विज्ञान

स्टडी में हुआ खुलासा, नाक और फेफड़े में मिला कम संक्रमण

Tulsi Rao
10 May 2022 9:47 AM GMT
स्टडी में हुआ खुलासा, नाक और फेफड़े में मिला कम संक्रमण
x

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कोरोना वायरस (Coronavirus) के खिलाफ लड़ाई में मुंह के जरिए दी जाने वाली वैक्सीन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। साइंस ट्रांसलेशनल मेडिसिन जर्नल में छपे एक अध्ययन से पता चला है कि जानवरों को दी गई ओरल वैक्सीन ने बीमारी की डिग्री को सीमित कर दिया है और इसका हवाई परीक्षण का प्रसार भी कम हुआ है।

ड्यूक विश्वविद्यालय की रिसर्चर स्टेफनी एन लैंगेल के नेतृत्व में रिसर्च टीम ने सार्स कोव-2 वायरस हैम्सटर के शरीर में टीके के साथ छोड़ा, जिसने रक्त और फेफड़ों में एक मजबूत एंटीबॉडी प्रतिक्रिया दिखाई।
ऐसी वैक्सीन की जरूरत जो वायरस फैलने न दे
स्टेफनी ने कहा, 'दुनिया भर में कम प्रतिरक्षा देखी जा रही है। बच्चों में यह सच में कम है। इस बात की संभावना हमेशा से बनी हुई है कि टीकाकरण करा चुका कोई व्यक्ति भी एक बार खतरनाक वायरस से स्वयं चाहे बीमार न हो लेकिन वह बाकी लोगों में इसे फैला सकता है।' उन्होंने आगे कहा, 'इस तरह की वैक्सीन बहुत जरूरी है जो वायरस से सुरक्षित रखे और उसे फैलने न दे। ताकि ऐसे लोग जिनको वैक्सीन नहीं लगे वे सुरक्षित रहें।'
नाक और फेफड़े में मिला कम संक्रमण
अध्ययन से पता चला है कि मुंह या नाक से सार्स कोव-2 वैक्सीन दिए गए हैम्स्टर्स में इंजेक्शन के जरिए दिए गए वैक्सीन की तुलना में नाक और फेफड़ों में कम संक्रमण मिला। शोधकर्ता मानते हैं कि कम संक्रमण होने के कारण ही नाक और मुंह से ज्यादा वायरस नहीं फैलै। शोध में कहा गया कि अगर इस तरह वैक्सीन इंसानों पर भी असर करती है तो टीकाकरण करा चुके लोग भी वायरस नहीं फैला सकेंगे।


Next Story