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मां के दूध को शिशु के लिए संपूर्ण आहार कहा जाता है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| मां के दूध को शिशु के लिए संपूर्ण आहार कहा जाता है। इससे उनमें सभी पोषक तत्वों की पूर्ति होती है। एक हालिया अध्ययन की मानें तो शिशुओं की याददाश्त पर भी इसका सकारात्मक असर पड़ता है। नए अध्ययन से पता चला है कि जन्म से कुछ महीनों तक के लिए स्तनपान करने वाले शिशुओं ने भी 10 साल की उम्र में न्यूरो-संज्ञानात्मक परीक्षणों में अधिक अंक प्राप्त होते हैं।
थोड़ी मात्रा भी लाभकारी
अमेरिका में शोधकर्ताओं ने अध्ययन में नौ और दस साल के उन बच्चों का संज्ञानात्मक परीक्षण किया, जिनकी मां ने बताया कि उनके बच्चों ने स्तनपान किया था। फिर उनके परिणामों की तुलना उन बच्चों के स्कोर से की गई जिन्होंने स्तनपान नहीं किया था। निष्कर्ष बताते हैं कि किसी भी मात्रा में स्तनपान करने वाले बच्चों में सकारात्मक संज्ञानात्मक प्रभाव पड़ता है। हालांकि लंबे समय तक स्तनपान करने वाले बच्चों ने परीक्षण में अधिक अच्छा स्कोर हासिल किया।
हजारों परीक्षणों का विश्लेषण किया
अध्ययन के लेखक डॉ डैनियल अदन लोपेज ने कहा कि उम्मीद है कि नीति के दृष्टिकोण से स्तनपान कराने की प्रेरणा को बेहतर बनाने में मदद मिल सकेगी। अध्ययन में रोचेस्टर मेडिकल सेंटर विश्वविद्यालय में डेल मोंटे इंस्टीट्यूट फॉर न्यूरोसाइंस के शोधकर्ताओं ने हजारों संज्ञानात्मक परीक्षणों के विश्लेषण के जरिए यह निर्धारित किया कि बच्चों के स्कोर उनके स्तनपान करने और नहीं करने से जुड़े हैं या नहीं।
डॉ लोपेज ने कहा कि हमारे परिणाम सुझाव देते हैं कि किसी भी मात्रा में स्तनपान करने के सकारात्मक प्रभाव होते हैं। फिर चाहें जन्म से लेकर कुछ माह तक ही स्तनपान क्यों न कराया जाए। यह निष्कर्ष स्तनपान के महत्व को रेखांकित करते हैं।
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