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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। नवजात के लिए मां के दूध को सर्वोत्तम आहार माना जाता है। विशेषज्ञ कहते हैं, इसमें शिशु के लिए आवश्यक सभी पोषक तत्व समाहित होते है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने से लेकर कई तरह की बीमारियों के जोखिम को कम करने तक में मदद करते हैं। जन्म से पहले भी गर्भनाल के माध्यम से शिशुओं में इम्युनिटी ट्रांसफर होती रहती है जो गर्भ में शिशु को स्वस्थ रखने के साथ विभिन्न संक्रमणों से सुरक्षा प्रदान करती है। हालिया अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया कि स्तन के दूध में मौजूद एंटीबॉडीज शिशुओं के आंत बैक्टीरिया और प्रतिरक्षा को आकार देने में मदद करते हैं।
इससे पहले के अध्ययन भी इस बात पर जोर देते रहे हैं कि सभी नवजातों को पहले आहार के रूप में मां का दूध ही दिया जाना चाहिए। पहला गाढ़ा पीला दूध, शिशु के स्वास्थ्य को बेहतर रखने और बीमारियों-संक्रमण के खतरे को कम करने में विशेष लाभकारी होता है। बच्चों के संपूर्ण विकास के लिए भी मां के दूध को अध्ययनों में काफी लाभदायक बताया गया है। वहीं इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया कि मां का दूध में कई ऐसे एंटीबॉडीज होते हैं जो शरीर को तमाम तरह की बीमारियों से सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं। आइए इस बारे में आगे विस्तार से समझते हैं।
मां के दूध से बच्चे में ट्रांसफर हो सकती है एंटीबॉडी
10 जून को साइंस इम्यूनोलॉजी जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान मां से उसके अजन्मे बच्चों में प्लेसेंटा के माध्यम से प्रतिरक्षा का हस्तांतरण होता है, वहीं जन्म के बाद मां का दूध शिशुओं को स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
इस अध्ययन की खास बात यह है कि शोधकर्ताओं ने पाया कि किसी संक्रमण के खिलाफ मां का टीकाकरण करके स्तन के दूध के माध्यम से नवजात में भी एंटीबॉडीज को ट्रांसफर किया जा सकता है। कोविड-19 से बचाव के लिए यह महत्वपूर्ण हो सकता है।
बच्चों को संक्रमण से मिल सकती है सुरक्षा
न्यूयार्क स्थित वेइल कॉर्नेल मेडिसिन के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए इस प्रीक्लिनिकल अध्ययन से पता चलता है कि आंत के लाभकारी बैक्टीरिया द्वारा निर्मित एंटीबॉडी का एक विशिष्ट सेट भी मां से शिशुओं में, स्तन के दूध के माध्यम से स्थानांतरित हो सकता है। यह एंटीबॉडीज नवजात में पेट के संक्रमण के कारण होने वाले डायरिया से बचाने में मदद करते हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि गर्भावस्था के दौरान गर्भवती में इन स्वाभाविक रूप से उत्पादित एंटीबॉडी को बढ़ाने के उपायों को प्रयोग में लाकर बैक्टीरिया जनित संक्रमण के खिलाफ शिशुओं की प्रतिरक्षा को बढ़ाने में मदद मिल सकती है।
अध्ययन में क्या पता चला?
विशेषरूप से इस अध्ययन में शोधकर्ताओं की टीम ने आईजीजी नामक एंटीबॉडीज के एक वर्ग पर अध्ययन किया जो संक्रामक बैक्टीरिया और वायरस से शरीर को सुरक्षित रखने में मदद करती हैं। इस अध्ययन से पहले इस बात के पर्याप्त सबूत नहीं थे कि आईजीजी एंटीबॉडी, जो स्वाभाविक रूप से आंत के बैक्टीरिया से प्रेरित होते हैं वह शिशु की आंत की प्रतिरक्षा को कैसे प्रभावित करते हैं? इसलिए, जांचकर्ताओं ने यह निर्धारित करने के लिए एक माउस मॉडल का उपयोग किया। अध्ययन के परिणाम में कई बातें सामने आईं।
क्या कहते हैं शोधकर्ता?
अध्ययन के परिणाम के बारे में वेइल कॉर्नेल मेडिसिन में बाल रोग विभाग की सहायक प्रोफेसर और शोध की प्रमुख लेखर डॉ मेलोडी ज़ेंग बताती हैं, शोध में हमने पाया कि आईजीजी एंटीबॉडीज बच्चों में आंत संक्रमण के खिलाफ सुरक्षात्मक हो सकती हैं। जन्म के शुरुआती महीनों में बच्चों में डायरिया की समस्या अधिक देखी जाती रही है, इन एंटीबॉडीज की मदद से न सिर्फ डायरिया के खतरे को कम किया जा सकता है साथ ही यह आंत में होने वाले अन्य प्रकार के संक्रमण को रोकने में भी मददगार हो सकती हैं। मां के शरीर में इन एंटीबॉडीज को बूस्ट करके स्तन के दूध के माध्यम से शिशुओं को