हेल खा रही हैं. अब उनका अगला लक्ष्य यह पता करना है कि इससे उन्हें कितना नुकसान हो सकता है.
क्रेडिट ; न्यूज़ 18