- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- विज्ञान
- /
- स्टडी- खराब ओरल हेल्थ...
विज्ञान
स्टडी- खराब ओरल हेल्थ के लिए जीन भी हो सकते हैं जिम्मेदार
Gulabi Jagat
9 April 2022 5:37 PM GMT
x
हम सभी ये कब से सुनते आ रहे हैं कि अगर हेल्दी दांत चाहिए
हम सभी ये कब से सुनते आ रहे हैं कि अगर हेल्दी दांत चाहिए, तो हेल्दी लाइफस्टाइल की आदतों का पालन करना चाहिए. बचपन से ही दिमाग में ये बात भर दी गई कि खराब लाइफस्टाइल की वजह से ही मसूड़ों की बीमारियां होती हैं. खराब लाइफस्टाइल को अक्सर खराब डेंटल हेल्थ के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐसा होने का यही एकमात्र कारण नहीं है. अमेरिकन डेंटल एसोसिएशन (American Dental Association) द्वारा की गई एक स्टडी के अनुसार, जीन भी मौखिक स्वास्थ्य यानी ओरल हेल्थ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. दहेल्थसाइट डॉट कॉम में छपी एक न्यूज रिपोर्ट के अनुसार, इस स्टडी में सामने आया है कि दंत क्षरण (Dental caries) या टूथ डिके (tooth decay) यानी दांतों में सड़न के 60 प्रतिशत मामलों में अनुवांशिक कारकों यानी जेनेटिक फैक्टर्स की भूमिका होती है.
इसमें ये भी बताया गया है कि ओरल कैंसर, मसूड़ों की बीमारी, आड़े-टेढ़े दांत होने जैसी समस्याएं भी जेनेटिक हो सकती हैं. स्टडी के अनुसार, सही ओरल हाइजीन (दांतों की उचित साफ-सफाई) नहीं होने से मसूड़ों में बीमारी पैदा करने वाले बैक्टीरिया पनपते हैं और ये ओरल माइक्रोबायोम एजिंग को भी काफी तेज कर देते हैं.
क्या कहती है ये स्टडी
चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज (Chinese Academy of Sciences) की इस स्टडी में पाया गया है कि 24-72 घंटे के बीच ओरल हाइजिन के अभाव में अच्छे ओरल बैक्टीरिया की संख्या और उसे जुड़े एंटी-इंफ्लेमेटरी कैमिकल में तेज गिरावट आती है.
इसके साथ ही मसूढ़ों की बीमारी पेरियोडोंटाइटिस (periodontitis) से ग्रस्त लोगों के मुंह में बैड बैक्टीरिया की संख्या बढ़ जाती है, जिससे दांतों को नुकसान होता है या उसका क्षरण होना शुरू हो जाता है. हालांकि ज्यादातर रिसर्चर्स का कहना है कि ओरल हेल्थ की अधिकांश प्रोब्लम्स की रोकथाम की जा सकती है. यदि आप दांतों की अच्छी देखभाल करते हैं और कुछ खास खाद्य पदार्थों को लेने से बचते हैं तो दांतों और मौखिक स्वास्थ्य को सुनिश्चित कर सकते हैं.
रिसर्चर्स ने ये भी बताया कि जिंजिवाइटिस जैसे रोग आनुवांशिक तौर पर दूसरी पीढ़ी में आ जाते हैं, इसलिए जिन परिवारों में इसकी समस्या रहती है, उन्हें अगली पीढ़ी को लेकर इस मामले में ज्यादा सतर्कता बरतनी चाहिए.
Next Story