- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- विज्ञान
- /
- अध्ययन में हुआ दावा!...
x
फाइजर-बायोएनटेक द्वारा तैयार टीके की पहली और दूसरी खुराकों में लंबा अंतर रखने से मजबूत एंटीबॉडी और टी सेल प्रतिरक्षण प्रणाली विकसित होती है।
फाइजर-बायोएनटेक द्वारा तैयार टीके की पहली और दूसरी खुराकों में लंबा अंतर रखने से मजबूत एंटीबॉडी और टी सेल प्रतिरक्षण प्रणाली विकसित होती है। यह दावा ब्रिटिश अनुसंधानकर्ताओं ने किया है।
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के नेतृत्व में बर्मिंघम, न्यूकैसल, लीवरपूल और शेफील्ड विश्वविद्यालयों द्वारा और यूके कोरोना वायरस इम्यूनोलॉजी कंसोर्टियम के समर्थन से यह विस्तृत अध्ययन फाइजर टीके से उत्पन्न प्रतिरक्षण क्षमता पर किया गया है।
स्वास्थ्य कर्मियों में कोविड-19 से बचाव के लिए विकसित टी सेल के आधार पर किए गए अध्ययन में अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि टी सेल और एंटीबॉडी का स्तर पहली और दूसरी खुराक में अधिक अंतर रहने पर भी उच्च बना रहता है और यह उच्च स्तर दो खुराकों के बीच एंटीबॉडी के स्तर में उल्लेखनीय कमी आने के बावजूद रहता है।
वैश्विक स्तर पर किए गए अध्ययन से इंगित होता है कि टीकाकरण की दो खुराकों के बीच अंतर कोविड-19 से वास्तविक रक्षा होती है और यह साबित करता है कि टीके की दूसरी खुराक की जरूरत है।
शेफील्ड विश्वविद्यालय में संक्रामक बीमारी विषय के वरिष्ठ चिकित्सा प्रवक्ता एवं प्रमुख अनुसंधान पत्र लेखक डॉ.तुषाण डी सिल्वा ने कहा कि हमारा अध्ययन सार्स-सीओवी-2 टीके के बाद एंटीबॉडी और टी सेल प्रतिक्रिया का आकलन करता है, खासतौर पर रक्षा हेतु हो रही विभिन्न प्रक्रिया, जो संभवत: वायरस के नए स्वरूप से रक्षा कर सकती है। यह अध्ययन 503 स्वास्थ्य कर्मियों पर किया गया है और इसके नतीजे शुक्रवार को प्रकाशित किए गए।
Next Story