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ऐस्ट्रोनॉमर्स ने बृहस्पति जैसे एक ग्रह की खोज की है। खास बात यह है कि यह ग्रह इतना गर्म है कि इसका तापमान भाप हो चुका है।
जनता से रिश्ता वेबडेसक | वॉशिंगटन: ऐस्ट्रोनॉमर्स ने बृहस्पति जैसे एक ग्रह की खोज की है। खास बात यह है कि यह ग्रह इतना गर्म है कि इसका तापमान भाप हो चुका है। बृहस्पति का तापमान बेहद ठंडा है और इसका तापमान बेहद मोटा है। यहां 425 मील प्रतिघंटा तक की रफ्तार से हवाएं चलती हैं जबकि यह नया ग्रह WASP-62b धरती से 500 प्रकाशवर्ष दूर है जिसे 'गर्म बृहस्पति' कहा गया है।
अपने सितारे के बेहद करीब
इस ग्रह को सबसे पहले 2012 में डिटेक्ट किया गया था लेकिन इसके वायुमंडल को पहली बार स्टडी किया गया है। यह जिस सितारे का चक्कर काट रहा है, उससे बेहद करीब है और एक चक्कर पूरा करने में सिर्फ साढ़े चार दिन लगते हैं। वहीं, बृहस्पति को सूरज का एक चक्कर पूरा करने में 12 साल लगते हैं। अपने सितारे से कम दूरी के कारण यह ग्रह बेहद गर्म है और इस पर कोई वायुमंडल नहीं है।
धरती से 212 प्रकाशवर्ष दूर है बृहस्पति जैसा ग्रह, पर 10 गुना हल्का...आखिर अब तक कैसे है 'जीवित'?
WASP-107b धरती से 212 लाइट इयर दूर वर्गो (Virgo) तारामंडल में स्थित है। आकलन के मुताबिक धरती सूरज से जितनी दूर है, यह ग्रह अपने सितारे WASP107 से उसका 16 गुना ज्यादा करीब है। हवाई के केक ऑब्जर्वेटरी के ऑब्जर्वेशन के आधार पर यूनिवर्सिटी ऑफ मॉन्ट्रियाल के रिसर्चर्स ने ग्रह के आकार और घनत्व का पता लगाया है। इसका कम घना होना इस बात का संकेत है कि इसकी कोर धरती के द्रव्यमान से चार गुना से ज्यादा नहीं होगी और इसका 85% मास (Mass) गैस की मोटी परत के रूप में मौजूद है।
वैज्ञानिकों के सामने यह पहेली कायम है कि आखिर इसकी गैस अभी तक खत्म क्यों नहीं हुई है? डेली मेल ऑनलाइन ने ऐसे ग्रहों की विशेषज्ञ प्रफेसर ईव ली के हवाले से कई थिअरी बताई हैं। ईव के मुताबिक, 'WASP-107b को लेकर सबसे बड़ी संभावना रही होगी कि यह ग्रह अपने सितारे से काफी दूर बना होगा जहां जब डिस्क में गैस इतनी ठंडी होती है कि बहुत तेजी से बढ़ जाती है। बाद में यह ग्रह अपनी मौजूदा लोकेशन पर आया होगा।'
ऑब्जर्वेशन में यह भी पता चला है कि इस सितारे का चक्कर काट रहा यह अकेला ग्रह नहीं है। WASP-107c नाम का ग्रह भी इसके साथ है। इसका द्रव्यमान बृहस्पति का एक-तिहाई है और यह WASP-107 से काफी दूर है और इसे तारे का एक चक्कर लगाने में तीन साल लगते हैं। इसकी कक्षा गोलाकार से ज्यादा अंडाकार है। अपने सौर मंडल के बाहर ऐसे ग्रह मिलने से बृह्मांड में ग्रहों के बनने की प्रक्रिया को समझा जा सकेगा। साथ ही, अलग-अलग तरह के ग्रहों के बारे में जानकारी भी मिलेगी।
स्टडी करना हुआ आसान
बादलों के न होने की वजह से वैज्ञानिक इसे आसानी से स्टडी कर सके हैं। हारवर्ड और स्मिथसोनियन सेंटर फॉर ऐस्ट्रोफिजिक्स के रिसर्चर्स का कहना है कि यहां पोटैशियम नहीं मिला है लेकिन सोडियम पाया गया है। ऐस्ट्रोनॉमर्स आमतौर पर ग्रह की बनावट का आकलन बना पाते हैं लेकिन बिना बादलों के इसे ज्यादा सटीकता से स्टडी किया जा सका है।
इस साल लॉन्च के लिए तैयार जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप की मदद से ग्रह की बेहतर तस्वीर हासिल करने की उम्मीद है। इसकी बेहतर टेक्नॉलजी की मदद से सिलिकॉन जैसे एलिमेंट्स की मौजूदगी को भी टेस्ट किया जा सकेगा।
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