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डांस के कई तरीके आजकल प्रचलन में हैं, जो किसी व्यायाम से कम नहीं हैं
डांस के कई तरीके आजकल प्रचलन में हैं, जो किसी व्यायाम से कम नहीं हैं। डांस करते समय व्यक्ति प्रसन्न मुद्रा में होता है और शारीरिक रूप से सक्रिय भी रहता है। अब एक नया अध्ययन सामने आया है कि डांस से पार्किसन जैसे गंभीर रोगों में भी बहुत फायदा मिलता है।
'ब्रेन साइंस' जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में सामने आया है कि पार्किसन के हल्के से लेकर मध्यम लक्षण वाले मरीज यदि सप्ताह में सवा घंटे भी डांस करते हैं, तो इस बीमारी की गति को काफी हद तक धीमा किया जा सकता है। पार्किसन तंत्रिका संबंधी रोग है। इसमें धीरे-धीरे शरीर में अकड़न, सक्रियता कम होना या कंपकंपाने जैसी दिक्कतें आने लगती हैं।
शोध करने वालों का नेतृत्व करने वाले यार्क यूनिवर्सिटी के साइकोलाजी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर जोसेफ डिसूजा और पीएचडी करने वाली केरोलिना बियर्स ने बताया कि सप्ताह में बताई गई अवधि में डांस करने वालों में तंत्रिका संबंधी दिक्कतों में सुधार होता दिखाई दिया। साथ ही कंपकंपी की दिक्कत भी कम हुई। यही नहीं जब उनके आंकड़ों का अध्ययन किया गया तो उनके भ्रमित होने की स्थिति, अवसाद और उदासी में भी कमी आई।
यह अध्ययन तीन साल तक नृत्य में भाग लेने और न लेने वाले मरीजों पर किया गया। जो नृत्य कर रहे थे, उनके पार्किसन बीमारी से आ रहे लक्षणों में सुधार दिखाई दिया। बीमारी की गति कम हो गई। केरोलिना बियर्स ने बताया कि नृत्य से सुनने, देखने और स्पर्श के साथ ही सामाजिक सामंजस्यता की स्थिति बनती है। यह केवल व्यायाम से पूरी नहीं की जा सकती।
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